Devkinandan Thakur’s Sanatan Dharma Parliament: Mahamandaleshwars Absent, Demand for Sanatan Board Formation
सनातन बोर्ड के गठन की मांग पर देवकीनंदन ठाकुर की धर्म संसद में महामंडलेश्वर रहे गैरहाजिर
AIN NEWS 1: प्रयागराज महाकुंभ में कथावाचक देवकीनंदन ठाकुर द्वारा आयोजित ‘सनातन धर्म संसद’ बैठक का मुख्य उद्देश्य सनातन बोर्ड के गठन की मांग और वक्फ बोर्ड को खत्म करना था। हालांकि, इस महत्वपूर्ण बैठक में किसी भी अखाड़े के महामंडलेश्वर ने भाग नहीं लिया।
कथावाचक देवकीनंदन ठाकुर ने इस बैठक के लिए आम जनता के साथ-साथ अखाड़ों के महामंडलेश्वरों को भी आमंत्रित किया था। लेकिन अब तक मिली जानकारी के अनुसार, अखाड़ों के महामंडलेश्वर इस बैठक से दूर रहे।
सनातन बोर्ड गठन की मांग
धर्म संसद का आयोजन सनातन बोर्ड के गठन की मांग को लेकर किया गया था। इसमें देवकीनंदन ठाकुर ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से अपील की कि महाकुंभ के दौरान ही इस बोर्ड का गठन किया जाए। उनका कहना था कि अगर वक्फ बोर्ड जैसा बोर्ड बिना किसी मांग के बन सकता है, तो सनातन धर्म के लिए एक बोर्ड क्यों नहीं बनाया जा सकता?
अखाड़ों का रुख
अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष रवींद्र पुरी ने इस मुद्दे पर समर्थन देते हुए कहा कि भारत से वक्फ बोर्ड को खत्म कर सनातन बोर्ड बनाया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि यह देश के संत समाज की मांग है, और इसे तत्काल प्रभाव से लागू किया जाना चाहिए।
महामंडलेश्वरों की प्रतिक्रिया
महामंडलेश्वर यतींद्रानंद सरस्वती ने महाकुंभ को ‘महान अनुष्ठान’ बताया। उन्होंने कहा कि इस अनुष्ठान के बाद संत समाज को ‘दक्षिणा’ स्वरूप सनातन बोर्ड का गठन चाहिए। उन्होंने प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री को ‘यजमान’ बताते हुए इस मांग को धर्म और समाज की उन्नति के लिए आवश्यक बताया।
धर्म संसद में क्या हुआ?
बैठक के दौरान देवकीनंदन ठाकुर ने सभी से अपील की कि वे इस मांग का समर्थन करें और सनातन धर्म को संरक्षित रखने के लिए आगे आएं। उन्होंने कहा कि वक्फ बोर्ड को खत्म करना और सनातन बोर्ड का गठन न केवल सनातन धर्म के अनुयायियों के लिए आवश्यक है, बल्कि यह धर्म की गरिमा बनाए रखने के लिए भी जरूरी है।
अखाड़ों की अनुपस्थिति पर सवाल
अखाड़ों के महामंडलेश्वर की गैरमौजूदगी पर कई सवाल उठ रहे हैं। इसका कारण स्पष्ट नहीं है, लेकिन इसे लेकर संत समाज में चर्चा का विषय बना हुआ है।
The Sanatan Dharma Parliament organized by Devkinandan Thakur at Prayagraj Mahakumbh emphasized the urgent need to form a Sanatan Board while demanding the dissolution of the Waqf Board. Despite invitations to Mahamandaleshwars from various Akharas, their absence raised questions. This meeting aimed to highlight the importance of preserving Sanatan Dharma and ensuring the representation of Hindu religious practices through an official board.