Sambhaji Maharaj Death: What Happened to His Wife Yesubai and Son Shahu Maharaj After Aurangzeb’s Cruelty?
संभाजी महाराज की मृत्यु के बाद उनकी पत्नी यसुबाई और बेटे शाहू महाराज का क्या हुआ? जानिए पूरी कहानी
AIN NEWS 1: छत्रपति संभाजी महाराज का बलिदान भारतीय इतिहास के सबसे साहसी और प्रेरणादायक प्रसंगों में से एक है। मुगल बादशाह औरंगजेब ने उन्हें यातनाएं देकर क्रूरता से मृत्यु दी, लेकिन मराठा साम्राज्य की जड़ों को हिला नहीं सका। उनकी मृत्यु के बाद, उनकी पत्नी महारानी यसुबाई और उनके पुत्र शाहू महाराज पर क्या बीती? औरंगजेब ने उनके साथ क्या किया और कैसे मराठाओं ने अपने साम्राज्य को फिर से खड़ा किया? इस पूरे ऐतिहासिक घटनाक्रम को विस्तार से समझते हैं।
संभाजी महाराज की गिरफ्तारी और वीरगति
1689 में मुगलों ने छत्रपति संभाजी महाराज को धोखे से बंदी बना लिया। औरंगजेब ने उन्हें इस्लाम स्वीकार करने का प्रस्ताव दिया, लेकिन उन्होंने इसे सख्ती से ठुकरा दिया। इसके बाद उन्हें अमानवीय यातनाएं दी गईं और अंततः क्रूरता से उनकी हत्या कर दी गई।
औरंगजेब का उद्देश्य मराठाओं में भय पैदा करना था, लेकिन इसका प्रभाव इसके विपरीत हुआ। संभाजी महाराज की शहादत मराठाओं के लिए प्रेरणा बन गई, और उन्होंने मुगलों के खिलाफ अपने संघर्ष को और तेज कर दिया।
संभाजी महाराज के बाद मराठाओं की रणनीति
संभाजी महाराज की मृत्यु के बाद, मराठाओं को नेतृत्व की आवश्यकता थी। उनकी पत्नी महारानी यसुबाई ने धैर्य और सूझबूझ के साथ परिस्थितियों को संभाला। उन्होंने मराठा राज्य को संगठित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
उन्होंने अपने देवर राजाराम महाराज को सुरक्षित जिन्जी (तमिलनाडु) भेजने का निर्णय लिया, जिससे मराठाओं की स्वतंत्रता की लड़ाई जारी रह सकी।
मराठाओं ने मुगलों के खिलाफ छापामार युद्ध की रणनीति को अपनाया, जिससे मुगलों पर निरंतर दबाव बना रहा।
विभिन्न मराठा सरदारों ने अलग-अलग दिशाओं से मुगल सेना पर आक्रमण किया, जिससे मुगलों को दक्षिण भारत पर नियंत्रण बनाए रखना कठिन हो गया।
महारानी यसुबाई और शाहू महाराज की कैद
संभाजी महाराज की मृत्यु के बाद, औरंगजेब ने मराठा विद्रोह को कमजोर करने के लिए 1689 में महारानी यसुबाई और उनके पुत्र शाहू महाराज को बंदी बना लिया।
दोनों को मुगल दरबार में राजनीतिक कैदी के रूप में रखा गया।
औरंगजेब ने शाहू महाराज को अपने प्रभाव में लाने की कोशिश की, लेकिन मराठाओं के प्रति उनकी निष्ठा अटूट रही।
यसुबाई ने अपने साहस और धैर्य से मुगल बंदीगृह में भी अपने पुत्र को मराठा संस्कृति और गौरव से परिचित कराया।
मराठाओं का संघर्ष और औरंगजेब की असफलता
मराठाओं ने औरंगजेब के खिलाफ अपने संघर्ष को जारी रखा। छत्रपति राजाराम महाराज के नेतृत्व में मराठाओं ने छापामार युद्ध को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाया।
मराठाओं ने कई महत्वपूर्ण किले फिर से जीत लिए।
औरंगजेब की लाख कोशिशों के बावजूद, वह मराठाओं को पूरी तरह पराजित नहीं कर सका।
27 वर्षों तक संघर्ष करने के बाद 1707 में औरंगजेब की मृत्यु हो गई, जिससे मुगल साम्राज्य कमजोर पड़ गया।
शाहू महाराज की रिहाई और मराठाओं का स्वर्णकाल
औरंगजेब की मृत्यु के बाद मुगल दरबार में सत्ता संघर्ष छिड़ गया। इस दौरान 1707 में शाहू महाराज को रिहा कर दिया गया।
शाहू महाराज ने अपने साहस और नेतृत्व से मराठा साम्राज्य को पुनर्जीवित किया।
उन्होंने मुगलों के खिलाफ निर्णायक युद्ध लड़े और मराठाओं को शक्तिशाली बना दिया।
धीरे-धीरे मराठा साम्राज्य इतना शक्तिशाली हो गया कि दिल्ली पर उनका प्रभाव बढ़ने लगा, और मुगल बादशाह नाममात्र के शासक बनकर रह गए।
महारानी यसुबाई का योगदान और मराठाओं की विजय
महारानी यसुबाई ने मराठा साम्राज्य को बचाने और मजबूत करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
उनकी सूझबूझ और नेतृत्व ने मराठाओं को एकजुट रखा।
उन्होंने शाहू महाराज को मराठा गौरव की शिक्षा दी, जिससे वे एक योग्य शासक बने।
उनका धैर्य और त्याग मराठाओं के लिए प्रेरणा बना।
संभाजी महाराज की वीरगति ने मराठाओं को कमजोर करने के बजाय उन्हें और अधिक सशक्त बना दिया। यदि महारानी यसुबाई और शाहू महाराज ने धैर्य और साहस न दिखाया होता, तो मराठा साम्राज्य का पुनर्निर्माण संभव नहीं हो पाता।
The death of Chhatrapati Sambhaji Maharaj at the hands of Aurangzeb was a tragic yet inspiring chapter in Maratha history. Despite enduring severe torture, Sambhaji refused to convert to Islam, showcasing his unwavering bravery. After his death, Yesubai and Shahu Maharaj were imprisoned by Aurangzeb to suppress the Maratha uprising. However, this plan backfired, as Shahu Maharaj’s eventual release in 1707 marked the beginning of the Maratha resurgence. Under his leadership, the Maratha Empire grew strong, challenging the Mughal dominance and establishing Maratha rule in Delhi. Yesubai’s resilience and intelligence played a crucial role in preserving the Maratha legacy.