BSP Reacts to Prayagraj Violence: Support for Dalit Youths, Targets Azad Samaj Party
प्रयागराज हिंसा पर बसपा की नजर: निर्दोष दलित युवाओं के लिए समर्थन, आजाद समाज पार्टी को घेरने की तैयारी
AIN NEWS 1: प्रयागराज में हाल ही में हुई हिंसा के बाद, बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की नजरें इस पूरे घटनाक्रम पर टिक गई हैं। मामला उस समय तूल पकड़ गया जब आजाद समाज पार्टी के प्रमुख और सांसद चंद्रशेखर आजाद को नजरबंद किया गया और इसके विरोध में शहर में हिंसक घटनाएं सामने आईं। इस दौरान कई दलित युवाओं के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गईं।
बसपा अब इन युवाओं की मदद के साथ-साथ आजाद समाज पार्टी की सियासी घेराबंदी की रणनीति बना रही है। पार्टी के भीतर से मिली जानकारी के अनुसार, जिन युवाओं पर केस दर्ज हुआ है, उनमें से कई बसपा के स्थानीय नेताओं और जिला इकाइयों से संपर्क कर रहे हैं। उनका दावा है कि वे घटना स्थल पर मौजूद ही नहीं थे और उन्हें गलत तरीके से फंसाया गया है।
इन दावों की पुष्टि के लिए बसपा के वरिष्ठ नेता खुद प्रयासरत हैं। वे पुलिस अधिकारियों से संपर्क कर निर्दोष युवाओं को न्याय दिलाने की दिशा में पहल कर रहे हैं। साथ ही, कुछ वकीलों को भी इस प्रयास में जोड़ा गया है ताकि कानूनी स्तर पर मदद दी जा सके।
इस मामले की जानकारी पार्टी सुप्रीमो मायावती और शीर्ष नेतृत्व तक भी पहुंच चुकी है। इसके बाद एक ठोस रणनीति पर काम शुरू हो गया है, जिससे निर्दोषों को राहत दिलाई जा सके और सियासी रूप से भी फायदा उठाया जा सके।
आकाश आनंद की पुरानी चेतावनी हो रही प्रासंगिक
लोकसभा चुनाव के दौरान बसपा नेता आकाश आनंद ने बिना नाम लिए चंद्रशेखर आजाद पर कटाक्ष करते हुए कहा था कि कुछ लोग खुद को मसीहा साबित करने के लिए युवाओं को गुमराह करते हैं, गुस्से में भरकर धरना-प्रदर्शन कराते हैं और बाद में वही युवा कानूनी मामलों में उलझ जाते हैं। आकाश ने चेताया था कि एक बार किसी युवा पर केस दर्ज हो जाए तो उसकी नौकरी और पढ़ाई दोनों प्रभावित हो सकती हैं और बाद में कोई उसकी मदद को भी आगे नहीं आता।
अब जब दलित युवाओं पर मुकदमे दर्ज हो चुके हैं, तो आकाश आनंद की वह बात सच होती दिख रही है। बसपा इस मौके को गंभीरता से लेते हुए आजाद समाज पार्टी के खिलाफ एक सधी हुई रणनीति के तहत आगे बढ़ रही है।
बसपा और चंद्रशेखर आजाद के बीच बढ़ती तल्खी
हाल के महीनों में बसपा और आजाद समाज पार्टी के नेताओं के बीच तीखी बयानबाजी देखने को मिली है। एक तरफ चंद्रशेखर आजाद ने आकाश आनंद को जनता द्वारा नकारे जाने वाला नेता बताया, तो दूसरी ओर मायावती ने चंद्रशेखर को “बरसाती मेंढ़क” कहकर पलटवार किया।
इन जुबानी हमलों के बीच अब प्रयागराज की घटना ने सियासी गर्मी और बढ़ा दी है। बसपा को लगता है कि यह आजाद समाज पार्टी को कमजोर करने का उपयुक्त समय है। पार्टी नेताओं की मानें तो यह घटनाक्रम उनके लिए न सिर्फ सियासी अवसर है बल्कि दलित युवाओं के बीच अपनी छवि को मजबूत करने का भी एक मौका है।
बसपा प्रयागराज की हिंसा को सिर्फ एक कानूनी मामला नहीं, बल्कि एक सियासी अवसर के रूप में देख रही है। निर्दोष दलित युवाओं को न्याय दिलाने की आड़ में पार्टी आजाद समाज पार्टी पर भी हमला बोल रही है। आने वाले दिनों में यह टकराव और गहराता दिख सकता है।
In the wake of Prayagraj violence following the house arrest of Azad Samaj Party chief Chandrashekhar Azad, the Bahujan Samaj Party (BSP) has taken a strong interest in the FIRs filed against numerous Dalit youths. With BSP aiming to support innocent victims and simultaneously tighten its political grip against the Azad Samaj Party, tensions are rising. Akash Anand’s earlier warnings now seem prophetic as the legal repercussions unfold. This development underscores growing political rivalry between BSP and Chandrashekhar Azad amid the Uttar Pradesh caste-centric landscape.