AIN NEWS 1: बिहार के पूर्णिया जिले के बायसी थाना क्षेत्र के माला गांव में छठ महापर्व के दौरान, कुछ असामाजिक तत्वों द्वारा महिलाओं और बच्चों पर जानलेवा हमला किया गया और छठ घाट को बुरी तरह से क्षतिग्रस्त कर दिया गया। यह घटना गुरुवार, 7 नवंबर 2024 को हुई। इस हमले में कट्टरपंथियों ने घाट पर की गई सजावट को तहस-नहस कर दिया और पूजा सामग्री को बिखेर दिया, जिससे छठ व्रतियों के बीच रोष उत्पन्न हुआ।
हमले के पीछे का कारण: हमले के कारणों पर स्थानीय निवासियों का कहना है कि इलाके में हिंदू समुदाय अल्पसंख्यक हैं और कट्टरपंथी तत्व पहले से ही हमले की मंशा से घाट पर घात लगाए बैठे थे। संध्या अर्घ्य के बाद व्रती जब घर लौट रहे थे, तभी रास्ते में महिलाओं और बच्चों को घेर कर लाठी-डंडों, तलवारों, ईंट और पत्थरों से हमला किया गया। छठ घाट को पूरी तरह से तोड़फोड़ कर बर्बाद कर दिया गया, जिससे श्रद्धालु स्तब्ध और दुखी हो गए।
प्रशासन की त्वरित कार्रवाई: घटना के बाद, क्षेत्र में माहौल को शांत कराने के लिए पूर्णिया के डीएम कुन्दन कुमार और एसपी कार्तिकेय शर्मा मौके पर पहुंचे। उन्होंने स्थानीय लोगों से वार्ता कर स्थिति को नियंत्रित किया। वहीं, पुलिस ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर जानकारी साझा करते हुए बताया कि इस मामले में आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया गया है। पुलिस के अनुसार, घटनास्थल पर छठ घाट को पुन: सुसज्जित कर शांतिपूर्ण तरीके से पर्व मनाने के लिए कदम उठाए गए हैं।
सोशल मीडिया पर आक्रोश: घटना के बाद सोशल मीडिया पर हिंदू समुदाय के लोगों में आक्रोश देखने को मिला। कई यूजर्स ने घटना की निंदा करते हुए वीडियो शेयर किए और सवाल उठाए कि जब छठ पूजा में कोई जुलूस या डीजे नहीं होता, तब भी कट्टरपंथियों ने हमला क्यों किया। एक यूजर ने लिखा कि इस तरह के कृत्य हिंदू पर्वों में खलल डालने का एक संगठित प्रयास प्रतीत होते हैं, जिनके खिलाफ सख्त कार्रवाई होनी चाहिए।
अन्य घटनाएं: बिहार के अलावा, हाल के दिनों में देश के अन्य हिस्सों में भी हिंदू त्योहारों और धार्मिक आयोजनों पर हमले की घटनाएं सामने आई हैं। पश्चिम बंगाल, उत्तर प्रदेश, और असम में दुर्गा पंडालों पर पथराव, मूर्ति विसर्जन के दौरान हिंसा और देवी देवताओं की मूर्तियों को नुकसान पहुंचाने की घटनाएं सामने आई हैं। इसके अलावा, बहराइच में एक युवा रामगोपाल मिश्रा की गोली मारकर हत्या कर दी गई, जब उसने एक हरा झंडा हटाया था।
निष्कर्ष: पूर्णिया की इस घटना ने एक बार फिर धार्मिक सहिष्णुता पर सवाल खड़े कर दिए हैं। पुलिस और प्रशासन द्वारा कार्रवाई की जा चुकी है, लेकिन इस तरह की घटनाओं को रोकने के लिए भविष्य में और सख्त कदम उठाए जाने की आवश्यकता है।