AIN NEWS 1: दिल्ली में प्रदूषण का स्तर लगातार बढ़ता जा रहा है, और इस दौरान शहर की हवा इतनी जहरीली हो चुकी है कि लोगों के लिए सांस लेना भी मुश्किल हो गया है। प्रदूषण के कारण दिल्ली में स्वास्थ्य संकट गहरा चुका है, और इसका असर बच्चों और बुजुर्गों पर सबसे ज्यादा हो रहा है। इस घातक प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए कई कदम उठाए जा रहे हैं, जिनमें एक अहम कदम ऑड-ईवन योजना का हो सकता है। लेकिन क्या यह योजना प्रदूषण को नियंत्रित करने में वाकई प्रभावी साबित होगी? आइए इस पर एक नजर डालते हैं।
दिल्ली का प्रदूषण: गंभीर स्थिति
दिल्ली का वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) इस समय 400 से ऊपर है, जो “गंभीर” स्तर पर पहुंच चुका है। इसका मतलब यह है कि शहर की हवा में मौजूद प्रदूषक तत्व इतने खतरनाक हैं कि ये न केवल सांस की बीमारियों को जन्म दे रहे हैं, बल्कि आम आदमी के लिए भी जीवन संकट में डाल रहे हैं। इस स्थिति को देखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली के सभी स्कूलों को बंद करने का आदेश दिया है। ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान (GRAP-4) के तहत कई पाबंदियां लागू की गई हैं, लेकिन फिर भी प्रदूषण का स्तर नियंत्रण में नहीं आ रहा है।
ऑड-ईवन योजना का इतिहास
ऑड-ईवन योजना को पहली बार 2016 में दिल्ली सरकार ने प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए लागू किया था। इस योजना के तहत सड़क पर चलने वाली चार पहिया वाहनों को उनकी नंबर प्लेट के आधार पर दो समूहों में बांटा जाता है—ऑड और ईवन। यानी एक दिन ऑड नंबर वाले वाहन (1, 3, 5, 7, 9) चलते हैं, और दूसरे दिन ईवन नंबर वाले (2, 4, 6, 8, 10)। हालांकि, यह योजना टू व्हीलर्स पर लागू नहीं होती है, और केवल चार पहिया वाहनों को शामिल किया जाता है।
ऑड-ईवन योजना का उद्देश्य सड़क पर गाड़ियों की संख्या को कम करके प्रदूषण को नियंत्रित करना है। अब तक यह योजना तीन बार लागू हो चुकी है—2016, 2017 और 2019 में। यदि प्रदूषण के स्तर को देखते हुए यह योजना फिर से लागू की जाती है, तो यह चौथी बार होगा जब दिल्ली में इस योजना को लागू किया जाएगा।
ऑड-ईवन में किसे छूट मिलती है?
ऑड-ईवन योजना के तहत कुछ वाहन को छूट दी जाती है। जैसे कि सीएनजी और इलेक्ट्रिक वाहनों को बिना किसी प्रतिबंध के चलने की अनुमति होती है। इसके अलावा, अकेली महिला ड्राइवरों और 12 साल से कम उम्र के बच्चों के साथ यात्रा करने वाली महिलाओं को भी छूट मिलती थी। 2019 में आखिरी बार जब यह योजना लागू हुई थी, तो सीएनजी वाहनों को छूट की लिस्ट से बाहर कर दिया गया था।
प्रदूषण बढ़ाने में वाहनों का बड़ा योगदान
दिल्ली में प्रदूषण का एक बड़ा कारण सड़क पर दौड़ते वाहन हैं। एक रिपोर्ट के अनुसार, दिल्ली में लगभग 80 लाख वाहन हैं, और हर साल इनकी संख्या में करीब 15.6 प्रतिशत की वृद्धि हो रही है। इनमें अधिकांश दोपहिया वाहन और निजी कारें हैं। यह वाहन न केवल हानिकारक गैसों का उत्सर्जन करते हैं, बल्कि धूल के प्रदूषण को भी बढ़ाते हैं।
दिल्ली में हर दिन औसतन 1,100 दोपहिया वाहन और 500 निजी कारें पंजीकृत होती हैं। इन वाहनों से निकलने वाले छोटे प्रदूषक कण (PM 2.5) वायु को और भी जहरीला बना देते हैं। एक शोध के अनुसार, दिल्ली में सड़क परिवहन के कारण पीएम 2.5 के उत्सर्जन का लगभग 40 प्रतिशत हिस्सा और नाइट्रोजन ऑक्साइड के 81 प्रतिशत उत्सर्जन का जिम्मेदार है।
क्या ऑड-ईवन योजना प्रदूषण को नियंत्रित करने में प्रभावी है?
