AIN NEWS 1: गंगा नदी भारत की सबसे महत्वपूर्ण और पवित्र नदियों में से एक है। यह नदी न केवल सांस्कृतिक और धार्मिक महत्व रखती है, बल्कि कृषि, जल आपूर्ति और जैव विविधता के लिए भी अत्यंत महत्वपूर्ण है। गंगा नदी तंत्र विभिन्न सहायक नदियों और जल स्रोतों का समूह है, जो इसे एक विशाल जल प्रणाली बनाता है।
गंगा का उद्गम और प्रवाह
गंगा नदी का उद्गम उत्तराखंड के गंगोत्री हिमनद से होता है। इसे भागीरथी के नाम से भी जाना जाता है। गंगोत्री से शुरू होकर यह नदी विभिन्न नदियों के संगम से गुजरती है। प्रमुख सहायक नदियों में मंदाकिनी, अलकनंदा, बौली गंगा और रामगंगा शामिल हैं।
मुख्य संगम स्थल:
1. देवप्रयाग – भागीरथी और अलकनंदा का संगम।
2. रुद्रप्रयाग – अलकनंदा और मंदाकिनी का संगम।
3. कर्णप्रयाग – अलकनंदा और पिंडर का संगम।
इन संगम स्थलों से होकर गंगा ऋषिकेश और हरिद्वार तक पहुंचती है, जहां इसे ऊपरी गंगा नहर के माध्यम से सिंचाई और जल आपूर्ति के लिए उपयोग किया जाता है।
गंगा के सहायक नदियों का योगदान
गंगा नदी में कई प्रमुख सहायक नदियां मिलती हैं, जो इसकी जलधारा को मजबूत बनाती हैं। इनमें शामिल हैं:
यमुना नदी: गंगा की सबसे बड़ी सहायक नदी, जो प्रयागराज (इलाहाबाद) में संगम स्थल पर गंगा से मिलती है।
घाघरा नदी: यह नेपाल से निकलती है और उत्तर प्रदेश में गंगा से मिलती है।
गंडक नदी: इसे काली गंडक के नाम से भी जाना जाता है।
कोसी नदी: इसे “बिहार का शोक” कहा जाता है।
सोन नदी: यह मध्य भारत से निकलती है और बिहार में गंगा में समाहित होती है।
गंगा का यात्रा मार्ग
गंगा उत्तराखंड से निकलकर उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड और पश्चिम बंगाल से होकर बहती है। इसका कुल प्रवाह मार्ग लगभग 2,525 किलोमीटर लंबा है।
उत्तर प्रदेश में प्रमुख स्थल: बिजनौर, कन्नौज, कानपुर, प्रयागराज।
बिहार में प्रमुख स्थल: पटना, हाजीपुर, भागलपुर।
पश्चिम बंगाल में: फरक्का, कोलकाता और हुगली नदी।
गंगा सागर: गंगा का अंतिम पड़ाव
गंगा नदी पश्चिम बंगाल के सुंदरबन क्षेत्र में गंगा सागर द्वीप पर बंगाल की खाड़ी में मिल जाती है। यह स्थान धार्मिक और पर्यटन दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण है।
गंगा की चुनौतियां
गंगा को स्वच्छ और अविरल बनाए रखना एक बड़ी चुनौती है। औद्योगिक प्रदूषण, घरेलू कचरा और बढ़ती जनसंख्या इस नदी को प्रदूषित कर रहे हैं। सरकार ने “नमामि गंगे” परियोजना के माध्यम से इसे स्वच्छ और संरक्षित करने के लिए कदम उठाए हैं।
गंगा नदी भारत के करोड़ों लोगों की आजीविका का आधार है। इसके संरक्षण और स्वच्छता के लिए सभी को योगदान देना चाहिए, ताकि यह नदी आने वाली पीढ़ियों के लिए भी जीवनदायिनी बनी रहे।