AIN NEWS 1 ढाका: बांग्लादेश में हिंदुओं पर हो रहे हमलों को लेकर सरकार ने अब खुद स्वीकार किया है कि अल्पसंख्यकों के खिलाफ हिंसा की घटनाएं बढ़ी हैं। यह खुलासा सरकार ने मंगलवार को किया।
सरकार के अनुसार, अगस्त में बांग्लादेश की तत्कालीन प्रधानमंत्री शेख हसीना को हटाए जाने के बाद देश में सांप्रदायिक तनाव और हिंसा के मामले तेजी से बढ़े। खासतौर पर हिंदू समुदाय को इन घटनाओं में निशाना बनाया गया।
क्या है मामला?
अगस्त 2024 में बांग्लादेश में राजनीतिक संकट के चलते शेख हसीना को उनके पद से हटा दिया गया था। इसके बाद देश में अल्पसंख्यक समुदाय, विशेष रूप से हिंदुओं, के खिलाफ सांप्रदायिक हमलों की घटनाएं लगातार बढ़ने लगीं।
पिछले कुछ महीनों में हिंसा के मामलों पर चुप्पी साधने वाली बांग्लादेश सरकार ने अब स्वीकार किया है कि तख्तापलट के बाद अल्पसंख्यक हिंदू समुदाय पर हमले की कुल 88 घटनाएं दर्ज हुई हैं।
सरकार का दावा और सच्चाई
शुरुआत में सरकार ने इन घटनाओं से इनकार किया था। लेकिन हाल ही में स्थिति को लेकर दबाव बढ़ने पर, सरकार ने इन हमलों को स्वीकार किया।
विशेषज्ञों का मानना है कि तख्तापलट के बाद सरकार के कमजोर प्रशासन और बढ़ती सांप्रदायिकता ने इन घटनाओं को और बढ़ावा दिया।
कैसे प्रभावित हो रहे हैं अल्पसंख्यक?
इन हमलों में हिंदुओं की संपत्तियां जलाने, मंदिरों को तोड़ने और सामूहिक हिंसा की घटनाएं शामिल हैं। इससे हिंदू समुदाय के लोगों में डर और असुरक्षा का माहौल बन गया है।
अल्पसंख्यकों के अधिकारों की रक्षा के लिए काम कर रहे संगठनों ने सरकार से तुरंत कदम उठाने की अपील की है।
अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया
इन घटनाओं ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी ध्यान आकर्षित किया है। भारत और अन्य पड़ोसी देशों ने बांग्लादेश सरकार से अल्पसंख्यकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने की मांग की है।
सरकार का अगला कदम
बांग्लादेश सरकार ने कहा है कि वह हिंसा पर काबू पाने और अल्पसंख्यकों की सुरक्षा के लिए कड़े कदम उठाएगी। लेकिन विपक्षी दल और मानवाधिकार संगठनों ने सरकार पर ढुलमुल रवैया अपनाने का आरोप लगाया है।
बांग्लादेश में तख्तापलट के बाद बढ़ते सांप्रदायिक हमले देश की सामाजिक संरचना और अल्पसंख्यकों के अधिकारों पर गंभीर सवाल खड़े कर रहे हैं। अब देखने वाली बात यह है कि सरकार इन घटनाओं को रोकने के लिए क्या ठोस कदम उठाती है।