AIN NEWS 1 | बिहार विधानसभा चुनाव 2025 की तैयारियों में अब तेजी आ गई है और इस बार बहुजन समाज पार्टी (बीएसपी) ने बड़ा दांव खेलने का फैसला लिया है। पार्टी सुप्रीमो और उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री मायावती ने ऐलान किया है कि बिहार में उनकी पार्टी अकेले चुनावी मैदान में उतरेगी। इस निर्णय के साथ ही उन्होंने अपने भतीजे और पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक आकाश आनंद को अहम जिम्मेदारी सौंपी है।
पिछले दो दिनों में हुई बैठकों में मायावती ने वरिष्ठ पदाधिकारियों के साथ गहन मंथन किया। इस दौरान उम्मीदवारों के चयन, संगठन की कमियों की समीक्षा और आगामी रणनीति पर विस्तार से चर्चा हुई। मायावती ने स्पष्ट कर दिया कि बसपा किसी गठबंधन में शामिल नहीं होगी और राज्य की सभी सीटों पर अपने दम पर चुनाव लड़ेगी।
चुनावी रणनीति पर मंथन
बैठकों में यह तय हुआ कि चुनावी तैयारियों को बूथ स्तर तक मजबूत किया जाएगा। मायावती ने पदाधिकारियों से कहा कि वे तन, मन और धन से पूरी ताकत के साथ काम करें। उन्होंने निर्देश दिए कि संगठन की जिन कमियों की पहचान हुई है, उन्हें तुरंत दूर किया जाए। इसके साथ ही अगले महीने से पार्टी की यात्रा और जनसभाओं का सिलसिला शुरू करने का निर्णय भी लिया गया।
आकाश आनंद की भूमिका
इस पूरे अभियान की विशेष जिम्मेदारी मायावती के भतीजे और राष्ट्रीय संयोजक आकाश आनंद को दी गई है। उनके साथ राज्यसभा सांसद और केन्द्रीय कोऑर्डिनेटर रामजी गौतम भी अहम जिम्मेदारी निभाएंगे। बिहार स्टेट यूनिट को भी चुनाव की दिशा तय करने का काम सौंपा गया है। मायावती ने साफ किया कि सभी कार्यक्रम उनकी निगरानी और मार्गदर्शन में होंगे।
बिहार जैसे बड़े राज्य में चुनावी समीकरण को देखते हुए पार्टी ने राज्य को तीन ज़ोन में बांटने का फैसला किया है। प्रत्येक ज़ोन की कमान वरिष्ठ नेताओं को दी जाएगी, ताकि पूरे प्रदेश में पार्टी की मौजूदगी और संगठनात्मक क्षमता को मज़बूती मिले।
जनाधार बढ़ाने पर फोकस
मायावती ने अपने संबोधन में कहा कि बिहार की राजनीतिक परिस्थितियाँ लगातार बदल रही हैं। ऐसे में बीएसपी को जनता के बीच अपना जनाधार बढ़ाने पर विशेष ध्यान देना होगा। उन्होंने भरोसा जताया कि संगठन की एकजुटता और सही रणनीति से पार्टी इस बार बेहतर प्रदर्शन करेगी।
इससे पहले उड़ीसा और तेलंगाना में भी बीएसपी ने जिला स्तर से लेकर बूथ स्तर तक संगठन की संरचना को मज़बूत करने पर जोर दिया था। मायावती ने खुद वहां की समीक्षा बैठकें की थीं और कार्यकर्ताओं को जनाधार बढ़ाने के लिए विशेष लक्ष्य सौंपे थे। अब बिहार में भी वही पैटर्न अपनाया जा रहा है।
मायावती का संदेश
मायावती ने साफ कहा कि पार्टी का हर छोटा-बड़ा कार्यक्रम उनके मार्गदर्शन में ही होगा। उन्होंने सभी पदाधिकारियों को यह संदेश दिया कि अब समय बर्बाद करने का नहीं बल्कि जमीन पर उतरकर जनता तक पहुँचने का है। उन्होंने कहा कि आने वाले दिनों में होने वाली यात्राएँ, जनसभाएँ और कार्यक्रम पार्टी की ताकत और जनाधार को मज़बूत करेंगे।
बिहार में क्यों अकेले लड़ रही है बसपा?
बहुजन समाज पार्टी अब तक कई राज्यों में गठबंधन की राजनीति करती रही है, लेकिन बिहार में अकेले उतरने का फैसला एक रणनीतिक कदम माना जा रहा है। पार्टी मानती है कि गठबंधन में शामिल होने से उसका जनाधार दब जाता है और कार्यकर्ताओं का उत्साह कम होता है। अकेले चुनाव लड़कर बसपा न केवल अपनी पहचान बनाए रखना चाहती है बल्कि राज्य की राजनीति में मजबूत विकल्प के रूप में खुद को स्थापित करना चाहती है।
आकाश आनंद का कद बढ़ा
बीएसपी की नई रणनीति से यह भी स्पष्ट है कि मायावती अब अपने भतीजे आकाश आनंद को बड़े राजनीतिक नेता के रूप में तैयार कर रही हैं। उन्हें राष्ट्रीय संयोजक की जिम्मेदारी मिलने के बाद अब बिहार जैसे महत्वपूर्ण राज्य की कमान सौंपना उनके कद को और बड़ा करेगा।
आकाश आनंद युवा नेताओं में गिने जाते हैं और उन्हें मायावती का उत्तराधिकारी भी माना जा रहा है
बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में बहुजन समाज पार्टी का अकेले उतरना, पार्टी और राज्य की राजनीति दोनों के लिए अहम है। मायावती का यह कदम बसपा के कार्यकर्ताओं को ऊर्जा देगा और आकाश आनंद के नेतृत्व में पार्टी को नई दिशा मिल सकती है। अब देखने वाली बात यह होगी कि क्या बीएसपी बिहार की सियासत में वह पकड़ बना पाएगी, जिसका वह लंबे समय से सपना देख रही है।



















