AIN NEWS 1: नैनीताल की सुंदरता और शांति के बीच, एक आलीशान जामा मस्जिद का निर्माण सवालों के घेरे में है। झील के किनारे इस मस्जिद का निर्माण भले ही शहर की धार्मिक विविधता को दिखाता है, पर इसकी निर्माण अनुमति और भूमि दस्तावेजों को लेकर कई सवाल खड़े हो रहे हैं।
गायब दस्तावेज़ और बढ़ता सवाल
नैनीताल जैसे छोटे शहर में किसी भी बड़े निर्माण के लिए प्राधिकरण, नगर पालिका और राजस्व विभाग से अनुमति लेना जरूरी होता है। आमतौर पर, हर निर्माण की पूरी जानकारी इन विभागों में दर्ज होती है। इसके बावजूद, जब जामा मस्जिद के निर्माण से जुड़े दस्तावेजों के बारे में पता लगाने की कोशिश की गई तो हैरानी की बात यह रही कि ये दस्तावेज किसी भी विभाग में नहीं मिले।
आरटीआई से भी नहीं मिला जवाब
एक नागरिक ने इस मामले की जानकारी के लिए सूचना का अधिकार (आरटीआई) के तहत आवेदन किया, ताकि पता चल सके कि मस्जिद के निर्माण के लिए कौन-कौन से दस्तावेज जमा किए गए थे और किस विभाग से इसकी अनुमति प्राप्त की गई थी। लेकिन आरटीआई के जवाब में कोई संतोषजनक जानकारी नहीं दी गई।
सवालों का उठना लाजमी
इस मामले ने कई नागरिकों और स्थानीय संगठनों के बीच चिंता पैदा कर दी है। लोगों का सवाल है कि आखिर कैसे नैनीताल जैसे संवेदनशील इलाके में, झील के किनारे बिना दस्तावेज़ों और अनुमति के मस्जिद का निर्माण संभव हो गया?
प्राधिकरण और नगर पालिका की जिम्मेदारी
प्रशासन और संबंधित विभागों का यह दायित्व है कि वे शहर में हो रहे निर्माण कार्यों पर नजर रखें और सही तरीके से अनुमति प्रक्रिया को अपनाएं। लेकिन यहां सवाल उठता है कि अगर जामा मस्जिद के निर्माण के दस्तावेज़ मौजूद नहीं हैं, तो इसका मतलब है कि या तो यह निर्माण प्रक्रिया सही ढंग से पूरी नहीं की गई, या फिर इन दस्तावेज़ों को जान-बूझकर गायब किया गया।
आगे की कार्रवाई
स्थानीय लोगों और संगठनों ने मांग की है कि इस मामले की गहराई से जांच की जाए, और अगर कोई अनियमितता पाई जाती है तो जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की जाए।