विदेश मंत्रालय का बयान
AIN NEWS 1: भारतीय विदेश मंत्रालय ने इस मुद्दे पर अपनी चिंता व्यक्त करते हुए एक आधिकारिक बयान जारी किया। उन्होंने कहा कि “हमें श्री चिन्मय कृष्ण दास की गिरफ्तारी और उनकी जमानत रद्द होने पर गहरी चिंता है।” यह गिरफ्तारी उस समय हुई जब बांग्लादेश में अल्पसंख्यक हिंदुओं और उनके धार्मिक स्थलों पर हमलों की घटनाएं बढ़ रही हैं।
मंत्रालय ने कहा कि बांग्लादेश में “अल्पसंख्यकों के घरों और व्यवसायों को लूटने और जलाने की घटनाएं सामने आई हैं। मंदिरों और देव प्रतिमाओं को तोड़ने की भी खबरें हैं।” इन घटनाओं के अपराधी खुलेआम घूम रहे हैं, जबकि शांतिपूर्ण ढंग से अपनी मांग रखने वाले धार्मिक नेता को गिरफ्तार किया जा रहा है।
शांतिपूर्ण विरोध पर हमले की निंदा
विदेश मंत्रालय ने यह भी कहा कि यह अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण है कि “एक ऐसे धार्मिक संत को निशाना बनाया जा रहा है, जिसने सिर्फ शांतिपूर्ण प्रदर्शन का नेतृत्व किया।” मंत्रालय ने बांग्लादेश में शांतिपूर्ण प्रदर्शन कर रहे अल्पसंख्यक हिंदुओं पर हुए हमलों की भी कड़ी निंदा की।
मंत्रालय ने बांग्लादेश सरकार से आग्रह किया कि वह हिंदुओं सहित सभी अल्पसंख्यकों की सुरक्षा सुनिश्चित करे और उन्हें शांतिपूर्ण तरीके से अपनी बात रखने का अधिकार दे।
क्या है मामला?
ISKON के सदस्य और बांग्लादेश सम्मिलित सनातन जागरण जोट के प्रवक्ता चिन्मय कृष्ण दास पर बांग्लादेशी राष्ट्रीय ध्वज का अपमान करने का आरोप लगाया गया है। यह घटना अक्टूबर महीने की है, जब उनकी रैली में भगवा झंडा लहराने के दौरान यह आरोप लगा।
चिन्मय कृष्ण दास बांग्लादेश के पुंडारिक धाम के अध्यक्ष हैं। बांग्लादेश सरकार ने उनके खिलाफ देशद्रोह के 18 मुकदमे दर्ज किए हैं। इसके बाद उनकी गिरफ्तारी हुई और उनकी जमानत को भी खारिज कर दिया गया।
गिरफ्तारी पर विरोध प्रदर्शन
चिन्मय कृष्ण दास की गिरफ्तारी के बाद बांग्लादेश और भारत में व्यापक विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं। भारत के पश्चिम बंगाल में कई हिंदू संगठनों ने चेतावनी दी है कि अगर दास को रिहा नहीं किया गया तो वे “बांग्लादेश बॉर्डर को सीज” करने पर मजबूर होंगे।
बांग्लादेश में हिंदुओं और अन्य अल्पसंख्यकों पर हो रहे अत्याचार को लेकर वहां की सरकार पर अंतरराष्ट्रीय दबाव बढ़ रहा है।
भारत की कड़ी अपील
भारत ने बांग्लादेश सरकार को कड़ा संदेश देते हुए अपील की है कि “हिंदुओं और अन्य अल्पसंख्यकों को सुरक्षा प्रदान की जाए।” इसके साथ ही भारत ने कहा कि सभी नागरिकों को शांतिपूर्ण ढंग से एकत्रित होने और अपनी बात रखने का पूरा अधिकार मिलना चाहिए।
बांग्लादेश में बढ़ रहे अल्पसंख्यकों पर हमले
पिछले कुछ वर्षों में बांग्लादेश में हिंदू और अन्य अल्पसंख्यकों पर हमले बढ़े हैं। कट्टरपंथी तत्व अल्पसंख्यकों के घरों, व्यवसायों और धार्मिक स्थलों को निशाना बना रहे हैं।
ताजा घटनाओं ने इन हमलों के प्रति बांग्लादेश सरकार की निष्क्रियता पर सवाल खड़े कर दिए हैं। चिन्मय कृष्ण दास की गिरफ्तारी को इन हमलों के संदर्भ में देखा जा रहा है, जहां पीड़ितों को न्याय नहीं मिलता और शांतिपूर्ण प्रदर्शन करने वालों पर कार्रवाई की जाती है।
निष्कर्ष
चिन्मय कृष्ण दास की गिरफ्तारी ने बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों की स्थिति पर नए सिरे से चर्चा छेड़ दी है। भारत ने जहां इस घटना को लेकर अपनी नाराजगी जताई है, वहीं बांग्लादेश सरकार पर अल्पसंख्यकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने का दबाव बढ़ रहा है। इस घटना ने दोनों देशों के संबंधों में तनाव बढ़ाने का काम किया है।