Devkinandan Thakur Opposes Banke Bihari Corridor, Calls for Sanatan Board and Temple Independence
बांके बिहारी मंदिर कॉरिडोर का विरोध: देवकीनंदन ठाकुर बोले – सरकार नहीं, सनातन बोर्ड चलाए मंदिर
AIN NEWS 1: बांके बिहारी मंदिर, वृंदावन का एक ऐतिहासिक और धार्मिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण स्थल है। हाल ही में यहां प्रस्तावित “मंदिर कॉरिडोर परियोजना” को लेकर चर्चित कथावाचक देवकीनंदन ठाकुर ने तीखा विरोध जताया है। उनका कहना है कि यह परियोजना मंदिर की पारंपरिक व्यवस्था और सांस्कृतिक मूल्यों के लिए खतरा बन सकती है।
🔸 मंदिर पर सरकार का नियंत्रण नहीं चाहिए
देवकीनंदन ठाकुर का मुख्य तर्क है कि भारत में किसी भी मंदिर का संचालन सरकार के अधीन नहीं होना चाहिए। उन्होंने तिरुपति बालाजी मंदिर का उदाहरण देते हुए कहा कि जब वहां की व्यवस्थाओं में सरकारी हस्तक्षेप हुआ, तो वहां विवाद और अशांति फैल गई। इसी को देखते हुए उन्होंने मांग की कि “सनातन बोर्ड” का गठन किया जाए, जो सभी मंदिरों की परंपराओं और व्यवस्थाओं को संभाले।
🔸 प्रशासन के दोहरे मापदंड पर सवाल
ठाकुर ने प्रशासन पर दोहरा रवैया अपनाने का आरोप लगाते हुए कहा कि जब नमाज सड़क पर अदा की जाती है, तो प्रशासन बाकायदा रास्ता बंद करवा कर उसकी व्यवस्था करता है। ऐसे में जब श्रद्धालु मंदिर में दर्शन के लिए आते हैं, तो उन्हें वैसी ही सुविधाएं क्यों नहीं दी जातीं? उन्होंने कहा कि अगर रास्ता चौड़ा करना है तो किया जाए, लेकिन वह श्रद्धालुओं की भावना और मंदिर की गरिमा को ठेस पहुंचाकर नहीं होना चाहिए।
🔸 VIP कल्चर पर भी उठाए सवाल
देवकीनंदन ठाकुर ने मंदिर में बढ़ते VIP कल्चर की भी आलोचना की। उन्होंने कहा कि हमारे आचार्यगण हमेशा नंगे पैर चलते थे, लेकिन आज कुछ लोग चाहते हैं कि उनकी गाड़ी सीधे भगवान के दरवाजे तक जाए। उन्होंने सुझाव दिया कि अगर कोई व्यक्ति भगवान के दर्शन करने आ रहा है, तो उसे जूते-चप्पल छोड़कर पैदल ही आना चाहिए। यह शास्त्रीय परंपरा है और इसी में भक्ति की सच्ची भावना छिपी है।
🔸 वृंदावन के सौंदर्य और संस्कृति को संरक्षित करें
उन्होंने कहा कि वृंदावन में बनने वाला गलियारा केवल कंक्रीट और दीवारों का नहीं होना चाहिए। यह ऐसा गलियारा हो जिसमें तुलसी, बेल-पत्ते और लताओं से सजावट हो। जब कोई व्यक्ति प्रवेश करे तो उसे आभास हो कि वह एक आध्यात्मिक स्थल में प्रवेश कर रहा है।
🔸 यमुना की निर्मल धारा बहती रहनी चाहिए
उन्होंने वृंदावन के विकास के लिए यमुना की शुद्धता को सबसे अहम बताया। उनका कहना है कि यदि यमुना की धारा निर्मल रहेगी, तो यह वास्तविक रूप से वृंदावन का विकास माना जाएगा। ठाकुर ने कहा, “हमारी संस्कृति और हमारी सरकार दोनों तभी तक सुरक्षित हैं जब तक हमारी नदियां, मंदिर और परंपराएं सुरक्षित हैं।”
🔸 मांस-मदिरा मुक्त बनाएं वृंदावन
कथावाचक ने यह भी आग्रह किया कि वृंदावन की सीमाओं पर मांस और शराब की बिक्री पर पूर्ण प्रतिबंध होना चाहिए। उन्होंने कहा कि यदि यह पवित्र भूमि वाकई में विकसित की जानी है, तो इसका आध्यात्मिक स्वरूप और वातावरण भी शुद्ध और सात्विक होना चाहिए।
🔸 परंपरा और आधुनिकता के बीच संतुलन जरूरी
देवकीनंदन ठाकुर की यह पूरी अपील इस ओर संकेत करती है कि विकास जरूरी है लेकिन उसकी दिशा पर ध्यान देना और परंपरा का सम्मान बनाए रखना उससे भी ज्यादा जरूरी है। उन्होंने अपनी बात को “राधे राधे” के जयकारे के साथ समाप्त करते हुए कहा – “हमें ऐसी विकास की जरूरत है जो हमारी संस्कृति और आस्था की रक्षा करे।”
✅ संक्षेप में प्रमुख बिंदु:
बांके बिहारी मंदिर में सरकार के हस्तक्षेप का विरोध
“सनातन बोर्ड” गठन की मांग
प्रशासन के दोहरे रवैये पर सवाल
VIP संस्कृति पर आपत्ति
वृंदावन का विकास प्राकृतिक और सांस्कृतिक ढंग से हो
निर्मल यमुना धारा बहती रहनी चाहिए
मदिरा और मांस पर पूर्ण प्रतिबंध का सुझाव
📌 नोट: यह विषय हिंदू श्रद्धा और सांस्कृतिक पहचान से जुड़ा हुआ है। सरकार और समाज को मिलकर ऐसा रास्ता निकालना होगा जो विकास और परंपरा दोनों का सम्मान करता हो।
In a strong opposition to the Banke Bihari Mandir Corridor in Vrindavan, spiritual preacher Devkinandan Thakur has voiced his concerns, emphasizing the need for a Sanatan Board to manage Hindu temples without government control. He questioned the administration’s approach and compared it to the treatment given to public religious practices like street prayers. Thakur stressed the importance of preserving temple traditions, the sanctity of Vrindavan, and keeping the Yamuna River clean. His appeal highlights the cultural and spiritual significance of Banke Bihari Mandir and Vrindavan in Hinduism.