नेशनल हेराल्ड मनी लॉन्ड्रिंग केस में कांग्रेस नेता राहुल गांधी की तरफ से पेश हुए सीनियर वकील आर.एस. चीमा ने राउज एवेन्यू कोर्ट में ईडी की दलीलों को सिरे से खारिज करते हुए कहा कि कांग्रेस पार्टी का मकसद ‘एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड’ (AJL) को बंद करना या बेचना कभी नहीं था, बल्कि इस ऐतिहासिक संस्था को पुनर्जीवित करना था। उन्होंने कोर्ट में दलील दी कि यह संस्था भारत की आजादी की लड़ाई की धरोहर रही है और कांग्रेस की कोशिश इसे संरक्षित करने की रही है, न कि उससे मुनाफा कमाने की।
चीमा ने यह भी सवाल उठाया कि प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने कोर्ट में AJL का मेमोरेंडम ऑफ असोसिएशन (MOA) क्यों नहीं प्रस्तुत किया। उन्होंने कहा कि AJL की स्थापना 1937 में पंडित नेहरू, जेबी कृपलानी और रफी अहमद किदवई जैसे स्वतंत्रता सेनानियों ने की थी, और इसका उद्देश्य कभी भी व्यावसायिक लाभ नहीं रहा।
राहुल गांधी के वकील ने आगे बताया कि AJL की नीति हमेशा भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की विचारधारा के अनुरूप रही है। आज़ादी के बाद भी इस संस्था ने पत्रकारिता को एक मिशन के रूप में अपनाया, न कि कारोबार के तौर पर। कांग्रेस ने केवल इसे फिर से सक्रिय करने के लिए प्रयास किया था।
ईडी का आरोप है कि सोनिया गांधी, राहुल गांधी और दिवंगत मोतीलाल वोरा समेत कुछ नेताओं ने ‘यंग इंडिया’ नाम की कंपनी के माध्यम से 2000 करोड़ रुपये की संपत्ति धोखाधड़ी से हड़प ली। ईडी का कहना है कि यंग इंडिया में राहुल और सोनिया की 76% हिस्सेदारी है और मात्र 90 लाख रुपये देकर उन्होंने 90 करोड़ का कर्ज अपने नियंत्रण में लिया और AJL की संपत्ति पर कब्जा कर लिया।
इसके जवाब में वकील चीमा ने कहा कि यह पूरा मामला एकतरफा और राजनीति से प्रेरित है। उन्होंने जोर देते हुए कहा कि मोतीलाल वोरा, जो कांग्रेस के कोषाध्यक्ष थे, वित्तीय लेनदेन के लिए जिम्मेदार थे, जबकि संगठन महासचिव केवल प्रशासनिक कार्य देखते हैं।
चीमा ने ईडी की मंशा पर सवाल उठाते हुए पूछा कि क्या किसी राजनीतिक व्यक्ति की शिकायत पर इस तरह की बड़ी जांच की जा सकती है। उन्होंने यह भी कहा कि उन्होंने ऐसा कोई उदाहरण नहीं पाया जहां केवल एक राजनीतिक शिकायत पर ED ने इतनी गहरी जांच की हो।
इस बीच, सोनिया गांधी की ओर से पेश वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने बहस पूरी कर ली है। अब यह मामला 7 जुलाई को फिर से कोर्ट में सुना जाएगा।
In the National Herald money laundering case, Rahul Gandhi’s lawyer RS Cheema stated in court that Congress had no intention of selling Associated Journals Limited (AJL) but aimed to revive the legacy media house. Cheema strongly refuted the Enforcement Directorate’s (ED) claims that the Gandhi family misused Young India to gain control over assets worth ₹2,000 crore. He emphasized AJL was aligned with Congress ideology and was never meant to operate as a commercial entity. This clarification brings a new angle to the ongoing political and legal controversy surrounding the National Herald case.