साइबर ठगी का पर्दाफाश, गैंग का मास्टरमाइंड गिरफ्तार
AIN NEWS 1: साइबर ठगी के एक बड़े मामले में पुलिस ने गैंग का मास्टरमाइंड हरिओम पांडेय और उसके तीन साथियों को गिरफ्तार कर लिया है। यह गिरोह विदेश में नौकरी दिलाने के नाम पर लोगों को ठगता था। हालांकि, इस गिरोह से जुड़ी 11 महिलाएं, जिन्हें ‘विष कन्याएं’ कहा जा रहा है, पुलिस के हाथ आने से पहले ही भूमिगत हो गई हैं।
कैसे काम करता था गिरोह?
गिरोह लोगों को विदेश में नौकरी दिलाने का झांसा देता था। ELITE GLOBAL CAREERS और OVER CONSULTANCY नामक फर्जी वेबसाइट के जरिए यह ठगों का नेटवर्क सक्रिय था। इस गैंग के पास उन लोगों की जानकारी थी जो नौकरी की तलाश में थे। ये डेटा ‘Naukri.com’ जैसी वेबसाइट से जुटाया जाता था।
1. रजिस्ट्रेशन शुल्क: सबसे पहले, पीड़ितों से रजिस्ट्रेशन के नाम पर पैसा लिया जाता था।
2. वेरिफिकेशन शुल्क: इसके बाद वेरिफिकेशन के नाम पर 50,000 से 70,000 रुपये वसूले जाते थे।
3. ऑफर लेटर शुल्क: फर्जी ऑफर लेटर देने के बदले एक लाख रुपये तक ऐंठे जाते थे।
4. फोन स्विच ऑफ: पैसा मिलने के बाद गैंग के सदस्य पीड़ितों के फोन उठाना बंद कर देते थे।
गिरोह की महिलाएं कैसे फंसाती थीं लोगों को?
गिरफ्तार युवतियों अरीबा अंसारी और कीर्ति गुप्ता उर्फ स्नेहा ने बताया कि गिरोह में 11 अन्य महिलाएं भी थीं। ये महिलाएं पूर्णिमा, अनन्या, राधिका जैसे फर्जी नामों से फोन कर लोगों को भरोसे में लेती थीं। ये लड़कियां फोन पर मीठी-मीठी बातें कर लोगों को जाल में फंसाती थीं। गिरोह के लीडर हरिओम पांडेय ने इन्हें यह काम सिखाया था।
फर्जी आईडी से लिए गए मोबाइल नंबर
जब पुलिस ने गैंग की महिलाओं को पकड़ने के लिए उनके मोबाइल नंबरों की जांच की, तो सभी नंबर बंद हो चुके थे। जांच में पता चला कि ये नंबर फर्जी आईडी पर लिए गए थे। गिरोह का लीडर हरिओम पांडेय ही इन्हें मोबाइल नंबर उपलब्ध कराता था।
व्हाट्सएप पर ‘डिसएपियर मैसेज’ का इस्तेमाल
ठगों ने व्हाट्सएप पर डिसएपियर मैसेज ऑप्शन का इस्तेमाल किया था, जिससे उनके द्वारा भेजे गए मैसेज कुछ समय बाद अपने आप डिलीट हो जाते थे। इससे पुलिस को सबूत जुटाने में दिक्कत आ रही है।
गिरोह का नेटवर्क और ठगी की रकम
क्राइम ब्रांच को जांच के दौरान एक एक्सेल शीट मिली है, जिसमें 5400 लोगों की जानकारी दर्ज है। इसमें पीड़ितों के नाम, मोबाइल नंबर और ठगी की गई रकम का पूरा ब्योरा है। अब पुलिस इस डेटा के आधार पर मामले की तह तक जाने की कोशिश कर रही है।
पहले खुद नौकरी करती थीं, फिर बनीं ठग
गिरफ्तार की गईं कीर्ति और अरीबा पहले खुद नौकरी कर चुकी थीं। बाद में इन्हें इस गिरोह के बारे में जानकारी मिली, लेकिन लालच में आकर इन्होंने भी ठगी में हाथ बंटाना शुरू कर दिया।
गिरोह का पुराना आपराधिक रिकॉर्ड
हरिओम पांडेय कोई नया अपराधी नहीं है। वह 2015 में भी साइबर ठगी के मामले में गिरफ्तार हो चुका है। 2021 में उसने फिर से अपराध करना शुरू किया, लेकिन स्वाट टीम ने उसे पकड़ लिया। 2023 में वह फिर से सक्रिय हुआ और नई फर्जी वेबसाइट बनाकर लोगों को ठगने लगा। इस बार दो साल तक सक्रिय रहने के बाद उसे गिरफ्तार किया गया।
क्या कर रही है पुलिस?
पुलिस ने गिरोह के कई नंबरों की लोकेशन ट्रेस की है। इनमें चमनगंज, बाबूपुरवा, किदवई नगर, ग्वालटोली और मेस्टन रोड जैसी जगहें शामिल हैं। हालांकि, जैसे ही पुलिस ने जांच तेज की, सभी नंबर बंद हो गए। पुलिस अब उन ठग महिलाओं की तलाश कर रही है जो अभी फरार हैं।
साइबर ठगी से कैसे बचें?
1. फर्जी वेबसाइटों से बचें: किसी भी अनजान वेबसाइट पर भरोसा करने से पहले उसकी सच्चाई जांचें।
2. अविश्वसनीय कॉल्स से बचें: अगर कोई व्यक्ति विदेश में नौकरी दिलाने का दावा करे और पैसे मांगे, तो सतर्क रहें।
3. पुलिस से शिकायत करें: अगर किसी ने आपको ठगा है, तो तुरंत साइबर क्राइम सेल में शिकायत दर्ज कराएं।
4. असली दस्तावेज मांगें: नौकरी से जुड़े सभी दस्तावेजों को वेरीफाई करें।
साइबर ठगी के इस गिरोह ने हजारों लोगों को लाखों रुपये का चूना लगाया है। हालांकि, इसका मास्टरमाइंड और कुछ सदस्य गिरफ्तार हो चुके हैं, लेकिन 11 महिलाएं अभी भी फरार हैं। पुलिस उनकी तलाश में जुटी है और उम्मीद है कि जल्द ही उन्हें गिरफ्तार कर लिया जाएगा। इस घटना से सबक लेते हुए लोगों को सतर्क रहने की जरूरत है ताकि वे किसी भी ठगी का शिकार न बनें।
A cyber fraud gang running an overseas job scam has been exposed. The mastermind, Hariom Pandey, along with key operatives, has been arrested. However, 11 women, known as ‘poison girls,’ who lured job seekers into the trap, have gone underground. These fraudsters used fake consultancy websites like ELITE GLOBAL CAREERS and OVER CONSULTANCY to deceive victims. The police are now tracking down these scammers, but all phone numbers linked to them have been deactivated. Cybercrime experts are analyzing an Excel sheet containing data on 5,400 victims and the money stolen. Stay updated on this major cyber fraud investigation.