विशेषज्ञों का मानना है कि ऑड-ईवन योजना से सड़कों पर वाहनों की संख्या में कमी आती है, जिससे प्रदूषण में कुछ हद तक कमी आती है। दिल्ली टेक्नोलॉजिकल यूनिवर्सिटी के एक अध्ययन के अनुसार, 2016 में जब यह योजना लागू की गई थी, तो पीएम 2.5 और पीएम 1 के स्तर में गिरावट देखी गई थी। हालांकि, इसके प्रभाव कुछ समय तक ही सीमित रहे थे।
दूसरी ओर, करंट साइंस जर्नल के हालिया शोध से पता चला है कि ऑड-ईवन योजना यातायात उत्सर्जन को कम करने में उतनी प्रभावी नहीं रही। इसके कारणों में प्रमुख था—लोगों का यात्रा कार्यक्रम बदलना और छूट प्राप्त वाहनों की संख्या में वृद्धि।
2019 में हुए विश्लेषण के परिणाम
2019 में जब ऑड-ईवन लागू हुआ था, तो एक अध्ययन में पाया गया कि दिल्ली के औसत AQI में 41 अंक की कमी आई थी। 23 अक्टूबर से 3 नवंबर तक औसत AQI 369.5 था, जो 14-15 नवंबर तक घटकर 328.5 हो गया। हालांकि, यह गिरावट भी बहुत अधिक नहीं थी, और प्रदूषण के अन्य स्रोतों के मुकाबले इसका असर सीमित रहा।
क्या दिल्ली में प्रदूषण पर काबू पाने के लिए ऑड-ईवन योजना का असर: क्या यह कारगर साबित होगी?
ऑड-ईवन अकेले पर्याप्त है?
हालांकि ऑड-ईवन योजना से सड़कों पर वाहनों की संख्या में कमी आई है, लेकिन यह केवल प्रदूषण के एक पहलू को ही नियंत्रित करता है। दिल्ली में प्रदूषण के अन्य प्रमुख कारण जैसे पराली जलाना, फैक्ट्रियों से निकलने वाले प्रदूषक और निर्माण कार्य भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। इसके अलावा, दिल्ली में सार्वजनिक परिवहन व्यवस्था की स्थिति भी चिंता का विषय है।
प्रत्येक लाख लोगों पर केवल 45 बसें हैं, जबकि कम से कम 60 बसों की जरूरत है। इस कारण लोग निजी वाहनों का उपयोग करने के लिए मजबूर हो रहे हैं, जो प्रदूषण को और बढ़ा रहे हैं।
निष्कर्ष
ऑड-ईवन योजना प्रदूषण को कम करने का एक कदम हो सकता है, लेकिन यह अकेले पर्याप्त नहीं है। दिल्ली को प्रदूषण से निजात पाने के लिए एक समग्र दृष्टिकोण की आवश्यकता है, जिसमें सार्वजनिक परिवहन को सुधारना, पराली जलाने पर नियंत्रण, फैक्ट्रियों और निर्माण कार्यों से होने वाले प्रदूषण को कम करना, और सख्त पर्यावरण नियमों का पालन करवाना शामिल हो। केवल वाहनों को नियंत्रित करने से प्रदूषण का समाधान पूरी तरह से नहीं हो सकता।