Aurangzeb’s Atrocities: Evidence of Temple Destruction and Historical Distortion
औरंगजेब के अत्याचार: मंदिर विध्वंस और इतिहास के विकृतिकरण के सबूत
AIN NEWS 1: मुगल शासक औरंगजेब भारत के इतिहास में एक ऐसा नाम है, जिसे उसकी कट्टर नीतियों और हिंदू धर्मस्थलों के विध्वंस के लिए जाना जाता है। उसके शासनकाल में हिंदू मंदिरों को तोड़ने, धार्मिक परंपराओं पर प्रतिबंध लगाने और इतिहास को तोड़-मरोड़कर पेश करने की कई घटनाएँ दर्ज हैं। इस लेख में हम प्रमाणों के साथ समझेंगे कि कैसे औरंगजेब ने भारतीय संस्कृति को क्षति पहुँचाई और इस्लामीकरण की नीति अपनाई।
औरंगजेब द्वारा मंदिरों का विध्वंस: प्रमाणों के साथ विश्लेषण
1. सरकारी आदेश और ऐतिहासिक दस्तावेज़
साकी मुस्तैद खान की पुस्तक ‘मासिर-ए-आलमगीरी’ के अनुसार, 9 अप्रैल 1669 को औरंगजेब ने अपने सभी प्रांतों के गवर्नरों को हिंदू मंदिरों और शिक्षण संस्थानों को नष्ट करने का आदेश दिया। यह आदेश पूरे साम्राज्य में लागू किया गया और इसके परिणामस्वरूप सैकड़ों मंदिर ध्वस्त किए गए।
2. वाराणसी गजेटियर में उल्लेख
1965 में प्रकाशित वाराणसी गजेटियर के अनुसार, औरंगजेब ने काशी विश्वनाथ मंदिर को नष्ट कर उसकी जगह आलमगिरी मस्जिद का निर्माण कराया। इस दस्तावेज़ में यह भी दर्ज है कि यह मंदिर छह से सात शताब्दी पुराना था और हिंदू श्रद्धालु अब भी इसके अवशेषों को पूजनीय मानते हैं।
3. स्वयं औरंगजेब के इकबाली बयान
कलीमत-ए-तय्यीबत में दर्ज औरंगजेब के बयान में वह अपने पोते बिदार बख्त से कहता है— “औरंगाबाद के पास सतारा गाँव में एक पहाड़ी पर खांडेराय का मंदिर था। अल्लाह के फजल से मैंने इसे नष्ट कर दिया।”
4. अन्य प्रमुख मंदिरों का विध्वंस
1670 में उज्जैन के आसपास सभी मंदिर नष्ट किए गए।
चित्तौड़, उदयपुर और जयपुर में 300 से अधिक मंदिरों को ध्वस्त किया गया।
वाराणसी में काशी विश्वनाथ मंदिर और बिंदुमाधव मंदिर को तोड़कर वहाँ मस्जिदें बनाई गईं।
सोमनाथ मंदिर पर भी औरंगजेब की सेना ने हमला किया।
धार्मिक असहिष्णुता और हिंदू विरोधी नीतियाँ
हिंदुओं के त्योहारों और धार्मिक अनुष्ठानों पर प्रतिबंध लगाया गया।
जज़िया कर फिर से लागू कर दिया गया, जिससे हिंदुओं को आर्थिक रूप से कमजोर किया गया।
सिखों के नौवें गुरु तेग बहादुर को 1675 में इस्लाम कबूल न करने के कारण यातना देकर दिल्ली में शहीद कर दिया गया।
इतिहास को विकृत करने की कोशिशें
औरंगजेब केवल धार्मिक स्थलों को नष्ट करने तक सीमित नहीं रहा, उसने इतिहास को भी विकृत करने का प्रयास किया। उसके शासन के दूसरे दशक में पुराने अभिलेखों को मिटाने और नए ऐतिहासिक दस्तावेजों को लिखने पर प्रतिबंध लगा दिया गया। इस वजह से उसके अत्याचारों की विस्तृत जानकारी शाही दस्तावेजों में बहुत कम मिलती है।
इतिहासकारों की राय
स्टेनली लेनपूल ने अपनी पुस्तक ‘Aurangzeb and the Decay of the Mughal Empire’ में औरंगजेब के कृत्यों की निंदा की है।
अब्राहम एराली के अनुसार, औरंगजेब ने न केवल मंदिरों को तोड़ा बल्कि हिंदू संस्कृति को पूरी तरह मिटाने का प्रयास किया।
औरंगजेब के अत्याचारों के प्रमाण ऐतिहासिक दस्तावेजों और खुद उसके आदेशों में दर्ज हैं। मंदिरों को नष्ट करना, हिंदुओं पर कर लगाना, धार्मिक स्वतंत्रता को कुचलना और ऐतिहासिक तथ्यों को विकृत करना उसकी कट्टरता को दर्शाते हैं। आज, भले ही वह इतिहास बन चुका हो, लेकिन उसकी विचारधारा से प्रेरित कुछ तत्व अब भी भारत की सांस्कृतिक विरासत को नष्ट करने के प्रयास कर रहे हैं। इसलिए, हमें अपने इतिहास को सही संदर्भ में समझने और इससे सीख लेने की जरूरत है।
Aurangzeb’s atrocities against Hindus are well-documented in historical texts like Maasir-e-Alamgiri and Varanasi Gazetteer. His orders led to the destruction of major Hindu temples like Kashi Vishwanath and Somnath. The Mughal ruler imposed jizya tax, banned Hindu festivals, and persecuted Sikh Guru Tegh Bahadur. His attempts to distort history by erasing records further highlight his oppressive policies. These historical facts provide undeniable evidence of Aurangzeb’s impact on India’s cultural heritage.