AIN NEWS 1 नई दिल्ली: उत्तर प्रदेश के राबर्ट्सगंज से समाजवादी पार्टी (सपा) के सांसद छोटेलाल खरवार की समस्याएं लगातार बढ़ती जा रही हैं। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने उन्हें चुनावी हलफनामे में तथ्यों को छिपाने के मामले में नोटिस जारी किया है और अब फर्जी जाति प्रमाणपत्र के आधार पर चुनाव लड़ने के आरोपों पर चंदौली के जिलाधिकारी (डीएम) को दस हफ्ते में निर्णय लेने का आदेश दिया है।
पृष्ठभूमि: सांसद छोटेलाल खरवार चंदौली जिले के निवासी हैं। उनकी जाति खरवार को अनुसूचित जाति (SC) की सूची में शामिल किया गया है, जबकि सोनभद्र जिले में यह अनुसूचित जनजाति (ST) के अंतर्गत आती है। खरवार ने चंदौली से अनुसूचित जाति का प्रमाणपत्र लेकर राबर्ट्सगंज सीट से चुनाव लड़ा और जीत हासिल की।
आरोप: खरवार पर आरोप है कि उन्होंने अपने सभी दस्तावेजों में स्थायी पता सोनभद्र बताते हुए वहां की वोटर लिस्ट में नाम दर्ज कराया। इसके बावजूद, चुनाव में वह चंदौली से अनुसूचित जाति का प्रमाणपत्र लेकर भागे। सोनभद्र के मतदाता इंद्रजीत ने चुनाव के दौरान इस पर आपत्ति जताते हुए निर्वाचन अधिकारी से शिकायत की थी। जब कोई कार्रवाई नहीं हुई, तो उन्होंने इलाहाबाद हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की।
कोर्ट की कार्रवाई: हाईकोर्ट ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए निर्वाचन अधिकारी को निर्देश दिया है कि वह दस हफ्ते के भीतर इस पर निर्णय लें। यदि खरवार का जाति प्रमाणपत्र गलत पाया जाता है, तो न केवल उनकी लोकसभा सदस्यता समाप्त हो सकती है, बल्कि उनका निर्वाचन भी रद्द किया जा सकता है।
याचिका और सुनवाई: इससे पहले, सांसद खरवार के खिलाफ अपना दल (एस) की रिंकी सिंह ने भी निर्वाचन रद्द करने की मांग करते हुए याचिका दायर की थी। हाईकोर्ट ने इस याचिका पर सुनवाई करते हुए खरवार को नोटिस जारी कर उनसे जवाब मांगा था।
निष्कर्ष: सांसद छोटेलाल खरवार की जाति प्रमाणपत्र से जुड़ी यह समस्या न केवल उनकी राजनीतिक करियर के लिए चुनौती बन गई है, बल्कि यह पूरे निर्वाचन प्रक्रिया में पारदर्शिता और सत्यनिष्ठा पर भी सवाल खड़ा करती है। हाईकोर्ट के निर्देश से साफ है कि अब यह मामला चुनावी नियमों के अनुसार निर्णय के लिए आगे बढ़ेगा, जिससे खरवार की भविष्य की राजनीतिक स्थिति पर भी असर पड़ेगा।
इस पूरे प्रकरण से यह भी स्पष्ट होता है कि चुनावी हलफनामे में दी गई जानकारियों की सत्यता और जाति प्रमाणपत्रों का सही उपयोग बेहद महत्वपूर्ण है, ताकि चुनावी प्रक्रिया की निष्पक्षता बनी रहे।