AIN NEWS 1 नई दिल्ली | भारत के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने दिल्ली में राष्ट्रीय न्यायालय संग्रहालय का उद्घाटन करते हुए कहा कि यह संग्रहालय न्यायालय की प्रतिष्ठा, संविधान के महत्व और नागरिकों के मौलिक अधिकारों के प्रति समर्पण को दर्शाने का प्रतीक है। उन्होंने इसे देश की युवा पीढ़ी के लिए एक प्रेरणास्रोत और न्याय व्यवस्था के इतिहास को समझने का एक सशक्त माध्यम बनाने का उद्देश्य बताया।
मुख्य न्यायाधीश चंद्रचूड़ ने बताया कि इस संग्रहालय की संकल्पना और योजना को तैयार करने में लगभग डेढ़ साल का समय लगा। इस पूरी योजना को धरातल पर लाने में छह महीने का समय लगा, और इसे न्यायालय के निर्धारित कार्य समय के दौरान ही संपन्न किया गया।
उन्होंने इस संग्रहालय के निर्माण की मुख्य सोच पर जोर देते हुए कहा, “हमारा प्रयास था कि यह केवल ऐतिहासिक चीजों का संग्रहालय न बनकर एक ऐसा संग्रहालय हो जो वैश्विक स्तर पर बेहतरीन मानकों के अनुरूप हो और जो न्यायालय की प्रतिष्ठा और संविधान की महत्ता को देशवासियों के सामने लाए। यह संग्रहालय केवल न्यायालय की ऐतिहासिक धरोहर को ही नहीं, बल्कि न्यायालय के योगदान और हमारे संविधान की शक्ति को भी दर्शाता है।”
मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि न्यायालय न केवल न्याय प्रदान करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है, बल्कि नागरिकों के मौलिक अधिकारों की सुरक्षा करने में भी अग्रणी है। उन्होंने कहा, “यह संग्रहालय न्यायालय की महत्ता को हमारी राष्ट्रीय जीवन में दर्शाता है। इसके माध्यम से हम अपनी न्यायिक व्यवस्था की सुदृढ़ता और उसकी समर्पण भावना को सामने रखना चाहते हैं।”
मुख्य न्यायाधीश चंद्रचूड़ ने अपने सभी सहयोगियों की ओर से संग्रहालय को राष्ट्र को समर्पित करते हुए कहा, “मैं इस संग्रहालय को युवाओं के लिए एक प्रेरणादायक मंच बनाने की उम्मीद करता हूं, ताकि वे न्यायिक प्रणाली को करीब से समझ सकें और इसके प्रति सम्मान का भाव विकसित कर सकें।” उन्होंने इसे एक ऐसा इंटरैक्टिव स्पेस बनाने की योजना का भी जिक्र किया, जिससे युवा पीढ़ी को न्याय व्यवस्था से जुड़ने और उसकी समझ विकसित करने का अवसर मिले।
मुख्य न्यायाधीश के अनुसार, यह संग्रहालय देश के संविधान की मूल भावना और न्यायिक प्रणाली की सुदृढ़ता को प्रदर्शित करने वाला एक महत्वपूर्ण मंच होगा।