AIN NEWS 1: बांग्लादेश में धर्मनिरपेक्षता की स्थिति लगातार बिगड़ती जा रही है। पहले हिंदू समुदाय को निशाना बनाए जाने के बाद अब ईसाई समुदाय भी कट्टरपंथियों के हमले का शिकार हो रहा है। 25 दिसंबर, क्रिसमस के दिन, बांग्लादेश के बंदरबन जिले के लामा क्षेत्र में इस्लामिक कट्टरपंथियों ने ईसाइयों के 17 घरों को आग के हवाले कर दिया। इस हमले को अब तक का सबसे बड़ा हमला माना जा रहा है, जो ईसाई समुदाय के लिए एक कड़ा संदेश है।
घटना का विवरण
यह हमला उस समय हुआ जब गांव के अधिकांश लोग क्रिसमस की प्रार्थना के लिए पास के गांव में गए हुए थे। 25 दिसंबर की सुबह, जब ईसाई समुदाय के लोग अपने धार्मिक अनुष्ठान में व्यस्त थे, कट्टरपंथियों ने उनके घरों को निशाना बनाया। हमलावरों ने गांव के घरों में आग लगाई, जिससे 17 घर जलकर राख हो गए। इस हमले ने स्थानीय ईसाई समुदाय में डर और आक्रोश पैदा कर दिया है।
स्थानीय लोगों का कहना है कि यह हमला अचानक और योजनाबद्ध तरीके से किया गया। हमलावरों की संख्या बड़ी थी, और उन्होंने न केवल घरों को जलाया, बल्कि स्थानीय चर्च और अन्य धार्मिक स्थलों को भी नुकसान पहुँचाया। हमले के समय अधिकांश लोग गांव से बाहर थे, वरना स्थिति और भी भयावह हो सकती थी।
बांग्लादेश में धार्मिक अल्पसंख्यकों पर बढ़ता खतरा
यह हमला बांग्लादेश में धार्मिक अल्पसंख्यकों के खिलाफ बढ़ते हमलों का एक नया उदाहरण है। पहले हिंदू समुदाय को निशाना बनाया जा रहा था, लेकिन अब इस्लामिक कट्टरपंथी तत्वों ने ईसाइयों को भी अपनी हिंसा का शिकार बना लिया है। इस घटना के बाद, बांग्लादेश में ईसाई समुदाय में भय का माहौल बन गया है।
सरकार की प्रतिक्रिया
इस हमले के बाद, स्थानीय प्रशासन ने मामले की जांच शुरू कर दी है। हालांकि, अब तक हमलावरों की पहचान नहीं हो पाई है और न ही उन्हें गिरफ्तार किया गया है। सरकार की ओर से इस घटना पर कोई प्रभावी कदम उठाए जाने का दावा नहीं किया गया है, जिससे सवाल उठ रहे हैं कि क्या बांग्लादेश में धार्मिक अल्पसंख्यकों की सुरक्षा की कोई गारंटी है।
बांग्लादेश में धार्मिक हिंसा का बढ़ना न केवल वहां के अल्पसंख्यकों के लिए खतरे की घंटी है, बल्कि यह अंतरराष्ट्रीय समुदाय के लिए भी एक गंभीर चिंता का विषय है। अब वक्त आ गया है कि बांग्लादेश सरकार इस तरह की घटनाओं को रोकने के लिए कठोर कदम उठाए और धार्मिक अल्पसंख्यकों को सुरक्षा प्रदान करे।