उत्तर प्रदेश में 1.14 लाख वक्फ संपत्तियों पर संकट, शिया व सुन्नी वक्फ बोर्ड जता रहे आपत्ति
Sunni-Shia Waqf Properties Under Threat Due to Waqf Amendment Bill 2024
AIN NEWS 1: उत्तर प्रदेश में 1.14 लाख सुन्नी और शिया वक्फ संपत्तियों पर संकट गहरा रहा है। इसकी वजह केंद्र सरकार द्वारा प्रस्तावित वक्फ संशोधन विधेयक 2024 है। इस विधेयक में “वक्फ बाई यूजर” के तहत दर्ज संपत्तियों की वक्फ हैसियत समाप्त करने का प्रावधान है। इससे प्रदेश में धार्मिक और सामाजिक महत्व की कई संपत्तियां प्रभावित हो सकती हैं।
वक्फ संपत्तियों की मौजूदा स्थिति
प्रदेश में शिया सेंट्रल वक्फ बोर्ड के तहत 7,785 संपत्तियां दर्ज हैं, जिनमें से 4,624 “वक्फ बाई यूजर” श्रेणी में आती हैं। वहीं, सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड के तहत कुल 1,25,000 संपत्तियां दर्ज हैं, जिनमें से 1,10,000 संपत्तियां “वक्फ बाई यूजर” श्रेणी में हैं। इन संपत्तियों में मस्जिदें, कब्रिस्तान, दरगाह, कर्बला, इमामबाड़े, और अन्य धार्मिक स्थल शामिल हैं।
वक्फ बाई यूजर संपत्तियों का महत्व
इस्लामी कानून के तहत वक्फ संपत्तियां धार्मिक और सामाजिक जरूरतों को पूरा करने के लिए दान की जाती हैं। वक्फ संपत्तियों को मुख्य रूप से तीन श्रेणियों में विभाजित किया गया है:
1. वक्फ अलल खैर – धर्मार्थ उद्देश्यों के लिए दान।
2. वक्फ अलल औलाद – परिवार के भरण-पोषण के लिए।
3. वक्फ इस्तेमालिया – धार्मिक और सामुदायिक उपयोग के लिए संपत्तियां।
जेपीसी की लखनऊ यात्रा और आपत्तियां
केंद्र सरकार ने वक्फ संशोधन विधेयक पर आपत्तियां और सुझाव प्राप्त करने के लिए एक संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) का गठन किया है। यह समिति मंगलवार को लखनऊ में मौजूद रहेगी और राज्य के वक्फ बोर्डों के प्रतिनिधियों से चर्चा करेगी।
शिया वक्फ बोर्ड के चेयरमैन अली जैदी ने कहा कि वे जेपीसी के सामने अपनी आपत्तियां दर्ज करेंगे और सुझाव देंगे। उन्होंने कहा कि विधेयक में यह स्पष्ट नहीं किया गया है कि “वक्फ बाई यूजर” संपत्तियों को वक्फ बोर्ड से हटाने के क्या फायदे होंगे। उनका कहना है कि इससे धार्मिक संस्थानों की स्वायत्तता और लोकतांत्रिक प्रक्रिया पर असर पड़ सकता है।
सुन्नी वक्फ बोर्ड पहले ही दर्ज कर चुका है आपत्ति
सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड ने पहले ही जेपीसी के समक्ष अपनी आपत्तियां दर्ज कर दी हैं। बोर्ड ने इस विधेयक को धार्मिक संस्थाओं की कार्यप्रणाली और उनकी संपत्तियों की सुरक्षा के लिए खतरनाक बताया है।
वक्फ संपत्तियों पर संकट के संभावित प्रभाव
विधेयक के मौजूदा स्वरूप में लागू होने से वक्फ बाई यूजर श्रेणी में आने वाली संपत्तियां वक्फ बोर्ड के अधिकार से बाहर हो जाएंगी। इससे न केवल धार्मिक गतिविधियों पर असर पड़ेगा, बल्कि इन संपत्तियों पर विवाद भी बढ़ सकते हैं।
वक्फ बोर्ड का रुख
शिया वक्फ बोर्ड के चेयरमैन अली जैदी का कहना है कि मस्जिदें, इमामबाड़े, और अन्य धार्मिक स्थल सदियों से धार्मिक और सामाजिक गतिविधियों के केंद्र रहे हैं। इनकी वक्फ हैसियत खत्म करने का कोई ठोस आधार नहीं है। उन्होंने यह भी कहा कि वक्फ बोर्ड की लोकतांत्रिक संरचना को कमजोर करने का प्रयास किया जा रहा है।
वक्फ संशोधन विधेयक 2024 का मौजूदा स्वरूप उत्तर प्रदेश में शिया और सुन्नी वक्फ संपत्तियों के लिए गंभीर संकट पैदा कर सकता है। दोनों वक्फ बोर्ड इस पर अपनी आपत्तियां दर्ज कर चुके हैं या करने जा रहे हैं। यह मामला न केवल धार्मिक संस्थाओं के अधिकारों से जुड़ा है, बल्कि इससे हजारों संपत्तियों का भविष्य भी प्रभावित होगा।
The Waqf Amendment Bill 2024 poses a significant threat to over 1.14 lakh Sunni and Shia waqf properties in Uttar Pradesh, classified as “Waqf by User.” The Sunni Central Waqf Board has already filed objections with the Joint Parliamentary Committee (JPC), while the Shia Central Waqf Board plans to raise concerns during the JPC’s visit to Lucknow. These properties, which include mosques, graveyards, and religious institutions, may lose their waqf status if the amendment is passed in its current form.