AIN NEWS 1 | दिल्ली की अदालतों का कामकाज पिछले कई दिनों से ठप है। राजधानी के वकील उपराज्यपाल के 13 अगस्त 2025 के आदेश के खिलाफ हड़ताल पर हैं। उनका कहना है कि यह लड़ाई सिर्फ उनके अधिकारों की नहीं, बल्कि न्यायपालिका की स्वतंत्रता की रक्षा के लिए भी है। वकील इस अधिसूचना को ‘अनुचित और मनमाना’ बताते हुए इसे तुरंत रद्द करने की मांग कर रहे हैं।
बार एसोसिएशन की बैठक और हड़ताल जारी रहने का फैसला
मंगलवार रात दिल्ली के सभी जिला अदालत बार एसोसिएशनों की समन्वय समिति की आपात बैठक हुई। बैठक में सर्वसम्मति से तय हुआ कि बुधवार को भी हड़ताल जारी रहेगी।
समिति के महासचिव अनिल बसोया ने कहा—
“मुख्यमंत्री और अधिकारियों से चर्चा हुई, लेकिन कोई ठोस समाधान नहीं निकला। अधिसूचना वापस नहीं होगी, तब तक आंदोलन जारी रहेगा। हम सब एकजुट हैं।”
सरकारी अधिवक्ताओं पर रोक
समिति ने निर्णय लिया कि अदालत परिसरों में किसी भी सरकारी अधिवक्ता, ईडी-सीबीआई अभियोजक या पुलिस अधिकारी को प्रवेश नहीं दिया जाएगा। यह कदम आंदोलन को मजबूत करने और सरकार पर दबाव बनाने की रणनीति का हिस्सा है।
पुतला दहन और नारेबाजी
तीस हजारी कोर्ट परिसर में वकीलों ने उपराज्यपाल का पुतला जलाया और जोरदार नारेबाजी की। दिल्ली बार एसोसिएशन के अध्यक्ष डी.के. शर्मा ने कहा—
“यह अधिसूचना किसी भी स्थिति में स्वीकार्य नहीं है। आदेश को तुरंत वापस लिया जाना चाहिए।”
अदालतों का कामकाज प्रभावित
हड़ताल के कारण अदालतों में सुनवाई रद्द हो गई। जमानत, रिमांड और अपील जैसी जरूरी सुनवाई भी आगे खिसक गई। हजारों मामलों में लंबित सुनवाई और लंबित हो गई। आम जनता न्याय पाने के लिए और इंतजार करने को मजबूर हो गई।
एक वादी ने कहा—
“हम न्याय के लिए अदालत आते हैं, लेकिन तारीखें बार-बार बदल रही हैं। अब समझ नहीं आ रहा हमारा केस कब सुनेगा।”
वकीलों की प्रमुख मांगें
13 अगस्त 2025 की अधिसूचना तुरंत रद्द की जाए।
वकीलों के अधिकारों और स्वतंत्रता की गारंटी दी जाए।
भविष्य में कोई आदेश अधिवक्ता संगठनों से चर्चा के बाद ही जारी हो।
आम जनता पर असर
हड़ताल का असर सिर्फ अदालतों तक सीमित नहीं है। जेल में बंद लोगों की जमानत सुनवाई टल गई, सिविल मामलों की नई तारीखों का इंतजार करना पड़ा। छोटे व्यापारियों और कारोबारी भी परेशान हुए।
एक महिला वादी ने कहा—
“हम सुरक्षा की उम्मीद लेकर अदालत आते हैं, लेकिन जब अदालतें बंद हों तो किससे मदद मांगें?”
सरकार और उपराज्यपाल की प्रतिक्रिया
सरकार ने इस मामले पर ठोस प्रतिक्रिया नहीं दी है। मुख्यमंत्री से बातचीत हुई, लेकिन कोई समाधान नहीं निकला। उपराज्यपाल का कार्यालय अधिसूचना को वैधानिक और आवश्यक बताता रहा। विशेषज्ञों के अनुसार यह विवाद केवल कानूनी नहीं, बल्कि राजनीतिक टकराव भी है।
आंदोलन की आगे की रणनीति
बार एसोसिएशन ने संकेत दिए हैं कि अगर मांगें पूरी नहीं हुईं, तो आंदोलन और तेज होगा। बड़े रैलियां और मार्च आयोजित हो सकते हैं। अदालतों में पूर्ण बहिष्कार और हाईकोर्ट या सुप्रीम कोर्ट का रुख भी संभव है।
विशेषज्ञों की राय
कानूनी विशेषज्ञों का कहना है कि लंबे समय तक अदालतों का कामकाज बाधित होने से न्याय व्यवस्था की साख प्रभावित होती है। वरिष्ठ अधिवक्ता कहते हैं—
“इस स्थिति से दोनों पक्षों को नुकसान होगा। बातचीत से समाधान ढूँढना ही सही रास्ता है।”
दिल्ली वकीलों की हड़ताल अब एक महत्वपूर्ण मोड़ पर है। वकील न्यायपालिका की स्वतंत्रता और अधिकारों की रक्षा कर रहे हैं, वहीं आम जनता न्याय पाने में असमर्थ है। जल्द समाधान न मिलने पर यह विवाद और गंभीर हो सकता है।