AIN NEWS 1: बांग्लादेश हाई कोर्ट ने इंटरनेशनल सोसाइटी फॉर कृष्णा कॉन्शसनेस (ISKCON) को आतंकी संगठन घोषित करने और उस पर प्रतिबंध लगाने की मांग वाली याचिका खारिज कर दी है। इस याचिका में आरोप लगाया गया था कि ISKCON एक धार्मिक कट्टरपंथी संगठन है।
सरकार का पक्ष:
याचिका पर सुनवाई के दौरान बांग्लादेश के अटॉर्नी जनरल ने हाई कोर्ट में कहा कि ISKCON के खिलाफ कार्रवाई सरकार के एजेंडे में शामिल है और इसके लिए जरूरी तैयारी की जा रही है। उन्होंने यह भी दावा किया कि ISKCON को लेकर सरकार गंभीर है और इस पर प्रतिबंध लगाने के कदम उठाने की योजना बना रही है।
याचिका का आधार:
याचिकाकर्ताओं ने ISKCON पर धार्मिक कट्टरपंथ को बढ़ावा देने और देश के साम्प्रदायिक सौहार्द को नुकसान पहुंचाने का आरोप लगाया था। याचिका में संगठन को आतंकवादी घोषित करने और उस पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने की मांग की गई थी।
हाई कोर्ट का फैसला:
हाई कोर्ट ने इस याचिका को यह कहते हुए खारिज कर दिया कि याचिकाकर्ता के पास पर्याप्त प्रमाण और तर्क नहीं हैं जो ISKCON को आतंकी संगठन घोषित करने का आधार बना सकें। अदालत ने साफ किया कि बिना पर्याप्त सबूत किसी भी धार्मिक संगठन पर ऐसे गंभीर आरोप नहीं लगाए जा सकते।
ISKCON का पक्ष:
ISKCON ने इन आरोपों को सिरे से खारिज करते हुए कहा कि वह एक आध्यात्मिक संगठन है जो शांति और धार्मिक सहिष्णुता का प्रचार करता है। ISKCON के प्रवक्ता चिन्मय कृष्ण दास ने कहा कि संगठन पर लगे सभी आरोप झूठे और बेबुनियाद हैं। उन्होंने बांग्लादेश की सरकार से अपील की कि वह हिंदू समुदाय और उनके धार्मिक संगठनों की सुरक्षा सुनिश्चित करे।
सोशल मीडिया पर प्रतिक्रिया:
इस मामले को लेकर सोशल मीडिया पर भी काफी चर्चा हो रही है। कई लोग #SaveISKCONWith, #BangladeshiHindus और #ChinmoyKrishnaDas जैसे हैशटैग के जरिए ISKCON के समर्थन में अपनी राय व्यक्त कर रहे हैं। भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और बांग्लादेश के नोबेल पुरस्कार विजेता मोहम्मद यूनुस को भी इस मामले में हस्तक्षेप करने की मांग की जा रही है।
पृष्ठभूमि:
ISKCON, जिसे ‘हरे कृष्ण आंदोलन’ के नाम से भी जाना जाता है, दुनिया भर में हिंदू धर्म के प्रचार-प्रसार के लिए प्रसिद्ध है। बांग्लादेश में हिंदू अल्पसंख्यक समुदाय के बीच यह संगठन धार्मिक गतिविधियों और सामुदायिक सेवाओं के लिए जाना जाता है।
निष्कर्ष:
हाई कोर्ट के इस फैसले से ISKCON और बांग्लादेश के हिंदू समुदाय को राहत मिली है। हालांकि, सरकार के कड़े रुख के चलते आने वाले समय में यह मामला फिर से तूल पकड़ सकता है। विशेषज्ञों का मानना है कि इस मुद्दे का समाधान शांतिपूर्ण और संतुलित तरीके से निकालने की जरूरत है।