AIN NEWS 1: महाराष्ट्र सरकार द्वारा वक्फ बोर्ड को मजबूत करने के लिए 10 करोड़ रुपये का फंड ट्रांसफर करने का प्रस्ताव जारी किया गया था, लेकिन बीजेपी के कड़े विरोध के बाद इस प्रस्ताव को वापस ले लिया गया है। बीजेपी ने इस प्रस्ताव का विरोध करते हुए कहा कि यह निर्णय प्रशासनिक स्तर पर लिया गया था और संविधान में वक्फ बोर्ड का कोई उल्लेख नहीं है, इसलिए यह कदम असंवैधानिक है।
बीजेपी के इस विरोध के बाद महाराष्ट्र सरकार ने तुरंत कदम उठाया और इस फंड ट्रांसफर प्रस्ताव को निरस्त कर दिया।
20 करोड़ रुपये की राशि का प्रस्ताव और उसके विवाद
रद्द किए गए प्रस्ताव में कुल 20 करोड़ रुपये की मंजूरी का जिक्र था। यह राशि वक्फ बोर्ड को 2024-25 के लिए मजबूत करने के उद्देश्य से बांटी जानी थी। इस राशि में से दो करोड़ रुपये पहले ही वक्फ बोर्ड के खाते में ट्रांसफर हो चुके थे। हालांकि, अनुमान है कि यह राशि पहले ही खर्च हो चुकी होगी।
इस प्रस्ताव में एक महत्वपूर्ण हिस्सा यह था कि वक्फ बोर्ड के प्रमुख को सलाह दी गई थी कि वह यह फंड सावधानी से खर्च करें और इसे अत्यधिक लापरवाही से न बहाएं।
बीजेपी का आरोप
बीजेपी ने इस मुद्दे पर सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘X’ पर एक पोस्ट के जरिए आरोप लगाया कि महाराष्ट्र सरकार द्वारा ‘फर्जी खबरें’ फैलाई जा रही हैं। बीजेपी ने कहा कि यह फंड ट्रांसफर बिना उचित निर्णय प्रक्रिया के किया जा रहा था और संविधान में वक्फ बोर्ड के बारे में कोई प्रावधान नहीं है, जो इसे कानूनी बनाता हो।
महाराष्ट्र बीजेपी के नेता देवेंद्र फडणवीस ने इस फैसले का विरोध करते हुए इसे गलत कदम बताया। उनका कहना था कि यह प्रशासनिक निर्णय से ज्यादा राजनीतिक प्रभाव था और राज्य सरकार का यह कदम संविधान और कानून के विपरीत था।
निष्कर्ष
महाराष्ट्र सरकार के इस प्रस्ताव को वापस लेना, बीजेपी के विरोध के चलते एक महत्वपूर्ण मोड़ पर आ गया है। यह मामला संविधान, प्रशासनिक निर्णय और राजनीतिक विवादों के बीच फंसा हुआ है। फिलहाल, वक्फ बोर्ड को लेकर सरकारी निर्णय पर संशय बना हुआ है और भविष्य में इस पर फिर से चर्चा हो सकती है।