Powered by : PIDIT KO NYAY ( RNI - UPBIL/25/A1914)

spot_imgspot_img

1956 से पहले पिता की मौत पर बेटियों को नहीं मिलेगा संपत्ति में हिस्सा – बॉम्बे हाईकोर्ट का बड़ा फैसला!

spot_img

Date:

AIN NEWS 1: अगर आप एक बेटी हैं और आपको लगता है कि आपके पिता की संपत्ति पर आपका अधिकार है, तो यह खबर आपके लिए बहुत महत्वपूर्ण है। हाल ही में बॉम्बे हाईकोर्ट ने एक ऐसा फैसला सुनाया है, जो इस बात को साफ करता है कि अगर पिता की मृत्यु वर्ष 1956 से पहले हुई है, तो बेटी को उनकी संपत्ति में कोई हिस्सा नहीं मिलेगा।

क्या है पूरा मामला?

यह केस महाराष्ट्र के यशवंतराव नाम के व्यक्ति से जुड़ा है, जिनकी मृत्यु 1952 में हो गई थी। यशवंतराव की दो पत्नियां थीं। पहली पत्नी लक्ष्मीबाई से उन्हें एक बेटी राधाबाई थी। लक्ष्मीबाई की मृत्यु 1930 में ही हो गई थी। इसके बाद यशवंतराव ने भीकूबाई से शादी की, जिससे उन्हें एक और बेटी चंपूबाई हुई।

पिता की मृत्यु के बाद, राधाबाई ने कोर्ट में केस दायर किया और पिता की संपत्ति में बराबर हिस्सेदारी की मांग की। लेकिन मामला धीरे-धीरे ट्रायल कोर्ट से हाईकोर्ट तक पहुंचा।

ट्रायल कोर्ट का फैसला

जब यह मामला निचली अदालत (ट्रायल कोर्ट) में गया, तो वहां राधाबाई की याचिका को खारिज कर दिया गया। अदालत ने कहा कि 1956 से पहले की मृत्यु पर, उस समय के पुराने कानून लागू होंगे, जिनमें बेटी को संपत्ति में अधिकार नहीं दिया गया था। इसलिए राधाबाई का दावा कानून के अनुसार सही नहीं ठहराया गया।

हाईकोर्ट में अपील और निर्णय

राधाबाई ने इस फैसले को 1987 में बॉम्बे हाईकोर्ट में चुनौती दी। लंबी सुनवाई के बाद अब जाकर कोर्ट ने इस मामले में फैसला सुनाया। हाईकोर्ट की दो जजों की बेंच — जस्टिस एएस चंदुरकर और जस्टिस जितेंद्र जैन — ने साफ किया कि यशवंतराव की मृत्यु 1956 से पहले हुई थी, इसलिए उस समय के कानून के हिसाब से फैसला होगा।

1956 से पहले का कानून क्या कहता था?

हिंदू महिला संपत्ति अधिकार अधिनियम, 1937 के अनुसार, विधवा पत्नी को पति की संपत्ति में केवल “सीमित अधिकार” (limited estate) दिया जाता था। इसका मतलब यह था कि वह केवल जीवनभर के लिए संपत्ति की मालिक होती थी लेकिन उसे बेच या किसी और को ट्रांसफर नहीं कर सकती थी।

1956 में जब हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम (Hindu Succession Act) आया, तब महिलाओं और बेटियों को संपत्ति में बराबर का अधिकार दिया गया। 2005 में इसमें और भी संशोधन हुए और बेटियों को पूरी बराबरी का दर्जा मिला। लेकिन यह सभी बदलाव 1956 के बाद की मौतों पर ही लागू होते हैं।

भीकूबाई को कैसे मिला संपत्ति पर हक?

हाईकोर्ट ने माना कि चूंकि यशवंतराव की मृत्यु 1956 से पहले हुई थी, इसलिए उनकी विधवा भीकूबाई को उस समय के कानून के अनुसार ही संपत्ति का अधिकार मिला। कोर्ट ने यह भी कहा कि भीकूबाई चाहें तो वह संपत्ति अपनी बेटी चंपूबाई को दे सकती हैं, और पहली पत्नी की बेटी राधाबाई को उस पर कोई हक नहीं बनता।

क्या जजों में मतभेद था?

