AIN NEWS 1 | उत्तराखंड में एक बार फिर कुदरत ने कहर बरपाया है। उत्तरकाशी जिले के धराली क्षेत्र में मंगलवार सुबह बादल फटने की घटना ने पूरे इलाके को हिला कर रख दिया। तेज बारिश के बाद अचानक बाढ़ आ गई, जिससे ऊंचाई पर बसे कई गांव जलमग्न हो गए।
उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले के धराली गांव में बादल फटने की घटना अत्यंत दुखद है। इस आपदा में हुए जन-धन के नुकसान से मैं हृदय से व्यथित हूँ। प्रभावित परिवारों के प्रति मेरी गहरी संवेदनाएं हैं।
मैं @ukcmo से आग्रह करता हूँ कि राहत और बचाव कार्यों में पूरी तत्परता बरती जाए, घायलों… pic.twitter.com/NfR4U19RBy
— Chandra Shekhar Aazad (@BhimArmyChief) August 5, 2025
लोगों में उस समय अफरा-तफरी मच गई जब बहाव इतना तेज हो गया कि होटलों और घरों से लोग चीखते हुए “भागो रे… भागो” कहते हुए दौड़ने लगे। इस भयावह मंजर का एक वीडियो भी सामने आया है जिसमें लोग जान बचाने के लिए इधर-उधर भागते नजर आ रहे हैं।
क्या हुआ धराली में?
धराली गांव, जो हर्षिल घाटी के पास स्थित है, यहां सुबह-सुबह बादल फटने (Cloudburst) की सूचना मिली। इसके बाद तेज बहाव के साथ पानी, मलबा और चट्टानें गांव की ओर बहने लगीं। देखते ही देखते कई घर ढह गए, और कुछ तो बह ही गए।
घटना इतनी तेजी से हुई कि बहुत से लोग खुद को समय पर सुरक्षित स्थानों पर नहीं पहुंचा पाए। अब तक 4 लोगों की मौत की पुष्टि हो चुकी है, जबकि करीब 50 लोग लापता बताए जा रहे हैं।
लोगों का दर्द और चीख-पुकार
घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है, जिसमें देखा जा सकता है कि लोग होटलों से चीखते हुए बाहर निकल रहे हैं। तेज आवाज़ों में लोग चिल्ला रहे हैं – “भागो रे भागो”, और सैलाब उनके पीछे पीछे आ रहा है।
कई लोग पानी की तेज धार में बह गए, कुछ को बहाव ने उखाड़कर दूर फेंक दिया। कई घरों में बच्चे, बुजुर्ग और मवेशी फंसे रह गए। अब गांवों में मातम पसरा हुआ है और लोग अपनों की तलाश में इधर-उधर भटक रहे हैं।
राहत और बचाव कार्य
घटना की जानकारी मिलते ही SDRF, NDRF और जिला प्रशासन की टीमें मौके पर रवाना हुईं। राहत और बचाव कार्य तेजी से चल रहा है, लेकिन खराब मौसम और ऊबड़-खाबड़ इलाके की वजह से परेशानी हो रही है।
कुछ गांव अब भी पानी और मलबे से कटे हुए हैं, जहां तक अभी टीमों की पहुंच नहीं हो पाई है। हेलिकॉप्टर की मदद से बचाव का कार्य भी शुरू किया गया है।
प्रशासन की चेतावनी
अधिकारियों ने स्थानीय निवासियों को नदियों के किनारे न जाने, बच्चों और पशुओं को सुरक्षित स्थानों पर रखने की अपील की है। साथ ही, ऊंचाई वाले इलाकों में रहने वाले लोगों को एहतियात बरतने और समय रहते खाली करने को कहा गया है।
मौसम विभाग की भविष्यवाणी पहले से थी
भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD) ने पहले ही चेतावनी जारी की थी कि उत्तराखंड के कई हिस्सों में 4 से 6 अगस्त के बीच अत्यधिक भारी बारिश हो सकती है। उत्तरकाशी, चमोली, टिहरी और पौड़ी गढ़वाल जिलों को विशेष रूप से अलर्ट किया गया था।
इसके बावजूद इतनी भीषण बाढ़ और तबाही की आशंका कम ही थी। यह घटना इस बात का प्रमाण है कि पहाड़ी राज्यों में मॉनसून की हर बूंद एक बड़ी चेतावनी लेकर आती है।
गांव बह गए, जिंदगियां बदल गईं
धराली और उसके आसपास के गांवों में कई घरों की नींव तक बह गई, और लोग पूरी तरह बेघर हो गए हैं। बच्चों की स्कूल की किताबें, बुजुर्गों की दवाइयां, रोज़मर्रा का सामान – सब कुछ सैलाब निगल गया।
प्रशासन ने अस्थायी राहत शिविर लगाए हैं, जहां लोगों को रहने, खाने और प्राथमिक उपचार की व्यवस्था की गई है। लेकिन घायलों और लापता लोगों की तलाश अब भी जारी है।
मानसून में सावधानी ही सुरक्षा है
हर साल उत्तराखंड जैसे राज्यों में मानसून अपने साथ त्रासदी भी लाता है। पहाड़ी इलाकों में बादल फटना, लैंडस्लाइड और बाढ़ जैसी घटनाएं आम होती जा रही हैं।
प्रशासन को चाहिए कि वह टेक्नोलॉजी का ज्यादा से ज्यादा उपयोग कर ग्रामीण इलाकों में मौसम से जुड़ी चेतावनियों को समय रहते पहुंचाए। वहीं, आम नागरिकों को भी सतर्क रहकर नदी किनारे की बस्तियों में मानसून के समय सतर्कता बरतनी चाहिए।
A devastating cloudburst in Uttarkashi’s Dharali village in Uttarakhand has triggered a sudden flash flood, leading to massive destruction. Multiple houses were swept away, and over 50 people are reported missing, while 4 confirmed deaths have shocked the region. A viral video shows terrified residents running out of hotels and shouting “Bhago Re Bhago” as powerful water currents inundated the area. SDRF, NDRF, and local administration are conducting rescue operations, and the IMD had already issued a heavy rainfall alert for Uttarkashi, Chamoli, Tehri, and other districts. The Dharali flash flood reminds us of the fragile terrain and increasing monsoon-related disasters in the Himalayas.