AIN NEWS 1: गाजा में इजरायल और हमास के बीच चल रहे युद्ध में एक और दर्दनाक कहानी सामने आई है। 25 वर्षीय फोटो पत्रकार फातिमा हसौना, जो डेढ़ साल से गाजा की जमीनी हकीकत को अपने कैमरे में कैद कर रही थीं, अब इस संघर्ष की एक और शिकार बन गई हैं। एक इजरायली हवाई हमले में उनकी मौत हो गई, और उनके साथ-साथ उनके 10 परिजन, जिनमें उनकी गर्भवती बहन भी शामिल थीं, मारे गए।
पत्रकारिता से जुनून और खतरों से बेपरवाह
फातिमा हसौना सिर्फ एक पत्रकार नहीं थीं, बल्कि गाजा की सच्चाई को दुनिया के सामने लाने का मिशन लेकर निकली थीं। जब पूरी दुनिया की नजरें कहीं और थीं, तब फातिमा लगातार गाजा की तस्वीरें सोशल मीडिया और अंतरराष्ट्रीय प्लेटफार्मों पर साझा कर रही थीं। बमबारी, मलबा, रोते बच्चे, उजड़े घर – इन सबकी गवाही उनके कैमरे में थी।
सोशल मीडिया पर लिखी थी खास बात
फातिमा ने एक बार सोशल मीडिया पर लिखा था,
“अगर मैं मरती हूं, तो मुझे एक जोरदार मौत चाहिए। मैं सिर्फ ब्रेकिंग न्यूज या किसी समूह में शामिल एक नंबर बनकर नहीं रहना चाहती हूं। मैं एक ऐसी मौत चाहती हूं जिसे दुनिया सुन सके, एक ऐसा प्रभाव जो समय के साथ बना रहे और एक ऐसी छवि जो समय या स्थान के साथ दफन न हो सके।”
उनकी यह लाइनें अब सच साबित हो गई हैं। उनकी मौत खुद में एक बड़ी खबर बन चुकी है, लेकिन यह खबर सिर्फ मौत की नहीं, एक साहसी पत्रकार की अंतिम इच्छा की भी है।
शादी से पहले टूटा कहर
सबसे दिल दहला देने वाली बात यह है कि फातिमा की शादी कुछ ही दिनों में होने वाली थी। वह अपने नए जीवन की तैयारी कर रही थीं, लेकिन किस्मत ने उन्हें एक ऐसी मौत दी जिसने पूरी दुनिया को हिला दिया। जिस घर में शादी की रौनक होनी थी, वहां अब मातम पसरा हुआ है।
इजरायली सेना का पक्ष
इजरायली सेना ने इस हमले को लेकर कहा कि उन्होंने हमास के एक सदस्य को निशाना बनाया था जो इजरायली सैनिकों और नागरिकों पर हमलों में शामिल था। लेकिन इस हमले में आम नागरिकों की मौत, विशेषकर एक पत्रकार और उसके परिवार की, दुनिया भर में आलोचना का विषय बन गई है।
फातिमा के जीवन पर बनी फिल्म
इस हमले से ठीक एक दिन पहले यह घोषणा हुई थी कि फातिमा हसौना के जीवन पर बनी एक डॉक्युमेंट्री फिल्म को फ्रांस में एक स्वतंत्र फिल्म महोत्सव में दिखाया जाएगा, जो कान्स फिल्म फेस्टिवल के साथ जुड़ा हुआ है। यह फिल्म गाजा में पत्रकारिता के खतरों और फातिमा के योगदान को दर्शाती है।
गाजा युद्ध की मौजूदा स्थिति
गाजा के स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार, 7 अक्टूबर के हमले के बाद से अब तक 51,000 से अधिक लोग मारे जा चुके हैं, जिनमें बड़ी संख्या में महिलाएं और बच्चे शामिल हैं। मार्च में युद्धविराम टूटने के बाद इजरायल ने एक बार फिर से अपने हवाई हमले तेज कर दिए हैं। इसी कड़ी में शुक्रवार को किया गया हमला भी शामिल है जिसमें कम से कम 30 लोगों की जान गई।
पत्रकारिता की एक प्रेरणादायक मिसाल
फातिमा हसौना की कहानी सिर्फ गाजा की नहीं है, बल्कि दुनिया भर की उन महिलाओं की है जो खतरों के बीच सच्चाई दिखाने की हिम्मत रखती हैं। उन्होंने दिखा दिया कि पत्रकारिता सिर्फ कैमरे और शब्दों की नहीं, बल्कि साहस और समर्पण की भी दुनिया है। उनकी मौत एक अपूरणीय क्षति है, लेकिन उनकी तस्वीरें और उनकी बातें आने वाली पीढ़ियों को प्रेरणा देती रहेंगी।
Gaza journalist Fatima Hassouna, a 25-year-old photojournalist known for capturing the devastating images of war in Gaza, was killed in an Israeli airstrike just days before her wedding. Her death, along with 10 of her family members, including her pregnant sister, has sparked international outrage. Fatima’s powerful last words on social media, expressing her wish for a meaningful death that wouldn’t go unnoticed, have now gone viral. As the Gaza war intensifies with rising civilian deaths and Israeli airstrikes, Fatima’s story symbolizes the human cost of conflict and the risks journalists face on the frontline.