हां, इस केस में एक मोड़ तब आया जब जजों की राय में अंतर हो गया। खासकर 1956 से पहले की संपत्ति में बेटियों को अधिकार देना उचित होगा या नहीं – इस मुद्दे पर जजों की राय अलग थी। इसलिए यह मामला खंडपीठ को सौंपा गया।

न्यायमूर्ति जितेंद्र जैन ने अपने फैसले में यह कहा कि 1937 का कानून खास तौर पर विधवाओं की सामाजिक सुरक्षा के लिए बनाया गया था, क्योंकि उस समय विधवाओं के पास कोई विकल्प नहीं होता था।

इस फैसले का प्रभाव किन पर पड़ेगा?

यह फैसला उन सभी मामलों को प्रभावित करेगा:

जहां पिता की मृत्यु 1956 से पहले हुई थी

और संपत्ति का विवाद अभी तक लंबित है

इस फैसले के अनुसार, अब ऐसे मामलों में पुराने कानूनों के अनुसार निर्णय लिए जाएंगे। इसका मतलब यह हुआ कि अगर उस समय बेटी को संपत्ति में हक नहीं था, तो अब भी नहीं होगा।

सभी बेटियों पर लागू नहीं होता यह फैसला

यह जरूरी है कि लोग यह समझें कि यह फैसला सिर्फ उन मामलों पर लागू होता है जहां पिता की मृत्यु 1956 से पहले हुई है। यदि पिता की मृत्यु 1956 के बाद हुई है, तो बेटियों को कानून के अनुसार संपत्ति में पूरा अधिकार प्राप्त होता है।

अगर आप किसी पिता की संपत्ति से जुड़े विवाद में हैं या अपने अधिकारों को लेकर भ्रमित हैं, तो यह समझना जरूरी है कि पिता की मृत्यु किस वर्ष हुई थी। अगर वह 1956 से पहले हुई है, तो पुराने कानून लागू होंगे और बेटी को संपत्ति में हक नहीं मिलेगा। लेकिन अगर मृत्यु 1956 के बाद हुई है, तो बेटियों को बराबर का अधिकार प्राप्त है।

In a landmark ruling, the Bombay High Court has clarified that daughters will not have a right to father’s property if he died before 1956, as the Hindu Succession Act 1956 does not apply retrospectively. This verdict affects many inheritance disputes where the father’s death occurred prior to 1956, making pre-1956 property law the basis for judgment. If you are involved in a property dispute or seeking clarity on daughters’ legal rights, understanding this Bombay High Court judgment is essential.

spot_img
spot_imgspot_img

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

spot_imgspot_img

Share post:

New Delhi
overcast clouds
26.2 ° C
26.2 °
26.2 °
91 %
3.9kmh
100 %
Thu
33 °
Fri
35 °
Sat
35 °
Sun
34 °
Mon
32 °
Video thumbnail
भरे Rajya Sabha में भड़के Amit Shah ने Sonia Gandhi पर किया ऐसा खुलासा, सदन में छा गया सन्नाटा !
08:41
Video thumbnail
भड़के शाह ने गोगोई के पाकिस्तान दौरे का खोला ऐसा ‘राज’ सदन में छा गया सन्नाटा ! amit shah speech
08:54
Video thumbnail
सदन में Sambit Patra ने Rahul Gandhi की हेकड़ी निकाल दी ! Sambit Patra Angry | Lok Sabha
09:35
Video thumbnail
राहुल गांधी ने गुस्से से मारा मेज पर हाथ भड़के ओम बिरला, बोले- 'सदन की संपत्ति है इसको मत तोड़ो'...
09:30
Video thumbnail
संसद में Modi ने विरोधियों की जो मौज ली, ठहाके मारकर हंसने लगा पूरा संसद ! Modi Speech
12:43
Video thumbnail
‘ऐसे ही 20 साल और विपक्ष में बैठोगे’, जयशंकर को विपक्ष ने टोका तो Amit Shah ने दिखाया रौद्र रूप !
16:10
Video thumbnail
Bhai Birendra की Call Recording हुई Viral, "Panchayat" अंदाज में विधायक से भिड़े सचिव
03:23
Video thumbnail
UP में Electricity Department का Audio Viral, Officer Suspended | Minister AK Sharma का Action| Yogi
04:58
Video thumbnail
भरे सदन में PM मोदी ने Rahul Gandhi की ऐसे ली मौज, हंसने लगे सभी सांसद ! Modi | Lok Sabha
10:31
Video thumbnail
सदन में Modi पर चिल्ला रहे थे तेजस्वी बीच में आये नीतीश कुमार ने लालू यादव पर जो कहा सुन सब हैरान !
14:11

Subscribe

spot_img
spot_imgspot_img

Popular

spot_img

More like this
Related