Monday, December 30, 2024

किसानों का परतापुर थाने पर हल्ला बोल: भाजपा नेताओं पर पर्चे निरस्त कराने का आरोप?

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AIN NEWS 1: मेरठ के परतापुर थाने में भारतीय किसान यूनियन (भाकियू) के किसान रातभर डेरा डाले रहे। किसानों ने थाने में ट्रैक्टर-ट्रॉली के साथ पहुंचकर कढ़ाई चढ़ाई और पूड़ी-सब्जी बनाई। उनका यह आंदोलन उस समय हुआ जब मोहिउद्दीनपुर गन्ना समिति के चुनाव में 102 डेलीगेट प्रत्याशियों के नामांकन पत्र निरस्त कर दिए गए। किसानों का आरोप है कि यह कार्रवाई भाजपा नेताओं के दबाव में की गई है।

किसान यूनियन के प्रवक्ता राकेश टिकैत भी इस धरने में शामिल होने पहुंचे। उन्होंने किसानों की समस्याओं को लेकर प्रशासन को चेतावनी दी कि अगर उन्हें चुनाव लड़ने का मौका नहीं मिला, तो धरना जारी रहेगा।

नामांकन पत्रों का विवाद

मोहिउद्दीनपुर गन्ना समिति में 255 डेलीगेट प्रत्याशियों ने नामांकन दाखिल किया था, जबकि केवल 143 सीटें थीं। शुक्रवार को नामांकन पत्रों की जांच के दौरान, कई कागजात में खामियों के आधार पर 102 पर्चे निरस्त कर दिए गए। इस पर किसानों ने विरोध प्रदर्शन शुरू किया।

पूर्व चेयरमैन अजय नेहरा के समर्थक और किसान यूनियन के सदस्य निरस्त किए गए नामांकन पत्रों के खिलाफ आवाज उठाने लगे। किसानों ने आरोप लगाया कि राज्यमंत्री सोमेंद्र तोमर और भाजपा के एक कार्यकर्ता ने मिलकर उनके पर्चे निरस्त कराए हैं।

प्रशासन की प्रतिक्रिया

प्रशासन के अधिकारियों ने किसानों को समझाने की कोशिश की, लेकिन किसान अपने निर्णय पर अड़े रहे। इस मुद्दे ने लखनऊ तक तूल पकड़ लिया, और भाकियू के जिलाध्यक्ष अनुराग चौधरी भी मौके पर पहुंचे।

किसानों ने थाने में कढ़ाई चढ़ाकर खाना पकाया और वहीं खाना खाया। देर रात एसपी सिटी आयुष विक्रम सिंह, एडीएम प्रशासन बलराम सिंह, और एसडीएम सदर कमल किशोर जैसे अधिकारी थाने पर पहुंचे। उन्होंने किसानों से बातचीत की और उनकी समस्याओं को सुनने की कोशिश की।

किसान नेताओं की चेतावनी

किसान नेता अनुराग चौधरी ने कहा कि गन्ना समिति का चुनाव किसानों से जुड़ा हुआ है और भाजपा नेता इसमें राजनीति कर रहे हैं। किसानों ने प्रशासन को चेतावनी दी कि यदि उनके निरस्त किए गए पर्चे सही नहीं किए गए, तो उनका धरना जारी रहेगा।

सोमेंद्र तोमर ने इस मामले पर कहा, “आरोप निराधार हैं। हम लोकतंत्र पर विश्वास रखते हैं। किसानों के नामांकन पत्रों की जांच करना प्रशासन का काम है और चुनाव निष्पक्ष होना चाहिए।”

इस प्रकार, किसानों का आंदोलन अब न केवल एक चुनावी मुद्दा बन गया है, बल्कि यह सत्ता के लिए संघर्ष का प्रतीक भी है। किसान अपनी आवाज उठाने के लिए दृढ़ हैं और प्रशासन से न्याय की उम्मीद कर रहे हैं।

 

 

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सत्यमेव जयते नानृतं सत्येन पन्था विततो देवयानः।
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