नई दिल्ली: टेस्ला और एक्स (पूर्व में ट्विटर) के प्रमुख एलन मस्क ने अमेरिका के धीमे वोट काउंटिंग सिस्टम पर सवाल उठाते हुए भारत का उदाहरण दिया। उन्होंने कैलिफोर्निया में वोटों की गिनती में हो रही देरी की तुलना भारत के तेज चुनावी प्रक्रिया से की। मस्क ने कहा, “भारत ने एक दिन में 64 करोड़ वोट गिने, जबकि कैलिफोर्निया अभी भी गिनती कर रहा है।”
भारत और अमेरिका की चुनावी प्रक्रिया में अंतर
भारत:
- भारत जैसे विशाल लोकतंत्र में करोड़ों वोट एक दिन में गिने जाते हैं।
- इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (EVM) और केंद्रीकृत चुनावी प्रक्रिया इसकी वजह है।
अमेरिका:
- अमेरिका में कई राज्यों में वोटिंग डाक के जरिए होती है।
- कैलिफोर्निया जैसे राज्यों में प्रोविजनल बैलट, हस्ताक्षर मिलान, और मशीन ऑडिट जैसी लंबी प्रक्रियाएं अपनाई जाती हैं।
- कानूनन, चुनाव अधिकारियों को नतीजों को अंतिम रूप देने के लिए 30 दिन का समय दिया जाता है।
लोगों में नाराजगी और मस्क की टिप्पणी
- अमेरिका के राष्ट्रपति चुनाव के दो हफ्ते बीत जाने के बाद भी कैलिफोर्निया में गिनती पूरी नहीं हुई।
- मस्क की टिप्पणी ने अमेरिकी चुनावी प्रणाली की गति और पारदर्शिता पर बहस छेड़ दी।
विशेषज्ञों और समर्थकों की राय
समर्थकों का तर्क:
- हर वोट की सटीक गिनती के लिए समय जरूरी है।
- अगर हस्ताक्षरों में त्रुटि होती है, तो मतदाता को सुधार का मौका दिया जाता है।
- यह प्रक्रिया निष्पक्षता सुनिश्चित करती है।
आलोचकों का मत:
- धीमी प्रक्रिया लोगों के भरोसे को कमजोर कर सकती है।
- तकनीकी सुधार से प्रक्रिया को तेज और प्रभावी बनाया जा सकता है।
मस्क की टिप्पणी का असर
एलन मस्क की टिप्पणी ने चुनावी प्रक्रियाओं की तुलना पर एक नई चर्चा छेड़ दी है। जहां भारत की तकनीकी दक्षता को सराहा जा रहा है, वहीं अमेरिका की धीमी लेकिन सटीक प्रक्रिया पर भी जोर दिया जा रहा है।
अमेरिका को अपनी प्रक्रिया तेज करने की जरूरत है या नहीं, यह बहस का विषय है, लेकिन मस्क ने भारत के चुनावी तंत्र की कार्यकुशलता को वैश्विक स्तर पर चर्चा का विषय बना दिया है।