AIN NEWS 1 | चुनाव आयोग ने सोमवार, 6 अक्टूबर 2025, को एक अहम घोषणा की — जिसमें बताया गया कि बिहार समेत सात राज्यों और एक केंद्र शासित प्रदेश की आठ विधानसभा सीटों पर उपचुनाव कराए जाएंगे। इन सभी सीटों पर मतदान 11 नवंबर 2025 को एक ही दिन होगा, जबकि मतगणना और परिणामों की घोषणा 14 नवंबर 2025 को की जाएगी।
इस घोषणा के साथ ही इन सभी राज्यों में आदर्श आचार संहिता तत्काल प्रभाव से लागू हो गई है। राजनीतिक दलों ने उपचुनाव की तैयारियां शुरू कर दी हैं और स्थानीय स्तर पर गतिविधियां तेज हो गई हैं।
क्यों पड़ रहे हैं ये उपचुनाव जरूरी?
इन उपचुनावों की वजह अलग-अलग राज्यों में अलग रही है। कुछ सीटें विधायकों के इस्तीफे के चलते खाली हुई हैं, तो कुछ वर्तमान प्रतिनिधियों की मृत्यु या अयोग्यता के कारण रिक्त हो गईं। चुनाव आयोग के मुताबिक, लोकतांत्रिक व्यवस्था की निरंतरता बनाए रखने के लिए इन सभी रिक्त सीटों पर समय पर चुनाव कराना आवश्यक है।
किन राज्यों में होंगी उपचुनाव की आठ सीटें?
इन उपचुनावों में जम्मू-कश्मीर, राजस्थान, झारखंड, तेलंगाना, पंजाब, मिजोरम, ओडिशा और बिहार शामिल हैं। आइए, एक-एक राज्य के अनुसार जानें कि कौन सी सीटें खाली हुई हैं और क्यों।
जम्मू और कश्मीर (2 सीटें)
बुडगाम (सीट संख्या 27) – यह सीट पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला के इस्तीफे के बाद खाली हुई है।
नागरोथा (सीट संख्या 77) – यहां उपचुनाव देवेंद्र सिंह राणा के निधन के बाद कराया जा रहा है।
जम्मू-कश्मीर में इन दोनों सीटों को लेकर राजनीतिक गतिविधियां तेजी पर हैं। नेशनल कॉन्फ्रेंस और बीजेपी दोनों ही क्षेत्रों में पूरी ताकत से चुनाव मैदान में उतरने की तैयारी कर रही हैं।
राजस्थान (1 सीट)
अंता (सीट संख्या 193) – यह सीट कंवरलाल की अयोग्यता के कारण रिक्त हुई है।
राजस्थान में यह उपचुनाव कांग्रेस और बीजेपी दोनों के लिए प्रतिष्ठा की लड़ाई मानी जा रही है, क्योंकि हाल ही में हुए राजनीतिक फेरबदल के बाद राज्य में दोनों दल अपनी स्थिति मजबूत करना चाहते हैं।
झारखंड (1 सीट)
घाटशिला (सीट संख्या 45, अनुसूचित जनजाति) – यह सीट रामदास सोरेन के निधन के बाद खाली हुई है।
झारखंड में यह उपचुनाव जनजातीय राजनीति को फिर से केंद्र में लाने वाला साबित हो सकता है। झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) और बीजेपी दोनों ही इस सीट पर जीत दर्ज करने के लिए एड़ी-चोटी का जोर लगा रहे हैं।
तेलंगाना (1 सीट)
जुबली हिल्स (सीट संख्या 61) – यह सीट मागंती गोपीनाथ के निधन के बाद खाली हुई है।
