AIN NEWS 1: पंजाब के एक छोटे से गांव में साइकिल पर दूध बेचने वाले निर्मल सिंह भंगू ने कैसे एक विशाल व्यापारिक साम्राज्य खड़ा किया और फिर 45,000 करोड़ रुपये के चिटफंड घोटाले को अंजाम दिया, यह कहानी हर किसी को चौंका देती है। अब भंगू के निधन के बाद, 5.5 करोड़ निवेशकों का पैसा और उनके भविष्य पर सवाल उठ रहे हैं।
निर्मल सिंह भंगू की कहानी
निर्मल सिंह भंगू का जीवन एक प्रेरणादायक कहानी है। पंजाब के रोपड़ जिले के चमककौर साहिब गांव में जन्मे भंगू ने अपने जीवन की शुरुआत साइकिल पर दूध बेचने से की थी। समय के साथ, उन्होंने अपनी किस्मत को बदलने का निश्चय किया और 1970 में कोलकाता चले गए। वहां उन्होंने पीरलेस नामक चिटफंड कंपनी में काम किया और फिर गोल्डन फॉरेस्ट इंडिया लिमिटेड में भी चिटफंड बिजनेस के बारे में सीखा।
पर्ल्स ग्रुप की शुरुआत
1980 में, निर्मल सिंह भंगू ने पर्ल्स गोल्ड फॉरेस्ट लिमिटेड की स्थापना की। इस चिटफंड कंपनी ने निवेशकों को आकर्षक रिटर्न देने का वादा किया और देखते ही देखते, भंगू का कारोबार तेजी से बढ़ने लगा।
45,000 करोड़ रुपये का घोटाला
हालांकि, इस सफलता की कहानी में एक काला अध्याय भी था। 2013-2014 में पर्ल्स चिटफंड घोटाले का खुलासा हुआ, जिसमें 45,000 करोड़ रुपये का गबन सामने आया। इस घोटाले में लगभग 5.5 करोड़ निवेशकों का पैसा डूब गया।
निवेशकों को पैसा लौटाने की प्रक्रिया
पर्ल्स ग्रुप के इस घोटाले के कारण कई निवेशक अब भी अपने पैसे की वापसी का इंतजार कर रहे हैं। 2015 में जस्टिस लोढ़ा कमेटी की नियुक्ति की गई थी, जिसका उद्देश्य निवेशकों को उनका पैसा वापस दिलाना था। अब तक 21 लाख निवेशकों को रिफंड मिल चुका है, लेकिन बाकी सवा 5 करोड़ निवेशकों को अपने पैसे का इंतजार है। सेबी (सिक्योरिटीज एंड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया) की निगरानी में निवेशकों को रिफंड देने की प्रक्रिया जारी है।
भविष्य का परिदृश्य
निर्मल सिंह भंगू के निधन के बाद, यह देखना होगा कि क्या पर्ल्स ग्रुप के घोटाले से प्रभावित निवेशकों को उनके पैसे वापस मिल पाएंगे। वर्तमान में, जांच और रिफंड की प्रक्रिया जारी है, लेकिन इस विशाल घोटाले की भरपाई में समय लग सकता है। निवेशकों के लिए यह एक कठिन स्थिति है, और उनकी आर्थिक सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए और अधिक प्रयास की आवश्यकता है।