हरियाणा सरकार ने इस बार एक अनुमानित बजट 1,89,876 करोड़ रुपये का पेश किया है। चुनावी मैदान में भाजपा और कांग्रेस ने अपने-अपने लुभावने वादे किए हैं, जिसके अनुसार बजट का लगभग 16-17% हिस्सा मुफ्त योजनाओं पर खर्च होने की संभावना है।
वादों का वित्तीय आकलन
- कांग्रेस की घोषणाएं: लगभग 36,000 से 38,000 करोड़ रुपये का बोझ।
- भाजपा की घोषणाएं: करीब 30,000 से 32,000 करोड़ रुपये का अनुमान।
ऋण भुगतान और सामाजिक सेवाएं
हरियाणा के बजट का 31% हिस्सा पहले से ऋण भुगतान में चला जाता है। इस स्थिति में मुफ्त वादों को पूरा करना किसी भी पार्टी की सरकार के लिए चुनौतीपूर्ण साबित होगा।
- पेंशन बजट: 2024-25 वित्तीय वर्ष में पेंशन का बजट 10,971 करोड़ रुपये है, जो कुल बजट का 5.78% है। 2013-14 में यह आंकड़ा 1,753 करोड़ रुपये था, जबकि पेंशन लाभार्थियों की संख्या भी बढ़ी है।
विशेषज्ञों की राय
अर्थशास्त्री डॉ. सुनील कुमार के अनुसार:
- मुफ्त योजनाएं यदि ऊपरी तबकों के लिए हैं, तो उन्हें बोझ समझा जाएगा। जबकि यदि ये निचले तबकों के लिए हैं, तो इन्हें संपत्ति के रूप में देखा जा सकता है।
- महिलाओं को आर्थिक सहायता देने से उनकी खरीदारी की क्षमता बढ़ेगी, जिससे बाजार में सक्रियता आएगी।
- सरकार को इन योजनाओं को लागू करने के लिए संसाधन बढ़ाने, फिजूलखर्ची रोकने और आवश्यक मदों में कटौती करने की आवश्यकता है।
- जीएसटी की वजह से नए कर नहीं लगाए जा सकते, इसलिए आय और नौकरी के अवसर पैदा करने पर जोर दिया जाना चाहिए।
बजट आवंटन का वितरण
हरियाणा सरकार के बजट में निम्नलिखित प्रमुख क्षेत्र शामिल हैं:
- आर्थिक सेवाएं: 23.12%
- कृषि, सिंचाई: 11.52%
- परिवहन और सड़के: 4.16%
- ग्रामीण विकास: 3.86%
- सामान्य सेवाएं: 14.66%
- प्रशासनिक सेवाएं: 4.39%
- पेंशन: 8.08%
- सामाजिक सेवाएं: 31.05%
- शिक्षा: 10.94%
- समाज कल्याण: 7.59%
- ऋण भुगतान: 31.17%
- मूलधन: 17.93%
- ब्याज: 13.24%
निष्कर्ष
हरियाणा में भाजपा और कांग्रेस दोनों की घोषणाओं का बजट पर गंभीर असर पड़ सकता है। मुफ्त योजनाओं की भरपाई के लिए सरकार को कुशलता से वित्तीय प्रबंधन करना होगा, ताकि अन्य आवश्यक क्षेत्रों में कटौती करने की नौबत न आए।