महाराष्ट्र की राजनीति में एक बार फिर ईवीएम (इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन) को लेकर विवाद खड़ा हो गया है। महाविकास अघाड़ी (MVA) के विधायकों ने विधानसभा के तीन दिवसीय विशेष सत्र के पहले दिन शपथ न लेने का फैसला किया।
विपक्ष के आरोप और शपथ का बहिष्कार
शिवसेना (UBT) के विधायक आदित्य ठाकरे ने मीडिया को संबोधित करते हुए कहा:
“अगर यह जनता का सही जनादेश होता, तो लोग खुश होते और जश्न मनाते। लेकिन ऐसा नहीं हुआ। हमें ईवीएम में गड़बड़ी पर संदेह है।”
इस दौरान उनके साथ एनसीपी-एसपी नेता जितेंद्र आव्हाड और कांग्रेस नेता नाना पटोले भी मौजूद थे।
विपक्ष ने आरोप लगाया है कि:
- कई सीटों पर वोटिंग और काउंटिंग के आंकड़े मेल नहीं खाते।
- कहीं वोटिंग से ज्यादा काउंटिंग, तो कहीं वोटिंग से कम काउंटिंग हुई।
- कुछ प्रत्याशियों ने दोबारा काउंटिंग की मांग की है।
MVA की मातोश्री बैठक
महाविकास अघाड़ी की एक महत्वपूर्ण बैठक शिवसेना-UBT प्रमुख उद्धव ठाकरे के निवास मातोश्री में हुई। इस बैठक में:
- ईवीएम विवाद पर चर्चा की गई।
- विशेष रूप से मारकडवाड़ी गांव में चुनावी प्रक्रिया को लेकर विपक्ष ने रणनीति तय की।
कांग्रेस विधायक विजय वडेट्टीवार ने कहा कि चुनाव नतीजे भ्रष्ट प्रक्रिया की ओर इशारा करते हैं, और जनता में व्यापक असंतोष है।
प्रो-टेम स्पीकर का शपथ दिलाना
विशेष सत्र के पहले दिन प्रो-टेम स्पीकर कालीदास कोलाम्बकर ने नवनिर्वाचित विधायकों को शपथ दिलाई। इस दौरान:
- अजित पवार समेत कई विधायकों ने शपथ ग्रहण किया।
- महाविकास अघाड़ी के विधायकों की अनुपस्थिति ने सत्र को गरमा दिया।
ईवीएम विवाद की पृष्ठभूमि
23 नवंबर को महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के नतीजे आने के बाद से:
- MVA ने ईवीएम में गड़बड़ी के आरोप लगाए।
- विपक्ष को लगता है कि जनता का सही जनादेश नहीं आया है।
- सड़क से सदन तक विपक्षी दल इस मुद्दे पर विरोध कर रहे हैं।
संभावित असर
- ईवीएम पर विवाद महाराष्ट्र की राजनीति में अविश्वास और टकराव को और बढ़ा सकता है।
- विपक्षी दलों का यह कदम आने वाले समय में बड़े राजनीतिक आंदोलन की भूमिका बना सकता है।