AIN NEWS 1: कांग्रेस सांसद दिग्विजय सिंह एक बार फिर अपने विवादित बयान को लेकर सुर्खियों में हैं। इस बार उन्होंने बाबरी मस्जिद विध्वंस और उस दौरान हुए दंगों को लेकर ऐसी बात कह दी, जो न सिर्फ चौंकाने वाली है, बल्कि राजनीतिक हलकों में भारी विवाद का कारण भी बन गई है।
भोपाल में एक सभा को संबोधित करते हुए दिग्विजय सिंह ने कहा कि जब बाबरी मस्जिद शहीद हुई थी, उस वक्त वे मध्य प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष थे। उन्होंने कहा कि 1947 के विभाजन के समय भी भोपाल में दंगा नहीं हुआ था, लेकिन बाबरी मस्जिद विध्वंस के समय दंगा हुआ। इसके बाद जो उन्होंने कहा, उस पर सियासी तूफान खड़ा हो गया।
दिग्विजय सिंह ने कहा, “हमने हिंदू और मुसलमानों को जोड़ने की पूरी कोशिश की। बाबरी मस्जिद के विध्वंस के बाद दंगा-फसाद न हो, इसके लिए पूरा प्रयास किया। लेकिन दंगा हुआ और हम इसमें जिम्मेदार रहे।”
इस बयान को कई मीडिया रिपोर्ट्स और राजनीतिक विश्लेषकों ने ‘जुबान फिसलने’ के तौर पर देखा, लेकिन सबसे चौंकाने वाली बात यह रही कि दिग्विजय सिंह ने अपने बयान पर न तो सफाई दी, न ही माफी मांगी। उन्होंने पूरे आत्मविश्वास के साथ यह बात कही, जिससे यह संदेश गया कि वह अपने कहे को लेकर गंभीर थे।
राजनीतिक हलचल और बीजेपी की प्रतिक्रिया
जैसे ही यह वीडियो और बयान सोशल मीडिया पर वायरल हुआ, बीजेपी ने तुरंत इस पर प्रतिक्रिया दी। भाजपा नेताओं ने कहा कि यह बयान कांग्रेस की असली सोच को उजागर करता है, और यह दिखाता है कि कांग्रेस किस तरह से दंगों की राजनीति करती रही है। कई नेताओं ने इसे राष्ट्रीय सुरक्षा और सामाजिक सौहार्द के खिलाफ बताया।
भाजपा प्रवक्ताओं ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर दिग्विजय सिंह के बयान की निंदा की और कांग्रेस से स्पष्टीकरण मांगा। कुछ नेताओं ने यह भी कहा कि अगर यह बयान किसी बीजेपी नेता ने दिया होता, तो अब तक एफआईआर दर्ज हो चुकी होती और गिरफ्तारी की मांग की जाती।
कांग्रेस की चुप्पी
दिग्विजय सिंह के इस बयान के बाद कांग्रेस पार्टी की ओर से अब तक कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है। न पार्टी ने इस बयान का समर्थन किया है और न ही इससे खुद को अलग किया है। यह चुप्पी भी राजनीतिक गलियारों में चर्चा का विषय बनी हुई है।
अतीत में भी विवादों में रहे हैं दिग्विजय
यह पहली बार नहीं है जब दिग्विजय सिंह ने ऐसा कोई विवादित बयान दिया हो। इससे पहले भी वे कई बार संघ, भाजपा, और यहां तक कि आतंकवाद से जुड़े मुद्दों पर अपनी बेबाक राय के कारण विवादों में रह चुके हैं। उन्होंने कभी हेमंत करकरे की मौत पर सवाल उठाया, तो कभी ओसामा बिन लादेन को ‘ओसामा जी’ कहकर संबोधित किया।
बाबरी मस्जिद विध्वंस: एक संक्षिप्त पृष्ठभूमि
6 दिसंबर 1992 को अयोध्या में स्थित बाबरी मस्जिद को कारसेवकों द्वारा गिरा दिया गया था। इसके बाद देशभर में दंगे भड़क उठे थे, जिनमें हजारों लोग मारे गए। यह मामला आज भी भारतीय राजनीति और समाज के लिए संवेदनशील और जटिल बना हुआ है।
इस घटना के लिए तत्कालीन केंद्र और राज्य सरकारों की भूमिका पर सवाल उठते रहे हैं। कई राजनीतिक नेताओं पर आरोप लगे कि उन्होंने इस पूरे प्रकरण में निष्क्रियता बरती या फिर इसे राजनीतिक लाभ के लिए भुनाया।
बयान का प्रभाव
दिग्विजय सिंह का यह बयान ऐसे समय आया है जब देश में लोकसभा चुनावों की आहट सुनाई दे रही है। ऐसे में यह बयान कांग्रेस के लिए राजनीतिक नुकसान पहुंचा सकता है, खासकर उन राज्यों में जहां धर्म और सांप्रदायिकता की राजनीति असर डालती है।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि इस बयान से कांग्रेस को सफाई देनी पड़ सकती है और शायद पार्टी को नुकसान भी झेलना पड़े। साथ ही, भाजपा को एक और मुद्दा मिल गया है, जिसे वह चुनावी मंच पर जोरशोर से उठा सकती है।
दिग्विजय सिंह का बाबरी मस्जिद से जुड़ा यह बयान सिर्फ एक व्यक्ति की राय नहीं है, बल्कि यह भारत की राजनीति में बयानबाजी की गंभीरता और उसके परिणामों को दर्शाता है। एक तरफ वे खुद को जिम्मेदार ठहराकर जवाबदेही लेने का दावा करते हैं, तो दूसरी तरफ यह बयान धार्मिक भावनाओं को भड़काने और सियासी फायदे के तौर पर भी देखा जा रहा है।
राजनीतिक बयान जिम्मेदारी और समझदारी से दिए जाने चाहिए, खासकर जब वे इतने संवेदनशील विषयों से जुड़े हों। दिग्विजय सिंह का यह बयान न सिर्फ विवाद खड़ा करता है, बल्कि यह भी दर्शाता है कि भारत में राजनीति और धर्म का मेल अब भी एक ज्वलंत मुद्दा बना हुआ है।
Congress MP Digvijay Singh made a controversial statement on the Babri Masjid riots during a speech in Bhopal, where he admitted to being involved in the riot attempts following the demolition of the Babri structure. Referring to his role as the state Congress president at that time, Singh claimed he tried to connect Hindus and Muslims, but instead violence broke out. His Babri Masjid statement has sparked major backlash, especially from BJP leaders, and is being widely discussed as a shocking political controversy. The incident highlights ongoing tensions around the Ayodhya dispute and the sensitive issue of communal riots in India.