Saturday, December 21, 2024

डासना देवी मंदिर में भड़के विवाद: स्वामी यति नरसिंहानंद के समर्थन में महापंचायत का आह्वान?

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AIN NEWS 1 गाजियाबाद, उत्तर प्रदेश: डासना देवी मंदिर के संस्थापक महामण्डलेश्वर यति नरसिंहानंद सरस्वती जी के 29 सितंबर को एक कार्यक्रम में दिए गए बयान के बाद, मुस्लिम समुदाय द्वारा उग्र प्रदर्शन और मंदिर परिसर पर हमला करने के प्रयास का मामला तूल पकड़ रहा है। स्वामी यति जी ने अपने वक्तव्य में पैगंबर मोहम्मद का उल्लेख किया था, जिससे मुस्लिम समुदाय आहत हुआ। इसके विरोध में बड़ी संख्या में मुस्लिम प्रदर्शनकारी डासना मंदिर के आसपास इकट्ठा हुए, जिन्होंने हिंसात्मक नारेबाजी की।

प्रदर्शनकारियों को काबू में करने के लिए पुलिस ने कार्रवाई की और उन्हें मंदिर के परिसर से खदेड़ा। इस घटनाक्रम पर प्रतिक्रिया देते हुए राष्ट्रहित सर्वोपरि संगठन के संस्थापक अध्यक्ष सोहन गिरि ने डासना का दौरा किया। उन्होंने यति नरसिंहानंद, यति परमानंद और राम स्वरुपानंद जी से मिलकर घटना की जानकारी प्राप्त की।

सोहन गिरि ने कहा कि भारत का संविधान हर नागरिक को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता प्रदान करता है, जैसा कि आर्टिकल 19(1)(अ) में उल्लेखित है। उन्होंने कहा कि अगर किसी के बयान से किसी धार्मिक समुदाय की आस्था को ठेस पहुँचती है, तो इसके लिए कानूनी उपाय मौजूद हैं। गिरि ने आरोप लगाया कि मुस्लिम समुदाय द्वारा किए जा रहे हिंसात्मक प्रदर्शनों का कोई औचित्य नहीं है और यह भारत के संविधान का उल्लंघन है।

उन्होंने चेतावनी दी कि अगर सरकार इन आतंकी गतिविधियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई नहीं करती है, तो उनके संगठन को मजबूरन ऐसे तत्वों को चिन्हित करके उचित कदम उठाने पड़ेंगे। गिरि ने यह भी कहा कि यति जी के बयान में जो बात कही गई है, उसके संदर्भ को समझने की आवश्यकता है।

गिरि जी ने कहा, “जो भी समाज संविधान का पालन नहीं करेगा, उसे इस देश में कोई स्थान नहीं मिलेगा।” उन्होंने आगामी 13 अक्टूबर को कलेक्ट्रेट पर एक महापंचायत का आयोजन करने का ऐलान किया है, जिसमें कई हिंदू संगठनों के सदस्य शामिल होंगे।

इस महापंचायत में भाग लेने वाले नेताओं में भारत रक्षा मंच से महेंद्र सिंह, विश्व हिंदू परिषद से रवि शुक्ला, और हिंदू लीगल राइट्स से अनिल यादव शामिल होंगे। गिरि ने यह भी कहा कि अगर सरकार तुरंत ठोस कदम नहीं उठाती है, तो हिंदू संगठन एकजुट होकर डासना पहुंचेंगे।

इस प्रकार, यह मामला न केवल धार्मिक विवाद का केंद्र बना है, बल्कि यह भारत में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और कानून के शासन को लेकर गंभीर सवाल उठाता है।

 

 

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सत्यमेव जयते नानृतं सत्येन पन्था विततो देवयानः।
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