Thursday, December 5, 2024

अमेठी: योगी सरकार के मंत्री मयंकेश्वर शरण सिंह का विवादित बयान, मंच से लगाए ‘राधे राधे’ के नारे?

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AIN NEWS 1 अमेठी: उत्तर प्रदेश के स्वास्थ्य राज्य मंत्री मयंकेश्वर शरण सिंह ने हाल ही में एक सार्वजनिक राम कथा के कार्यक्रम के दौरान एक विवादित बयान दिया, जिसे लेकर राजनीति में हलचल मच गई है। मयंकेश्वर शरण सिंह ने तिलोई में आयोजित राम कथा के कार्यक्रम में मंच से यह नारा लगाया कि “हिंदुस्तान में रहना है तो राधे राधे कहना है।”

यह नारा मंत्री ने तब दिया जब राम कथा के आयोजन में बड़ी संख्या में लोग उपस्थित थे। मंत्री ने खुद पहले ‘राधे राधे’ कहा और फिर इस नारे को जोर-शोर से मंच से पूरे समूचे समूह से दोहरवाया। मंत्री के साथ उनके बेटे भी मंच पर मौजूद थे, और इस नारे के साथ वह लोगों से जुड़ने की कोशिश कर रहे थे। नारा लगाने के बाद उन्होंने ‘जय श्री राम’ कहकर अपनी बात समाप्त की।

सोशल मीडिया पर वायरल हुआ वीडियो मंत्री का यह वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया है, जिस पर अब विवाद उठने लगे हैं। कई लोग इस बयान को लेकर अपनी प्रतिक्रियाएं दे रहे हैं और इसे राजनीति से जोड़कर देख रहे हैं। मयंकेश्वर शरण सिंह पहले भी अपने विवादित बयानों के कारण सुर्खियों में आ चुके हैं। 2022 के विधानसभा चुनाव के दौरान भी उन्होंने इसी तरह के बयानों से चर्चा का विषय बने थे।

राम कथा का आयोजन यह राम कथा 30 नवंबर को समाप्त हुई थी, और मंत्री जी ने इसमें नौ दिनों तक आयोजित होने वाली राम कथा के दौरान यह नारा लगाया था। मयंकेश्वर शरण सिंह ने इस कार्यक्रम में राधे राधे के नारे को एकजुटता और सांप्रदायिक सद्भावना के प्रतीक के रूप में प्रस्तुत किया। हालांकि, इस बयान को लेकर विरोध भी शुरू हो गया है।

उत्तर प्रदेश में बढ़ती नारा संस्कृति इस समय उत्तर प्रदेश की राजनीति नारों के इर्द-गिर्द घूम रही है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी हाल ही में ‘बंटेंगे तो कटेंगे’ जैसा विवादित नारा दिया था, जिसे लेकर भी राजनीतिक सरगर्मी बढ़ गई थी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी उत्तर प्रदेश के चुनावी प्रचार के दौरान ‘एक हैं तो सेफ हैं’ जैसे नारे दिए थे, जो बीजेपी की रैलियों में गूंजते रहे थे।

अब मयंकेश्वर शरण सिंह के इस बयान ने राज्य की सियासत में एक और नया मोड़ ले लिया है। विपक्ष ने इसे सांप्रदायिक सद्भाव को बिगाड़ने वाला कदम बताया है, जबकि मंत्री इसे सिर्फ सांस्कृतिक एकता के प्रतीक के रूप में देख रहे हैं। फिलहाल, यह मामला गर्माया हुआ है और यह देखने वाली बात होगी कि इसका राजनीतिक असर कितना होगा।

 

 

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सत्यमेव जयते नानृतं सत्येन पन्था विततो देवयानः।
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