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भाजपा का अगला अध्यक्ष कौन होगा? आरएसएस ने तय किए नए मानक और भेजा साफ संदेश!

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Who Will Be the Next BJP President? RSS Sends Strong Message with Clear Guidelines

भाजपा का अगला राष्ट्रीय अध्यक्ष कौन होगा? आरएसएस ने दिए संकेत और तय किए मानक

AIN NEWS 1 नई दिल्ली: लोकसभा चुनाव 2024 में भारतीय जनता पार्टी (BJP) भले ही सत्ता में लौटी हो, लेकिन इस बार की जीत पहले जैसी प्रचंड नहीं रही। पूर्ण बहुमत से चूकने के बाद भाजपा अब एक गठबंधन सरकार चला रही है। इस नए राजनीतिक परिदृश्य में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) की भूमिका और भी अधिक सक्रिय और स्पष्ट हो गई है।

भाजपा में आंतरिक बदलावों की प्रक्रिया तेज हो गई है और इसी क्रम में अब पार्टी अपने नए राष्ट्रीय अध्यक्ष की तलाश में है। इस बीच संघ ने साफ संदेश दे दिया है कि अगला भाजपा अध्यक्ष कैसा होना चाहिए — न केवल रणनीतिक, बल्कि वैचारिक रूप से मजबूत और संगठन से गहराई से जुड़ा हुआ।

संघ का संदेश क्या है?

हाल ही में संघ प्रमुख मोहन भागवत ने सार्वजनिक मंचों पर कुछ ऐसे बयान दिए हैं जिन्हें भाजपा के लिए ‘साफ संकेत’ माना जा रहा है। उन्होंने सत्ता में बढ़ती “अहंकार की भावना” और “संवादहीनता” पर सवाल उठाए। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि ये टिप्पणियाँ भाजपा नेतृत्व की व्यक्ति-केंद्रित कार्यशैली पर प्रत्यक्ष कटाक्ष थीं।

संघ का मानना है कि अब समय है संगठन आधारित नेतृत्व को प्राथमिकता देने का।

भविष्य के अध्यक्ष के लिए संघ की अपेक्षाएं:

संघ की नजरों में अगला भाजपा अध्यक्ष कुछ खास गुणों से लैस होना चाहिए:

युवा और ऊर्जावान हो: संघ चाहता है कि अध्यक्ष अपेक्षाकृत युवा हो, जो नई ऊर्जा के साथ संगठन को दिशा दे सके।

संगठन से गहरी जुड़ाव: वह व्यक्ति वर्षों से संगठन में सक्रिय रहा हो — शाखा, मंडल, प्रांत, या बूथ स्तर पर काम किया हो।

वैचारिक रूप से स्पष्ट: जैसे समान नागरिक संहिता (UCC), जनसंख्या नियंत्रण, सांस्कृतिक राष्ट्रवाद और शिक्षा सुधार जैसे विषयों पर स्पष्ट दृष्टिकोण रखता हो।

संवादशील और लोकतांत्रिक सोच वाला: पार्टी कैडर से संवाद करता हो, सुझावों को सुनता हो, और संगठन में आंतरिक लोकतंत्र को प्राथमिकता देता हो।

राजनीतिक तपस्या वाला नेता: टेक्नोक्रेट नहीं, बल्कि संघर्ष और तप से नेतृत्व तक पहुँचा हुआ कार्यकर्ता हो।

टेक्नोक्रेट्स और बाहर से आए नेताओं पर चिंता

संघ यह स्पष्ट कर चुका है कि भाजपा में तेजी से बढ़ती टेक्नोक्रेट और राजनीतिक प्रवासियों की संख्या चिंता का विषय है। ऐसे नेता जो संगठन की बुनियाद से नहीं जुड़े हैं, उनकी जगह वह नेता चाहिए जो संघ की संस्कृति और मूल्यों को आत्मसात करता हो।

संघ का मानना है कि नेतृत्व का भार केवल मैनेजमेंट या सोशल मीडिया इमेज से नहीं उठाया जा सकता — इसके लिए ज़मीन से जुड़ा होना और संगठन में वर्षों की तपस्या ज़रूरी है।

प्रदेश अध्यक्षों में बदलाव: संगठनात्मक तैयारी

भाजपा ने देश के 36 में से 28 राज्यों में प्रदेश अध्यक्ष बदल दिए हैं या नए अध्यक्षों की घोषणा कर दी है। ये बदलाव एक बड़े संगठनात्मक पुनर्गठन का हिस्सा हैं।

अभी जिन राज्यों में प्रदेश अध्यक्ष की घोषणा बाकी है, वे बेहद अहम हैं — उत्तर प्रदेश, कर्नाटक, गुजरात और हरियाणा। इन राज्यों में नए अध्यक्षों की घोषणा के बाद राष्ट्रीय अध्यक्ष का नाम तय करना आसान होगा।

यह बदलाव दर्शाता है कि पार्टी अपने संगठनात्मक ढांचे को नए युग के लिए तैयार कर रही है — खासकर उस समय जब भाजपा गठबंधन सरकार चला रही है और विपक्ष पहले से अधिक मजबूत स्थिति में है।

75 की उम्र पर संकेत

हालांकि भाजपा या संघ में 75 वर्ष की उम्र के बाद रिटायरमेंट को लेकर कोई लिखित नियम नहीं है, लेकिन संघ प्रमुख मोहन भागवत के हालिया बयान से अटकलें तेज हो गई हैं।

उन्होंने कहा कि “75 पार कर चुके नेताओं को उत्तराधिकार तय करने की जरूरत है।” यह बयान इस ओर इशारा करता है कि भाजपा का अगला अध्यक्ष अपेक्षाकृत युवा होगा।

क्या संकेत किसी नाम की ओर हैं?

फिलहाल संघ ने किसी खास नाम का संकेत नहीं दिया है, लेकिन संघ के बताए मापदंडों पर कुछ नाम चर्चा में हैं — जिनमें वे नेता शामिल हैं जो वर्षों से संगठन से जुड़े रहे हैं, जिनकी वैचारिक स्पष्टता मजबूत है और जिनका जमीनी आधार है।

नाम भले ही सामने न आए हों, लेकिन संघ का रुख स्पष्ट है — व्यक्ति की लोकप्रियता नहीं, संगठन की आत्मा से जुड़ा नेतृत्व ही भविष्य में भाजपा को मजबूती देगा।

भाजपा इस समय एक बेहद अहम मोड़ पर खड़ी है। पूर्ण बहुमत की सरकार से गठबंधन सरकार तक की यात्रा में पार्टी को अपनी रणनीतियों, नेतृत्व और संगठनात्मक संरचना पर नए सिरे से सोचने की आवश्यकता है।

संघ का यह हस्तक्षेप और स्पष्ट दिशा-निर्देश यह साबित करता है कि भाजपा का अगला राष्ट्रीय अध्यक्ष सिर्फ एक नाम नहीं, बल्कि पार्टी के भविष्य की दिशा और दशा तय करने वाला चेहरा होगा।

The Rashtriya Swayamsevak Sangh (RSS) has sent a strong message regarding the selection of the next BJP national president. In light of BJP’s changing political landscape after the 2024 Lok Sabha elections, the RSS demands a leader with ideological clarity, strong communication with party cadre, and commitment to internal democracy. As BJP has already replaced presidents in 28 states, the focus now shifts to choosing a national leader who reflects the RSS’s core values, especially in critical states like Uttar Pradesh, Karnataka, and Gujarat.

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