नई दिल्ली, 16 जुलाई 2025 : डॉ. रोहिनी घवारी, जो अपने बेबाक बयानों और सामाजिक मुद्दों पर मुखर रुख के लिए जानी जाती हैं, एक बार फिर सुर्खियों में हैं। इस बार उन्होंने सोशल मीडिया पर एक गंभीर आरोप लगाते हुए दावा किया है कि उन्हें ₹2.5 करोड़ का मानहानि नोटिस भेजा गया है और अब उनकी हत्या की साजिश रची जा रही है।
अपने एक्स (पूर्व ट्विटर) हैंडल पर डॉ. घवारी ने लिखा कि, “2.5 करोड़ का मानहानि का नोटिस तो भेज दिया तूने!! अब 5 करोड़ किसी गुंडे को देकर स्विट्जरलैंड में मेरी हत्या भी करा दे। अकेली रहती हूं यहाँ, अच्छा होगा तेरे लिए!! क्योंकि अब लड़ने से मुझे इस दुनिया की कोई ताक़त नहीं रोक सकती।”
इस पोस्ट से साफ है कि डॉ. घवारी अब खुलकर सामने आ गई हैं और उन्होंने बिना किसी का नाम लिए इशारा किया है कि उनके खिलाफ एक संगठित साजिश रची जा रही है।
हालांकि, इस पूरे प्रकरण में उन्होंने प्रत्यक्ष रूप से किसी व्यक्ति का नाम नहीं लिया, लेकिन उनकी बातों से साफ झलकता है कि उनका इशारा भीम आर्मी प्रमुख चंद्रशेखर आज़ाद ‘रावण’ की ओर है। इससे पहले भी दोनों के बीच सोशल मीडिया पर कई बार वाकयुद्ध हो चुका है।
मामला क्या है?
सूत्रों के अनुसार, हाल ही में डॉ. रोहिनी ने चंद्रशेखर रावण को लेकर कुछ टिप्पणियां की थीं, जिन्हें लेकर विवाद खड़ा हो गया। इसके जवाब में उनके ऊपर 2.5 करोड़ रुपये का मानहानि का केस ठोक दिया गया।
अब डॉ. घवारी ने एक और बड़ा दावा किया है — उनका कहना है कि उन्हें स्विट्जरलैंड में अकेले रहने की वजह से निशाना बनाया जा सकता है और उनकी हत्या की साजिश रची जा रही है। उन्होंने यह भी लिखा कि अगर उनका मर्डर हो गया तो इसके पीछे कौन होगा, यह सबको पता है।
क्या कहती है डॉ. घवारी?
उनका पूरा संदेश भावुकता, गुस्से और साहस से भरा हुआ था। उन्होंने यह भी कहा कि अब उन्हें लड़ने से कोई ताक़त नहीं रोक सकती, चाहे वह दुनिया की कोई भी शक्ति क्यों न हो।
उनका कहना था:
“ईश्वर, क़ानून और जनता — इन तीनों की अदालत में तू हारेगा।”
यह स्पष्ट संकेत है कि अब वह अपने मिशन से पीछे हटने वाली नहीं हैं और कानूनी, सामाजिक तथा आध्यात्मिक स्तर पर पूरी तैयारी में हैं।
सोशल मीडिया की प्रतिक्रिया:
उनके ट्वीट पर कई तरह की प्रतिक्रियाएं देखने को मिल रही हैं। कुछ लोग उनके समर्थन में खड़े हुए हैं तो कुछ इसे पब्लिसिटी स्टंट बता रहे हैं।
एक यूजर ने लिखा —
“भाभी आप भी स्विट्जरलैंड का प्रधानमंत्री बनके चंद्रशेखर भैया को टक्कर दे दीजिए।”
यह व्यंग्यात्मक प्रतिक्रिया बताती है कि मामला सोशल मीडिया पर कितना वायरल हो चुका है और लोग इसे गंभीरता के साथ-साथ मजाक के रूप में भी ले रहे हैं।
कानूनी पहलू:
कानूनी दृष्टिकोण से, मानहानि का नोटिस एक व्यक्ति की प्रतिष्ठा को नुकसान पहुँचाने के आरोप में भेजा जाता है। ₹2.5 करोड़ का नोटिस कोई मामूली बात नहीं है। अगर कोर्ट में मामला गया, तो दोनों पक्षों को अपने-अपने पक्ष में ठोस सबूत पेश करने होंगे।
डॉ. रोहिनी के ट्वीट से यह भी स्पष्ट होता है कि अब वह पीछे नहीं हटेंगी। उनका यह भी कहना था कि “अब दुनिया की कोई ताक़त मुझे लड़ने से नहीं रोक सकती।”
विदेश में रहना बना खतरा?
इस विवाद में एक और नया कोण यह है कि डॉ. घवारी ने विशेष रूप से यह बताया कि वे स्विट्जरलैंड में अकेली रहती हैं। इस बात को लेकर उन्होंने अंदेशा जताया कि वहां उनकी जान को खतरा हो सकता है।
इस प्रकार यह विवाद अब केवल सामाजिक या कानूनी स्तर तक सीमित नहीं रह गया है, बल्कि इसमें अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा और महिला अधिकार जैसे मुद्दे भी जुड़ गए हैं।
डॉ. रोहिनी कौन हैं?
डॉ. रोहिनी घवारी एक समाजसेविका, लेखिका और सामाजिक कार्यकर्ता हैं जो भारत के सामाजिक मुद्दों पर बेबाक राय रखती हैं। महिलाओं के अधिकार, दलित विमर्श और राजनीतिक दोहरापन उनके प्रमुख विषय रहे हैं।
वह पहले भी कई बार विवादों में रह चुकी हैं और उन्हें ट्रोलिंग और धमकियों का सामना करना पड़ा है।
इस पूरे विवाद से एक बात तो साफ है — भारत की राजनीति और सामाजिक विमर्श में महिलाएं जब अपनी आवाज़ बुलंद करती हैं, तो उन्हें चुप कराने के प्रयास किए जाते हैं। लेकिन डॉ. रोहिनी घवारी जैसे लोग यह भी साबित करते हैं कि डर के आगे लड़ाई होती है और अगर इंसान ठान ले तो कोई ताक़त उसे रोक नहीं सकती।
अब देखना होगा कि यह मामला कोर्ट तक पहुंचता है या नहीं और आगे दोनों पक्ष क्या रुख अपनाते हैं।
Dr. Rohini Ghavari has come into the spotlight after revealing a 2.5 crore defamation notice allegedly sent by Chandrashekhar Azad ‘Ravana’. In a viral tweet, she expressed fears of a potential murder plot in Switzerland and claimed no force in the world can now stop her from fighting back. This controversy highlights the intersection of social activism, legal battle, and political rivalry. The issue involves key figures like Chandrashekhar Ravana and connects with themes of defamation, women’s safety, Dalit politics, and freedom of speech in India.