Monday, December 23, 2024

तेलंगाना के 4 बार विधायक चेन्नामनेनी रमेश की नागरिकता पर विवाद, भारतीय नागरिकता रद्द, 30 लाख जुर्माना?

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AIN NEWS 1: तेलंगाना के 4 बार विधायक रहे चेन्नामनेनी रमेश की नागरिकता पर एक बड़ा विवाद सामने आया है। तेलंगाना हाईकोर्ट ने उन्हें जर्मनी का नागरिक मानते हुए उनकी भारतीय नागरिकता रद्द कर दी है और 30 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया है। यह विवाद कांग्रेस नेता आदी श्रीनिवास की शिकायत के बाद उठ खड़ा हुआ, जिसके बाद हाईकोर्ट ने अहम फैसला सुनाया।

क्या था मामला?

हाईकोर्ट का कहना था कि चेन्नामनेनी रमेश ने अपनी जर्मन नागरिकता को छिपाया और गलत दस्तावेजों के आधार पर चुनाव आयोग के सामने प्रस्तुत किए। इसके चलते उन्होंने विधानसभा चुनाव लड़ा और जीत हासिल की। रमेश पर आरोप था कि उन्होंने जर्मन दूतावास से यह प्रमाण पत्र नहीं लिया कि वे जर्मनी के नागरिक नहीं हैं। कोर्ट ने कहा कि रमेश ने जानबूझकर इस तथ्य को छिपाया और चुनाव में अपनी सच्चाई छिपाकर भाग लिया, जो भारतीय नागरिकता के खिलाफ था।

हाईकोर्ट का निर्णय

तेलंगाना हाईकोर्ट ने इस मामले में फैसला सुनाते हुए रमेश की भारतीय नागरिकता रद्द कर दी। इसके अलावा, उन्हें 30 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया गया। इनमें से 25 लाख रुपये कांग्रेस नेता आदी श्रीनिवास को दिए जाएंगे, जिन्होंने इस मामले की शिकायत की थी। इस फैसले के बाद श्रीनिवास ने सोशल मीडिया पर इस फैसले का स्वागत किया और रमेश के खिलाफ कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की।

कौन हैं चेन्नामनेनी रमेश?

चेन्नामनेनी रमेश तेलंगाना के प्रसिद्ध नेता हैं, जो पहले आंध्र प्रदेश और बाद में तेलंगाना की वेमुलवाडा सीट से चार बार विधायक रह चुके हैं। उन्होंने 2009 में तेलुगु देशम पार्टी (TDP) के टिकट पर विधानसभा चुनाव जीता था। इसके बाद, वे भारत राष्ट्र समिति (BRS) से जुड़ गए और 2010, 2014 और 2018 में भी विधानसभा चुनावों में जीत हासिल की। रमेश की नागरिकता को लेकर विवाद 2013 में भी आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट तक पहुंच चुका था, जिसमें उनकी चुनावी जीत रद्द कर दी गई थी। हालांकि, बाद में सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें राहत दी थी।

आगे क्या होगा?

हाईकोर्ट के इस फैसले के बाद, चेन्नामनेनी रमेश के खिलाफ जांच और कानूनी कार्रवाई की संभावना बनी हुई है। यह मामला अब एक बार फिर चर्चा का विषय बन गया है और राजनीति में भी इसका असर देखने को मिल सकता है।

इस विवाद ने साबित कर दिया कि नागरिकता के मामलों में सावधानी बरतना आवश्यक है, खासकर चुनावों में। अब देखना होगा कि इस फैसले के बाद रमेश की राजनीतिक स्थिति पर क्या असर पड़ता है।

 

 

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सत्यमेव जयते नानृतं सत्येन पन्था विततो देवयानः।
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