AIN NEWS 1 सिलीगुड़ी (पश्चिम बंगाल): बिहार से परीक्षा देने आए दो युवाओं के साथ कथित तौर पर मारपीट और धमकी देने के मामले में बागडोगरा पुलिस ने दो लोगों को गिरफ्तार किया है। गिरफ्तार आरोपियों की पहचान राजत भट्टाचार्य और गिरिधारी रॉय के रूप में हुई है, जो सिलीगुड़ी के निवासी हैं और “बंगला पक्खो” नामक एक प्रो-बंगाली संगठन से जुड़े हुए हैं।
इस घटना का खुलासा तब हुआ जब युवाओं का एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ, जिसमें वे अपने कमरे में सोए हुए दिखाई दे रहे हैं। वीडियो में कुछ लोग घुसते हैं और पूछते हैं कि क्या वे बांग्ला समझते हैं। जब एक छात्र ने कहा कि उन्हें बांग्ला नहीं आता, तो उन पर हमला करना शुरू कर दिया गया। आरोपियों ने कहा कि उन्हें दूसरे राज्यों में परीक्षा देने का अधिकार नहीं है।
एक छात्र ने समझाने की कोशिश की कि उन्हें सिलीगुड़ी परीक्षा केंद्र आवंटित किया गया है, लेकिन आरोपियों ने बार-बार उनसे दस्तावेज दिखाने के लिए कहा। वे खुद को आईबी का बताकर युवाओं को परेशान करते रहे।
सिलीगुड़ी पुलिस के डीसीपी बिस्वाचंद ठाकुर ने बताया कि बागडोगरा पुलिस ने शाम को एक शिकायत के आधार पर दो आरोपियों को गिरफ्तार किया। उन्होंने कहा, “दो युवाओं को धमकाने और परेशान करने के आरोप में बागडोगरा पुलिस ने दो लोगों को गिरफ्तार किया है। आगे की जांच जारी है।”
इस घटना ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की ओर से व्यापक आलोचना को जन्म दिया है। केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने पश्चिम बंगाल सरकार पर निशाना साधते हुए कहा, “बंगाल में रोहिंग्या मुसलमानों के लिए लाल कालीन बिछाया गया है, जबकि बिहार के बच्चों के साथ मारपीट की गई है। क्या ये बच्चे भारत का हिस्सा नहीं हैं? क्या ममता सरकार केवल बलात्कारी बचाने का ठेका ले चुकी है?”
उसी समय, लोजपा प्रमुख चिराग पासवान ने इस घटना पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की। उन्होंने लिखा, “पश्चिम बंगाल में बिहारी छात्रों पर क्रूर हमले की खबर बहुत दुर्भाग्यपूर्ण और निंदनीय है। उस राज्य के मुख्यमंत्री ने एक बार फिर बिहारी लोगों का अपमान किया है, जिसे सहन नहीं किया जा सकता।”
पासवान ने बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से इस मामले की जांच कराने और आरोपियों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की मांग की। उन्होंने सवाल किया कि विपक्ष के नेता अब तृणमूल कांग्रेस का समर्थन किस आधार पर करेंगे।
इस घटना ने पश्चिम बंगाल की कानून-व्यवस्था पर सवाल उठाए हैं और यह चर्चा का विषय बन गया है कि राज्य में बाहरी लोगों के साथ कैसा व्यवहार किया जा रहा है।
पश्चिम बंगाल सरकार की आलोचना के बीच यह घटना यह दिखाती है कि राजनीतिक रूप से संवेदनशील मुद्दे पर विभिन्न दलों के बीच गहरा मतभेद हो सकता है, जो राज्य में आने वाले समय में और बढ़ सकता है।