AIN NEWS 1 प्रयागराज: आस्था और सनातन संस्कृति के प्रतीक महाकुंभ-2025 का शुभारंभ मकर संक्रांति के पावन पर्व पर त्रिवेणी संगम में पहला अमृत स्नान के साथ हुआ। इस अवसर पर लाखों श्रद्धालुओं ने गंगा, यमुना और सरस्वती के संगम में डुबकी लगाकर पुण्य अर्जित किया।
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस ऐतिहासिक आयोजन पर सभी श्रद्धालुओं को शुभकामनाएं दीं। उन्होंने कहा, “महाकुंभ हमारी सनातन संस्कृति और आस्था का जीवंत स्वरूप है। आज मकर संक्रांति के पावन अवसर पर त्रिवेणी संगम में स्नान कर पुण्य प्राप्त करने वाले सभी श्रद्धालुओं को बधाई। यह आयोजन भारतीय संस्कृति की अद्भुत झलक है।”
सुरक्षा और सुविधाओं का विशेष ध्यान
महाकुंभ-2025 को सफल बनाने के लिए प्रशासन ने विशेष तैयारियां की हैं। संगम क्षेत्र में लाखों श्रद्धालुओं की भीड़ को नियंत्रित करने और उन्हें सुविधा प्रदान करने के लिए पुलिस और प्रशासन के जवान लगातार तैनात हैं। साफ-सफाई और स्वच्छता का विशेष ध्यान रखा गया है।
प्रयागराज में अमृत स्नान के लिए 30 से अधिक घाटों को तैयार किया गया है। श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए पानी, भोजन, चिकित्सा, और परिवहन की व्यापक व्यवस्थाएं की गई हैं।
धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व
मकर संक्रांति पर गंगा स्नान का विशेष महत्व है। यह दिन सूर्य के मकर राशि में प्रवेश का प्रतीक है, जो शुभ माना जाता है। महाकुंभ-2025 में 12 वर्षों बाद संगम में स्नान करने का यह अवसर आस्था और उत्साह का संगम बन गया है।
विशेष तिथियां और आयोजन
महाकुंभ-2025 में चार अमृत स्नान और कई प्रमुख धार्मिक आयोजन होंगे। पहला अमृत स्नान मकर संक्रांति के दिन हुआ, जबकि अन्य स्नान पर्व पौष पूर्णिमा, माघी पूर्णिमा और महाशिवरात्रि पर होंगे।
सीएम योगी का संदेश
सीएम योगी ने श्रद्धालुओं से महाकुंभ के दौरान अनुशासन और स्वच्छता बनाए रखने की अपील की। उन्होंने कहा कि यह आयोजन न केवल भारत के लोगों को बल्कि विश्वभर के श्रद्धालुओं को भी जोड़ता है। महाकुंभ हमारे सांस्कृतिक और आध्यात्मिक धरोहर का सबसे बड़ा उत्सव है।
शुभारंभ से उमड़ा आस्था का सैलाब
मकर संक्रांति के पहले अमृत स्नान पर संगम में श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ी। हर कोई त्रिवेणी संगम में डुबकी लगाकर खुद को धन्य महसूस कर रहा था। मंत्रोच्चार, भजन-कीर्तन और आध्यात्मिक वातावरण ने इस पर्व को और भी दिव्य बना दिया।
महाकुंभ-2025 का यह शुभारंभ भारतीय संस्कृति और सनातन परंपराओं का गौरवशाली परिचायक है।