AIN NEWS 1 | भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की हाल की रूस यात्रा के बाद अमेरिका-भारत संबंधों में संभावित तनाव की अटकलें लगाई जा रही थीं। हालांकि, अमेरिका की पूर्व विदेश मंत्री कोंडोलीजा राइस ने इन चिंताओं को खारिज करते हुए भारतीय प्रधानमंत्री की रूस यात्रा पर अपनी राय साझा की है।
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Toggleभारत की रणनीतिक स्वायत्तता की सराहना
कोंडोलीजा राइस ने भारत-अमेरिका संबंधों को स्थायी और द्विदलीय बताते हुए कहा कि वॉशिंगटन हर पांच मिनट में नई दिल्ली से वफादारी की परीक्षा नहीं ले सकता। राइस ने यह भी कहा कि भारत की रणनीतिक स्वायत्तता की आवश्यकता को समझते हुए वह इस पर कोई आपत्ति नहीं उठातीं। उनके अनुसार, भारत और अमेरिका के गहरे हित अंततः एक मजबूत साझेदारी की ओर ले जाएंगे।
रक्षा सहयोग में धीमी प्रगति की बात
राइस ने रूस के सैन्य उपकरणों को ‘कबाड़’ बताते हुए कहा कि प्रधानमंत्री मोदी की रूस यात्रा से रक्षा के क्षेत्र में कोई खास प्रगति नहीं होगी। उन्होंने संकेत दिया कि अमेरिका ने भारत के साथ सैन्य सहयोग बढ़ाने में कुछ महत्वपूर्ण समय और अवसर गंवाए हैं, जिसके कारण प्रगति धीमी रही है।
भारत के लिए संभावित चुनौती
कोंडोलीजा राइस ने बताया कि प्रधानमंत्री मोदी चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के बीच सीमा रहित संबंधों से अवगत हैं, और यह भारत के लिए एक बड़ी चुनौती बन सकती है।
शीत युद्ध की स्थिति से भी गंभीर
राइस ने चीन को अमेरिका का प्रमुख प्रतिद्वंद्वी बताते हुए कहा कि वर्तमान स्थिति शीत युद्ध से भी गंभीर है। उन्होंने बताया कि जबकि रूस सैन्य दृष्टि से एक महान देश है, तकनीकी और आर्थिक दृष्टि से वह कमजोर है। इसके विपरीत, चीन ने प्रौद्योगिकी का लाभ उठाकर वैश्विक नेटवर्क और आपूर्ति श्रृंखलाओं में इतनी अच्छी तरह से एकीकृत हो गया है कि उससे निपटना अमेरिका के लिए कठिन हो रहा है।
इस प्रकार, कोंडोलीजा राइस ने भारत के रूस के साथ संबंधों को लेकर अमेरिका की चिंताओं को दूर किया और साथ ही अमेरिका-भारत संबंधों की स्थिरता और महत्व को स्वीकार किया।