Caste Controversy Over Kathavachaks in Etawah: Know Caste Background of Top 10 Indian Spiritual Speakers
इटावा कथा विवाद: जानिए देश के 10 प्रमुख कथावाचकों की जाति और इस बहस के पीछे की हकीकत
AIN NEWS 1: देश में धार्मिक कथाओं का वाचन एक प्रतिष्ठित परंपरा रही है, जिसे अलग-अलग जातियों और वर्गों के लोग वर्षों से निभाते आ रहे हैं। लेकिन हाल ही में उत्तर प्रदेश के इटावा जिले से सामने आया एक मामला इस परंपरा को लेकर नए सवाल खड़े कर रहा है।
इटावा में जातीय भेदभाव का आरोप
इटावा जिले में यादव समुदाय से आने वाले दो कथावाचकों – मुकुट मणि यादव और संत सिंह यादव – ने आरोप लगाया है कि उन्हें उनके ही ब्राह्मण यजमान द्वारा कथावाचन के दौरान जातिगत अपमान और मारपीट का शिकार होना पड़ा। इनका कहना है कि उन्होंने सिर्फ भागवत कथा सुनाई, लेकिन उनकी जाति को लेकर उन्हें तिरस्कार और हिंसा का सामना करना पड़ा।
क्या कथा सिर्फ ब्राह्मण ही सुना सकते हैं?
इस घटना ने देशभर में यह बहस छेड़ दी है कि भगवत कथा या अन्य धार्मिक कथाएं सुनाने का अधिकार क्या सिर्फ ब्राह्मणों तक ही सीमित है?
इस विषय पर मतभेद भी हैं।
काशी विद्वत परिषद जैसे संस्थान मानते हैं कि भगवत कथा कोई भी हिंदू सुना सकता है।
वहीं शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती का मत है कि कोई व्यक्ति अपनी जाति के लोगों को तो कथा सुना सकता है, लेकिन सभी जातियों को भगवत कथा सुनाने का अधिकार सिर्फ ब्राह्मणों को है।
इस विवाद के बीच यह जानना ज़रूरी है कि देश के कुछ प्रमुख और प्रसिद्ध कथावाचक किन-किन जातियों से आते हैं।
देश के 10 प्रमुख कथावाचक और उनकी जातीय पृष्ठभूमि
1. अनिरुद्धाचार्य जी
इनका असली नाम अनिरुद्ध राम तिवारी है। मध्यप्रदेश के जबलपुर जिले में जन्मे अनिरुद्धाचार्य ब्राह्मण परिवार से हैं और “गौरी गोपाल आश्रम” चलाते हैं।
2. देवकीनंदन ठाकुर
उत्तर प्रदेश के मथुरा जिले से ताल्लुक रखने वाले देवकीनंदन ठाकुर का जन्म एक ब्राह्मण परिवार में हुआ था। वे पूरे देश में श्रीमद्भागवत कथा के लिए प्रसिद्ध हैं।
3. बागेश्वर धाम सरकार (धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री)
मध्यप्रदेश के छतरपुर जिले में जन्मे धीरेंद्र शास्त्री, जिन्हें लोग बागेश्वर धाम सरकार के नाम से जानते हैं, ब्राह्मण जाति से हैं।
4. पंडित प्रदीप मिश्रा
सीहोर, मध्यप्रदेश के निवासी प्रदीप मिश्रा को “कुबेरेश्वर धाम” के प्रमुख पुजारी के रूप में जाना जाता है। वे भी ब्राह्मण जाति से हैं।
5. संत रामपाल जी
हरियाणा के सोनीपत जिले के धनाना गांव में जन्मे संत रामपाल जाट जाति से आते हैं। वे राधास्वामी परंपरा से जुड़े रहे और बाद में अपनी अलग आध्यात्मिक धारा बनाई।
6. भोले बाबा (सूरजपाल उर्फ नारायण साकार हरि)
उत्तर प्रदेश के एटा जिले के पटियाली गांव में जन्मे सूरजपाल एक दलित परिवार से हैं। उनका संदेश समाज के पिछड़े वर्गों के लिए प्रेरणादायक रहा है।
7. बाबा रामदेव
हरियाणा के महेंद्रगढ़ जिले के अली सैयदपुर गांव में जन्मे बाबा रामदेव का असली नाम रामकिशन यादव है। वे यादव जाति से हैं और योग गुरु के रूप में प्रसिद्ध हैं।
8.मोरारी बापू
गुजरात के एक ग्रामीण क्षेत्र से आने वाले मोरारी बापू का संबंध अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) से है। वे अब तक देश-विदेश में 800 से अधिक राम कथाएं कर चुके हैं।
9. जया किशोरी
राजस्थान के सुजानगढ़ में जन्मीं जया किशोरी एक ब्राह्मण परिवार से हैं। वे भजनों और धार्मिक प्रवचनों के लिए युवाओं के बीच खासा लोकप्रिय चेहरा हैं।
10. देवी चित्रलेखा
हरियाणा के पलवल जिले के खंभी गांव में जन्मीं देवी चित्रलेखा भी ब्राह्मण जाति से हैं और भागवत पुराण की कथाओं के लिए जानी जाती हैं।
क्या धर्म जाति से बंधा है?
इटावा की घटना ने एक बार फिर इस बहस को हवा दी है कि क्या धर्म का अधिकार जातियों में बंटा हुआ है?
वर्तमान में भारत में हजारों कथावाचक विभिन्न जातियों से आकर अपने तरीके से भगवान की कथाएं लोगों तक पहुँचा रहे हैं। चाहे वो ब्राह्मण हों, ओबीसी, जाट या दलित – अगर उनमें श्रद्धा और ज्ञान है, तो वे समाज को धार्मिक मार्गदर्शन देने में सक्षम हैं।
अंत में यही कहा जा सकता है कि धर्म का स्वरूप समावेशी होना चाहिए, न कि जातिगत सीमाओं में बंधा हुआ। अगर श्रद्धा सच्ची है, तो कथा कहीं से भी, किसी से भी सुनी जा सकती है।
The recent caste-based controversy involving kathavachaks in Etawah has sparked a national debate about who can narrate religious stories. Many are questioning whether Bhagwat Katha narration is limited to Brahmins only. This article explores the caste backgrounds of India’s top 10 kathavachaks including Bageshwar Dham, Jaya Kishori, Morari Bapu, and others, to offer a broader understanding of caste diversity among spiritual storytellers in India.