AIN NEWS 1 | अमेरिकी राजनीति में एक बार फिर पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप चर्चा में हैं। हाल ही में उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में उस संघीय अदालत के फैसले को चुनौती दी, जिसमें कहा गया था कि अमेरिकी राष्ट्रपति को विदेशी आयात पर एकतरफा टैरिफ लगाने का अधिकार नहीं है। ट्रंप का दावा है कि भारत पर लगाए गए टैरिफ केवल व्यापारिक कारणों से नहीं, बल्कि वैश्विक सुरक्षा और रूस-यूक्रेन युद्ध को रोकने की कोशिशों का हिस्सा थे।
ट्रंप का पक्ष: “भारत पर टैरिफ ज़रूरी था”
गुरुवार (4 सितंबर 2025) को हुई सुनवाई में ट्रंप प्रशासन ने कोर्ट के सामने स्पष्ट किया कि टैरिफ का फैसला साधारण व्यापारिक विवाद नहीं था। उनका कहना है कि यह कदम अंतरराष्ट्रीय आपातकालीन आर्थिक शक्तियां अधिनियम (IEEPA) के तहत उठाया गया। इसका उद्देश्य था रूस की ऊर्जा खरीद को सीमित करना और भारत को इस प्रक्रिया में दबाव में लाना ताकि यूक्रेन में शांति बहाल करने की कोशिशों को मजबूत किया जा सके।
अमेरिकी सरकार की ओर से कहा गया कि राष्ट्रपति ट्रंप ने आपातकालीन शक्तियों का इस्तेमाल किया क्योंकि स्थिति बेहद संवेदनशील थी और तत्काल निर्णय लेने की जरूरत थी।
विपक्ष का तर्क: “विदेश नीति खतरे में”
हालांकि, ट्रंप के इस फैसले का विरोध करने वालों का कहना है कि टैरिफ लगाने से अमेरिकी विदेश नीति को गंभीर झटका लगा है। अपील में यह भी कहा गया कि इससे न केवल दूसरे देशों के साथ अमेरिका की वार्ता प्रक्रिया प्रभावित हुई है, बल्कि पहले से बने हुए कई व्यापारिक फ्रेमवर्क और समझौते भी खतरे में पड़ गए हैं।
कोर्ट हारने का डर क्यों सता रहा है ट्रंप को?
ट्रंप का मानना है कि अगर अमेरिका यह केस हार जाता है तो इसके दूरगामी परिणाम होंगे। उन्होंने चेतावनी दी कि इस स्थिति में अमेरिका को यूरोपीय यूनियन, जापान और दक्षिण कोरिया जैसे देशों के साथ किए गए बड़े व्यापार समझौतों को रद्द करना पड़ सकता है।
उन्होंने कहा,
“हमने यूरोपीय यूनियन के साथ एक समझौता किया है जिसके तहत वे हमें लगभग एक ट्रिलियन डॉलर दे रहे हैं। अगर हम यह मुकदमा हार जाते हैं, तो हमें इन समझौतों को रद्द करना होगा। इससे अमेरिका की आर्थिक स्थिरता खतरे में पड़ जाएगी।”
अमेरिका के लिए संभावित आर्थिक झटका
ट्रंप ने साफ शब्दों में कहा कि अगर कोर्ट का फैसला उनके खिलाफ जाता है, तो अमेरिका की अर्थव्यवस्था को भारी नुकसान हो सकता है। उन्होंने चेतावनी दी कि यह न केवल अमेरिका की समृद्धि के रास्ते में बाधा बनेगा, बल्कि देश को दोबारा कमजोर भी कर सकता है।
टैरिफ विवाद का बड़ा असर
भारत पर लगाए गए टैरिफ ने अमेरिका-भारत संबंधों में हलचल मचा दी है। हालांकि, अमेरिकी प्रशासन का कहना है कि यह फैसला रणनीतिक दृष्टिकोण से लिया गया, ताकि रूस पर दबाव बनाया जा सके। वहीं आलोचक इसे अमेरिका की विदेश नीति और वैश्विक व्यापार संतुलन पर सीधा खतरा मान रहे हैं।
आगे की राह
अब सबकी निगाहें सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर टिकी हैं। अगर कोर्ट ट्रंप के पक्ष में जाता है तो यह राष्ट्रपति के अधिकारों को और मजबूत करेगा। लेकिन अगर फैसला खिलाफ आता है तो अमेरिकी विदेश नीति और वैश्विक व्यापार समझौतों पर बड़ा संकट खड़ा हो सकता है।



















