AIN NEWS 1: अक्सर यह माना जाता है कि दौलत के साथ दिखावा बढ़ता है। बड़े-बड़े घर, महंगी गाड़ियां, और ब्रांडेड कपड़े अमीरों की पहचान बन जाते हैं। लेकिन श्रीराम ग्रुप के संस्थापक राममूर्ति त्यागराजन इस सोच को पूरी तरह गलत साबित करते हैं। उनकी सादगी और जीवनशैली देखकर कोई यह अंदाजा नहीं लगा सकता कि वे एक ₹1.50 लाख करोड़ के साम्राज्य के मालिक हैं।
गांव से शुरुआत, बड़ा साम्राज्य
तमिलनाडु के एक साधारण परिवार में जन्मे राममूर्ति त्यागराजन ने अपनी शुरुआती पढ़ाई गांव से की और फिर आगे की पढ़ाई चेन्नई और कोलकाता में पूरी की। पढ़ाई के बाद उन्होंने न्यू इंडिया इंश्योरेंस कंपनी में नौकरी की। इसी दौरान उन्होंने महसूस किया कि समाज के कई लोग, खासकर ट्रक ड्राइवर और छोटे व्यवसायी, बैंक से लोन लेने में असमर्थ होते हैं।
इन लोगों की मदद के इरादे से उन्होंने 1960 में श्रीराम ग्रुप की नींव रखी। शुरुआत एक छोटी चिट फंड कंपनी से हुई, जो समय के साथ भारत की सबसे बड़ी वित्तीय सेवा कंपनियों में से एक बन गई। श्रीराम ग्रुप आज लोन, बीमा और अन्य वित्तीय सेवाएं उपलब्ध कराता है।
करोड़पति, लेकिन सादगी में आगे
राममूर्ति त्यागराजन की सादगी उनकी पहचान है। करोड़ों की दौलत होने के बावजूद वे लग्जरी चीजों से दूर हैं। उनके पास न मोबाइल फोन है, न आलीशान बंगला, और न ही महंगी गाड़ियां। वे सिर्फ ₹6 लाख की सामान्य कार से सफर करते हैं और साधारण कपड़े पहनते हैं।
वे अपनी संपत्ति का दिखावा करने की बजाय उसे दूसरों की भलाई में लगाना पसंद करते हैं। हाल ही में उन्होंने 75 करोड़ डॉलर वाली एक कंपनी में अपनी हिस्सेदारी बेचकर वह पैसा दान कर दिया। यह उनकी उदारता और दयालुता को दर्शाता है।
सादगी में छुपा सबक
राममूर्ति त्यागराजन का जीवन यह सिखाता है कि दौलत केवल खुद के लिए नहीं, बल्कि समाज की भलाई के लिए भी इस्तेमाल की जानी चाहिए। वे न केवल अपनी सादगी से लोगों को प्रेरित करते हैं, बल्कि दूसरों की मदद करने में भी सबसे आगे रहते हैं।
उनका जीवन यह साबित करता है कि असली अमीरी दिखावे में नहीं, बल्कि दयालुता और सरलता में छिपी होती है।