AIN NEWS 1 | पहलगाम आतंकी हमले को लेकर भारतीय जनता पार्टी (BJP) के राज्यसभा सांसद रामचंद्र जांगड़ा का बयान विवादों में घिर गया है। एक कार्यक्रम में उन्होंने कहा कि यदि पर्यटक आतंकियों के सामने हाथ न जोड़ते और जवाबी कार्रवाई करते, तो उनकी जान बच सकती थी।
उन्होंने कहा, “अगर उन पर्यटकों को वैसी ट्रेनिंग मिली होती जैसी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी देश को देना चाहते हैं, तो तीन आतंकवादी 26 लोगों को नहीं मार सकते थे।” जांगड़ा ने दावा किया कि अगर पर्यटकों ने लाठियों या डंडों से हमला कर दिया होता, तो ज्यादा से ज्यादा 5-6 लोग ही मारे जाते और आतंकी भी मारे जाते।
🧕 महिलाओं को लेकर दिया विवादास्पद बयान
जांगड़ा ने पीड़ित महिलाओं को लेकर भी आपत्तिजनक टिप्पणी की। उन्होंने कहा, “जिनकी मांग का सिंदूर उजड़ गया, अगर वे रानी अहिल्याबाई का इतिहास पढ़ी होतीं तो वो आतंकियों को अपने पति को गोली नहीं मारने देतीं, भले ही वे खुद शहीद हो जातीं।” उन्होंने कहा कि पीड़ित महिलाओं में “वीरांगनाओं वाला भाव, जोश और जज्बा” नहीं था।
📚 2014 के बाद सिखाया गया ‘संग्राम का इतिहास’
सांसद ने यह भी कहा कि देश में वीरता और संघर्ष का इतिहास सिखाने की परंपरा 2014 में मोदी सरकार के आने के बाद शुरू हुई। उन्होंने कहा कि देश की हर नारी के अंदर रानी अहिल्या बाई जैसा जज्बा होना चाहिए।
BJP Rajya Sabha MP Ramchandra Jangra made a controversial statement on the Pahalgam terror attack, blaming the tourists for not retaliating against terrorists. He claimed that if the women had the spirit of historical warriors like Rani Ahilyabai, their husbands might not have been killed. His comments, which also include remarks about lacking “veerangana spirit,” have sparked outrage and debate across the country. This incident highlights political controversy, gender sensitivity, and terror victim-shaming.