Sunday, December 22, 2024

वृंदावन के बांके बिहारी मंदिर में ड्रेस कोड लागू, अमर्यादित वस्त्र पहनकर प्रवेश नहीं मिलेगा?

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AIN NEWS 1: वृंदावन स्थित ठाकुर श्री बांके बिहारी महाराज मंदिर में अब ड्रेस कोड लागू कर दिया गया है। मंदिर प्रशासन ने श्रद्धालुओं से अपील की है कि वे अमर्यादित वस्त्र पहनकर मंदिर में प्रवेश न करें। इस संबंध में मंदिर प्रबंधन ने बैनर के रूप में नोटिस जारी किया है, जिसमें यह स्पष्ट किया गया है कि कौन से कपड़े पहनकर आने पर मंदिर में प्रवेश नहीं मिलेगा।

प्रतिबंधित वस्त्रों की सूची

मंदिर में प्रवेश के लिए अब कुछ खास कपड़ों की मनाही होगी। इनमें मुख्य रूप से कटी-फटी जींस (Ripped Jeans), हाफ पैंट, बरमूडा, मिनी स्कर्ट, नाइट सूट, और चमड़े की बेल्ट शामिल हैं। यह कपड़े अमर्यादित माने गए हैं, और ऐसे कपड़े पहनकर मंदिर में प्रवेश नहीं किया जा सकेगा। बैनर पर इन वस्त्रों के चित्र भी लगाए गए हैं, ताकि श्रद्धालुओं को आसानी से समझाया जा सके कि कौन से कपड़े मंदिर में प्रवेश के लिए उपयुक्त नहीं हैं।

मंदिर प्रबंधन की अपील

मंदिर प्रबंधन ने साफ तौर पर कहा है कि “यह धर्म स्थल है, पर्यटन स्थल नहीं”। इस संदेश के माध्यम से मंदिर प्रशासन ने श्रद्धालुओं से आग्रह किया है कि वे मर्यादित और शालीन वस्त्र पहनकर ही मंदिर आएं। इस बदलाव के पीछे यह उद्देश्य है कि मंदिर में पूजा और भक्ति का वातावरण बना रहे, और वहां आने वाले श्रद्धालु अपने कपड़ों के माध्यम से भी धर्मस्थल की मर्यादा का सम्मान करें।

श्रद्धालुओं से सहयोग की अपील

मंदिर प्रबंधन ने श्रद्धालुओं से इस नई व्यवस्था का पालन करने की अपील की है। इसके अलावा, प्रबंधन ने यह भी बताया कि यदि कोई श्रद्धालु इन नियमों का उल्लंघन करता है, तो मंदिर में प्रवेश की अनुमति नहीं दी जाएगी। प्रबंधन ने श्रद्धालुओं से इस नियम का पालन करने में सहयोग की उम्मीद जताई है ताकि मंदिर में शांतिपूर्ण और सम्मानजनक माहौल बना रहे।

अन्य मंदिरों में भी लागू हुई है ड्रेस कोड व्यवस्था

वृंदावन के ठाकुर श्री राधादामोदर मंदिर और पागल बाबा मंदिर में भी इस प्रकार की अपील की गई है, जहां श्रद्धालुओं से मर्यादित वस्त्र पहनकर आने की अपील की गई है। इन मंदिरों में भी इस तरह के बैनर लगाए गए हैं ताकि श्रद्धालु सही वस्त्र पहनकर आएं और धर्मस्थल की मर्यादा बनी रहे।

वृंदावन के प्रमुख मंदिरों में ड्रेस कोड लागू करने की यह पहल श्रद्धालुओं को अनुशासन और मर्यादा के साथ पूजा में भाग लेने का अवसर देती है। मंदिर प्रशासन की यह कोशिश है कि श्रद्धालु अपनी श्रद्धा को सही तरीके से प्रदर्शित करें और मंदिर की पवित्रता को बनाए रखें।

 

 

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