Wednesday, February 5, 2025

“विदेश मंत्रालय के मंत्री डॉ. एस. जयशंकर ने कोणार्क सूर्य मंदिर का दौरा किया, कहा- यह हमारी धरोहर और रचनात्मकता का प्रतीक”?

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AIN NEWS 1 दिल्ली: विदेश मंत्रालय के मंत्री डॉ. एस. जयशंकर ने हाल ही में ओडिशा के भुवनेश्वर में स्थित कोणार्क सूर्य मंदिर का दौरा किया। उन्होंने इस ऐतिहासिक स्थल के बारे में ट्वीट करते हुए इसे भारतीय धरोहर और रचनात्मकता का अद्भुत उदाहरण बताया। डॉ. जयशंकर ने कहा कि कोणार्क सूर्य मंदिर की भव्यता और ऐतिहासिक महत्व इसे हर किसी के लिए एक अविस्मरणीय अनुभव बनाती है।

कोणार्क सूर्य मंदिर की विशेषताएँ: कोणार्क सूर्य मंदिर, जिसे सूर्य देवता का मंदिर भी कहा जाता है, 13वीं शताब्दी में निर्मित हुआ था और यह अपनी वास्तुकला और अद्भुत शिल्पकला के लिए प्रसिद्ध है। मंदिर का मुख्य आकर्षण उसकी चक्की आकार की संरचना है, जो सूर्य के रथ के रूप में निर्मित है। यह मंदिर यूनेस्को द्वारा विश्व धरोहर स्थल के रूप में मान्यता प्राप्त है।

इस मंदिर के हर कोने में भारतीय स्थापत्य कला का अद्वितीय उदाहरण मिलता है। यहां की दीवारों पर उत्कीर्ण चित्रकला, शिल्पकला और अद्भुत मूर्तियां दर्शाती हैं कि इस समय के शिल्पकारों की कला कितनी उन्नत और परिष्कृत थी।

डॉ. जयशंकर का संदेश: डॉ. जयशंकर ने अपने ट्वीट में कहा कि “आज कोणार्क सूर्य मंदिर का दौरा करके मैं अत्यंत खुश हूं। यह हमारी सांस्कृतिक धरोहर और रचनात्मकता का जीवित उदाहरण है।” उन्होंने यह भी कहा कि “भुवनेश्वर आने वाले सभी प्रवासी भारतीयों के लिए कोणार्क सूर्य मंदिर एक महत्वपूर्ण स्थल है, और यह सभी को अपनी अद्भुत सुंदरता और ऐतिहासिक महत्व से आकर्षित करेगा।”

उन्होंने अपने प्रवासी भारतीय समुदाय से इस ऐतिहासिक स्थल का दौरा करने का आह्वान किया, ताकि वे हमारे समृद्ध सांस्कृतिक इतिहास को और करीब से महसूस कर सकें।

कोणार्क का महत्व: कोणार्क सूर्य मंदिर न केवल एक धार्मिक स्थल है, बल्कि यह भारतीय कला, संस्कृति और इतिहास का जीवित प्रतीक भी है। यह ओडिशा के सबसे प्रमुख पर्यटन स्थलों में से एक है, और यहां की वास्तुकला और शिल्पकला पर्यटकों को मंत्रमुग्ध कर देती है। मंदिर का रथ रूपी डिजाइन विशेष रूप से आकर्षक है, जिसमें सूर्य के रथ की पहियों के आकार में बनाए गए सुंदर चित्र और मूर्तियां हैं।

डॉक्टर एस. जयशंकर का कोणार्क सूर्य मंदिर का दौरा इस बात को दर्शाता है कि हमारी सांस्कृतिक धरोहर न केवल हमारे लिए गर्व का कारण है, बल्कि यह दुनिया भर के लोगों के लिए भी एक आकर्षक स्थल है। उनके संदेश से यह स्पष्ट होता है कि हर प्रवासी भारतीय को अपने भारतीय इतिहास और संस्कृति के इस अद्भुत उदाहरण को देखना चाहिए।

 

 

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सत्यमेव जयते नानृतं सत्येन पन्था विततो देवयानः।

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