Tuesday, November 5, 2024

झारखंड के मुख्यमंत्री के हेलिकॉप्टर को उड़ान की अनुमति में देरी, पीएम मोदी की सुरक्षा का हवाला: जेएमएम ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से हस्तक्षेप की मांग की?

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AIN NEWS 1: झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के हेलिकॉप्टर को उड़ान भरने में कथित देरी पर झारखंड मुक्ति मोर्चा (जेएमएम) ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को पत्र लिखा है। पार्टी ने इस घटना को लेकर गंभीर सवाल उठाए हैं और राष्ट्रपति से इस मामले में हस्तक्षेप करने का आग्रह किया है। पार्टी ने इसे राज्य के संवैधानिक प्रमुख के साथ दुर्व्यवहार बताते हुए उचित कार्रवाई की मांग की है।

क्या हुआ था?

यह घटना उस समय की है जब झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन का हेलिकॉप्टर धनबाद से उड़ान भरने वाला था, लेकिन केंद्र की एजेंसियों द्वारा सुरक्षा कारणों का हवाला देते हुए उन्हें उड़ान भरने से रोका गया। रिपोर्ट्स के अनुसार, इस देरी का कारण प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सुरक्षा व्यवस्था को बताया गया, क्योंकि पीएम मोदी उसी समय झारखंड से गुजरने वाले थे। हालांकि, जेएमएम का कहना है कि यह कदम जानबूझकर उठाया गया है और यह राज्य के मुख्यमंत्री के अधिकारों का उल्लंघन है।

जेएमएम का रुख और आरोप

झारखंड मुक्ति मोर्चा के अनुसार, यह घटना झारखंड सरकार के खिलाफ केंद्र सरकार की दमनकारी नीति का एक और उदाहरण है। पार्टी ने कहा कि प्रधानमंत्री की सुरक्षा का हवाला देकर मुख्यमंत्री की उड़ान में बाधा डालना न केवल असंवैधानिक है, बल्कि राज्य की गरिमा के खिलाफ भी है। जेएमएम ने दावा किया है कि ऐसी घटनाएं झारखंड जैसे राज्यों के लिए उचित नहीं हैं, जो अपनी स्वायत्तता के साथ काम करना चाहते हैं।

जेएमएम के वरिष्ठ नेताओं ने कहा कि मुख्यमंत्री को राज्य के प्रमुख के रूप में कार्य करने के लिए केंद्र से बाधाओं का सामना नहीं करना चाहिए। उन्होंने आरोप लगाया कि यह घटना दिखाती है कि किस तरह केंद्र सरकार राज्य सरकारों पर अपनी मर्जी थोपने की कोशिश कर रही है।

राष्ट्रपति से अपील और संवैधानिक गरिमा की रक्षा

जेएमएम ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से इस मामले पर संज्ञान लेने का अनुरोध किया है और कहा है कि राष्ट्रपति को झारखंड के एक पूर्व राज्यपाल होने के नाते राज्य के हितों की रक्षा करनी चाहिए। जेएमएम ने अपने पत्र में राष्ट्रपति से अनुरोध किया है कि वे इस घटना को गंभीरता से लेते हुए उचित कदम उठाएं।

जेएमएम का कहना है कि राष्ट्रपति को इस मामले में हस्तक्षेप कर यह सुनिश्चित करना चाहिए कि राज्यों के मुख्यमंत्री को उनके कार्यों में किसी भी प्रकार की बाधा न हो। उन्होंने राष्ट्रपति से यह भी अपील की है कि केंद्र सरकार को राज्य सरकारों के अधिकारों का सम्मान करने की हिदायत दी जाए, ताकि संघीय ढांचे को मजबूत बनाया जा सके।

निष्कर्ष

इस घटना ने केंद्र और राज्य के बीच अधिकारों के टकराव का एक और मामला उजागर किया है। इस प्रकार की घटनाओं से न केवल राज्यों की स्वायत्तता पर सवाल उठते हैं, बल्कि संघीय ढांचे को भी चुनौती मिलती है। झारखंड मुक्ति मोर्चा ने राष्ट्रपति से इस मामले में हस्तक्षेप की अपील करते हुए राज्य के सम्मान और संवैधानिक ढांचे की रक्षा करने की बात कही है।

 

 

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सत्यमेव जयते नानृतं सत्येन पन्था विततो देवयानः।
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