AIN NEWS 1 | बिहार विधानसभा चुनाव जैसे-जैसे नजदीक आ रहे हैं, राज्य में राजनीतिक माहौल लगातार गर्माता जा रहा है। इसी बीच मुख्य चुनाव आयुक्त (CEC) ज्ञानेश कुमार ने कानून-व्यवस्था और मतदान सुरक्षा को लेकर सख्त रुख अपनाया है। उन्होंने स्पष्ट शब्दों में कहा कि चुनाव के दौरान किसी भी प्रकार की हिंसा या अशांति को बिल्कुल भी बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
उन्होंने बताया कि चुनाव आयोग पूरी तरह से ‘जीरो टॉलरेंस पॉलिसी’ पर काम कर रहा है और यह सुनिश्चित किया जाएगा कि हर मतदाता निर्भय होकर और निष्पक्ष रूप से अपने मताधिकार का प्रयोग कर सके। यह बयान तब आया है जब मोकामा से जदयू प्रत्याशी अनंत सिंह को दुलारचंद यादव हत्याकांड में गिरफ्तार किया गया है।
चुनाव आयोग की सख्त चेतावनी
मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने मीडिया से बात करते हुए कहा —
“चुनाव आयोग के लिए न कोई पक्ष है और न कोई विपक्ष। सभी राजनीतिक दल हमारे लिए समान हैं। हम यह सुनिश्चित करेंगे कि किसी भी कीमत पर हिंसा को जगह न मिले। जो भी व्यक्ति या संगठन चुनावी प्रक्रिया को बाधित करने की कोशिश करेगा, उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।”
उन्होंने आगे कहा कि आयोग का मकसद है कि हर मतदाता शांतिपूर्वक और पारदर्शी माहौल में मतदान कर सके। इसके लिए राज्य के सभी जिलों में सुरक्षा बलों को तैनात किया जा रहा है और संवेदनशील इलाकों में विशेष निगरानी रखी जाएगी।
शांतिपूर्ण और निष्पक्ष चुनाव की तैयारी
ज्ञानेश कुमार ने बताया कि चुनाव आयोग का प्राथमिक उद्देश्य निष्पक्ष, पारदर्शी और शांतिपूर्ण चुनाव कराना है। उन्होंने कहा कि किसी भी अफवाह या हिंसा की कोशिश पर तुरंत कार्रवाई होगी।
राज्य के हर जिले में विशेष मॉनिटरिंग टीमें बनाई गई हैं, जो मतदान से पहले और मतदान के दिन तक हालात पर लगातार नजर रखेंगी। ये टीमें स्थानीय प्रशासन और सुरक्षा एजेंसियों के साथ मिलकर काम करेंगी ताकि किसी भी अप्रिय स्थिति से तुरंत निपटा जा सके।
मतदाताओं से अपील – “निर्भय होकर मतदान करें”
मुख्य चुनाव आयुक्त ने राज्य के मतदाताओं से अपील करते हुए कहा,
“लोग बिना किसी डर या दबाव के मतदान करें। आपकी सुरक्षा हमारी सर्वोच्च प्राथमिकता है। हर मतदान केंद्र पर सुरक्षा बल तैनात रहेंगे ताकि कोई भी व्यक्ति भयभीत न हो।”
उन्होंने यह भी बताया कि मतदान के दिन वीडियो निगरानी और लाइव मॉनिटरिंग की व्यवस्था की जाएगी ताकि हर गतिविधि पर नजर रखी जा सके।
अनंत सिंह की गिरफ्तारी से बढ़ी राजनीतिक हलचल
मोकामा में पूर्व बाहुबली नेता और जन सुराज समर्थक दुलारचंद यादव की हत्या ने बिहार के राजनीतिक माहौल को हिला दिया। हत्या के बाद प्रशासन तुरंत हरकत में आया और चुनाव आयोग के निर्देश पर सख्त कार्रवाई शुरू की गई।
इसी क्रम में जदयू प्रत्याशी अनंत सिंह को उनके बेढ़ना मार्केट स्थित घर से गिरफ्तार किया गया। गिरफ्तारी के दौरान इलाके में भारी पुलिस बल तैनात किया गया ताकि कोई अप्रिय घटना न हो। पुलिस ने बताया कि अनंत सिंह को कड़ी सुरक्षा के बीच पटना पुलिस लाइन लाया गया है और यह पूरी कार्रवाई चुनाव आयोग की निगरानी में की गई।
इस कदम के बाद चुनाव आयोग का संदेश साफ है — कानून से ऊपर कोई नहीं, चाहे वह कितना भी प्रभावशाली क्यों न हो।
दो चरणों में होगा बिहार विधानसभा चुनाव
बिहार विधानसभा चुनाव इस बार दो चरणों में कराए जा रहे हैं।
पहला चरण: 6 नवंबर
दूसरा चरण: 11 नवंबर
मुख्य चुनाव आयुक्त ने कहा कि दोनों चरणों के दौरान सुरक्षा व्यवस्था को अभूतपूर्व स्तर पर मजबूत किया गया है। मतदान केंद्रों के आसपास CCTV कैमरे, वीडियो रिकॉर्डिंग, और केंद्रीय अर्धसैनिक बलों की तैनाती की जा रही है।
उन्होंने यह भी बताया कि आयोग ने सभी जिलाधिकारियों और पुलिस अधीक्षकों को सख्त निर्देश दिए हैं कि किसी भी स्थिति में कानून-व्यवस्था न बिगड़े और किसी भी पार्टी या प्रत्याशी को अनुचित लाभ न मिले।
क्या है दुलारचंद यादव हत्याकांड?
मोकामा में हुए इस हत्याकांड ने चुनावी माहौल में हलचल मचा दी है।
सूत्रों के अनुसार, दुलारचंद यादव को जन सुराज प्रत्याशी पीयूष के समर्थक के रूप में जाना जाता था। बताया जाता है कि उनके प्रभाव क्षेत्र में राजनीतिक तनाव बढ़ा हुआ था। हत्या के बाद से ही अनंत सिंह का नाम मुख्य आरोपी के रूप में उभरा।
चुनाव आयोग ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए तत्काल जांच के आदेश दिए और प्रशासन को निष्पक्ष कार्रवाई सुनिश्चित करने का निर्देश दिया।
आयोग की सख्ती से बढ़ा विश्वास
चुनाव आयोग की इस सख्त कार्रवाई के बाद मतदाताओं में भरोसा बढ़ा है। जनता को उम्मीद है कि इस बार बिहार में बिना डर और हिंसा के लोकतंत्र का त्योहार मनाया जाएगा।
विशेषज्ञों का मानना है कि अगर आयोग अपनी इस जीरो टॉलरेंस नीति पर दृढ़ता से कायम रहा, तो यह चुनाव बिहार की राजनीतिक संस्कृति में एक नई मिसाल कायम करेगा।
मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार का यह बयान सिर्फ एक चेतावनी नहीं बल्कि लोकतंत्र की गरिमा बनाए रखने का संकल्प है। बिहार जैसे संवेदनशील राज्य में निष्पक्ष और शांतिपूर्ण चुनाव कराना बड़ी चुनौती है, लेकिन आयोग का यह रुख बताता है कि इस बार किसी को भी कानून हाथ में लेने की छूट नहीं दी जाएगी।
चुनाव आयोग का सख्त रुख जनता के विश्वास को मजबूत करेगा और लोकतंत्र की जड़ों को और गहरा बनाएगा।



















