AIN NEWS 1: पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह का 92 वर्ष की आयु में गुरुवार रात निधन हो गया। वे लंबे समय से बीमार चल रहे थे। गुरुवार शाम उन्हें घर पर बेहोश पाए जाने के बाद रात 8:06 बजे दिल्ली के AIIMS लाया गया, जहां रात 9:51 बजे उन्होंने अंतिम सांस ली।
राजकीय सम्मान के साथ होगा अंतिम संस्कार
डॉ. मनमोहन सिंह के निधन पर केंद्र सरकार ने 7 दिन का राष्ट्रीय शोक घोषित किया है। उनका पार्थिव शरीर आज (28 दिसंबर) सुबह कांग्रेस मुख्यालय में रखा जाएगा, जहां लोग उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित कर सकेंगे। इसके बाद राजघाट के पास राजकीय सम्मान के साथ उनका अंतिम संस्कार किया जाएगा।
राजनीतिक जगत में शोक
डॉ. मनमोहन सिंह के निधन पर देशभर के नेताओं ने शोक व्यक्त किया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा, “डॉ. मनमोहन सिंह ने लोगों की जिंदगी को बेहतर बनाने के लिए हमेशा प्रयास किया। उनकी विनम्रता और कार्यशैली प्रेरणादायक थी।” कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने उन्हें “विजनरी स्टेट्समैन और दिग्गज अर्थशास्त्री” बताते हुए कहा, “डॉ. सिंह ने खामोशी से काम करने में विश्वास रखा।”
राहुल गांधी ने सोशल मीडिया पर लिखा, “मैंने अपना मार्गदर्शक और गुरु खो दिया। उनकी बुद्धिमत्ता और निष्ठा हमेशा प्रेरणा देती रहेगी।”
देश के लिए ऐतिहासिक योगदान
डॉ. मनमोहन सिंह देश के पहले सिख प्रधानमंत्री थे। उन्होंने 2004 से 2014 तक दो कार्यकाल पूरे किए। उनके कार्यकाल में कई ऐतिहासिक फैसले लिए गए:
1991: उदारीकरण और वैश्वीकरण नीति लागू की।
2005: सूचना का अधिकार और रोजगार गारंटी योजना।
2006: भारत-अमेरिका न्यूक्लियर डील।
2009: आधार कार्ड की शुरुआत।
2010: शिक्षा का अधिकार कानून।
पृष्ठभूमि और विरासत
डॉ. मनमोहन सिंह एक साधारण पृष्ठभूमि से आए और एक प्रतिष्ठित अर्थशास्त्री बने। उन्होंने भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर, वित्त मंत्री और प्रधानमंत्री के रूप में अपनी सेवा दी। उनकी आर्थिक नीतियों ने देश को वैश्विक मंच पर मजबूत स्थिति में खड़ा किया।
राष्ट्रध्वज झुका, सरकारी कार्यक्रम स्थगित
उनके निधन के बाद राष्ट्रपति भवन पर राष्ट्रीय ध्वज आधा झुका दिया गया है। आज सुबह 11 बजे कैबिनेट मीटिंग होगी। केंद्र सरकार और कांग्रेस पार्टी के सभी कार्यक्रम स्थगित कर दिए गए हैं। कांग्रेस का स्थापना दिवस और वर्किंग कमेटी की बैठक भी रद्द कर दी गई है।
डॉ. मनमोहन सिंह की विनम्रता और सेवा का देश सदैव ऋणी रहेगा। उनका योगदान देश के इतिहास में स्वर्ण अक्षरों में लिखा जाएगा।