हैदराबाद की यह शहरी सीट राजनीतिक रूप से बेहद अहम मानी जाती है, जहां सत्तारूढ़ BRS (पूर्व TRS), कांग्रेस और बीजेपी के बीच त्रिकोणीय मुकाबला देखने को मिल सकता है।
पंजाब (1 सीट)
तरन तारन (सीट संख्या 21) – यह सीट डॉ. कश्मीर सिंह सोहल के निधन के बाद रिक्त हुई है।
पंजाब में यह उपचुनाव आम आदमी पार्टी (AAP) और कांग्रेस के लिए अग्निपरीक्षा साबित हो सकता है, क्योंकि राज्य की मौजूदा राजनीतिक स्थिति दोनों दलों के लिए चुनौतीपूर्ण है।
मिजोरम (1 सीट)
डंपा (सीट संख्या 2, अनुसूचित जनजाति) – यह सीट लालरिनट्लुआगा सेलिया की मृत्यु के बाद खाली हुई है।
मिजोरम में यह उपचुनाव क्षेत्रीय दल MNF और ZPM के बीच कड़ा मुकाबला प्रस्तुत कर सकता है।
ओडिशा (1 सीट)
नुआपड़ा (सीट संख्या 71) – यह सीट राजेंद्र ढोलकिया के निधन के कारण रिक्त हुई है।
बीजू जनता दल (BJD) के लिए यह सीट महत्वपूर्ण है, क्योंकि राज्य में पार्टी की पकड़ बनाए रखना मुख्यमंत्री नवीन पटनायक के लिए प्राथमिकता है।
नामांकन और नाम वापसी की प्रक्रिया
चुनाव आयोग ने इन सभी उपचुनावों के लिए विस्तृत कार्यक्रम जारी किया है।
सभी आठ सीटों के लिए गजट अधिसूचना 13 अक्टूबर 2025 को जारी की जाएगी।
जम्मू-कश्मीर और ओडिशा की सीटों के लिए नामांकन दाखिल करने की अंतिम तिथि 20 अक्टूबर तय की गई है।
झारखंड, मिजोरम, पंजाब और तेलंगाना में नामांकन की आखिरी तारीख 21 अक्टूबर होगी, और इन राज्यों में उम्मीदवार 24 अक्टूबर तक नाम वापस ले सकेंगे।
राजस्थान की अंता सीट के लिए नामांकन की अंतिम तिथि 21 अक्टूबर है, जबकि उम्मीदवार 27 अक्टूबर तक नाम वापस ले सकेंगे।
इन सभी राज्यों में अब प्रशासनिक और सुरक्षा तैयारियां भी तेज कर दी गई हैं ताकि मतदान शांतिपूर्ण ढंग से संपन्न हो सके।
राजनीतिक परिदृश्य और संभावनाएं
विश्लेषकों का कहना है कि ये उपचुनाव 2025 के अंत में होने वाले बड़े विधानसभा चुनावों से पहले जनता के मूड का संकेत देने वाले साबित हो सकते हैं।
हर राज्य में स्थानीय मुद्दे, क्षेत्रीय दलों की पकड़ और सत्तारूढ़ सरकारों के प्रदर्शन पर जनता का रुख देखने को मिलेगा।
बिहार और राजस्थान जैसे राज्यों में उपचुनाव राजनीतिक दलों के लिए 2025 के विधानसभा चुनावों की झलक भी साबित हो सकते हैं।
11 नवंबर 2025 को आठ विधानसभा सीटों पर होने वाले ये उपचुनाव न सिर्फ खाली पड़ी सीटों को भरने का माध्यम हैं, बल्कि ये कई राज्यों में राजनीतिक समीकरणों का भविष्य भी तय कर सकते हैं।
14 नवंबर को आने वाले नतीजे यह दिखाएंगे कि जनता का रुझान किस ओर है — मौजूदा सरकारों के पक्ष में या विपक्ष के समर्थन में।
सभी पार्टियों ने अपनी रणनीति बनानी शुरू कर दी है और अब देखने वाली बात यह होगी कि मतदाता इस बार किसे मौका देते हैं।