AIN NEWS 1 | लोनी (ग़ाज़ियाबाद) से विधायक नंद किशोर गुर्जर ने एक बार फिर पुलिस विभाग पर गंभीर आरोप लगाए हैं। उन्होंने कहा कि जिले में पुलिस न केवल लापरवाह हो चुकी है, बल्कि सीधे तौर पर भ्रष्टाचार में भी लिप्त है। उनका दावा है कि एक भूमाफिया से पुलिस ने ढाई लाख रुपये लेकर उसे छोड़ दिया। इस आरोप के समर्थन में विधायक ने व्हाट्सएप चैट और ऑडियो रिकॉर्डिंग जैसे सबूत भी साझा किए हैं।
विधायक के आरोप – पुलिस की कार्यशैली पर सवाल
विधायक गुर्जर ने बताया कि शनिवार को ग़ाज़ियाबाद-सहारनपुर रोड पर घंटों लंबा जाम लगा रहा। इस दौरान मौके पर मौजूद पुलिसकर्मी ट्रैफिक नियंत्रित करने की बजाय मोबाइल फोन पर व्यस्त दिखाई दिए। जब उनसे पूछा गया कि आखिर सड़क क्यों खाली नहीं कराई जा रही, तो पुलिसकर्मियों ने बहाना बनाते हुए कहा – “मीटिंग चल रही है।”
विधायक का कहना है कि उन्होंने इस पूरे मामले में तीन दरोगाओं से बातचीत की और उसी दौरान कुछ बातचीत की रिकॉर्डिंग भी की गई। रिकॉर्डिंग से यह स्पष्ट होता है कि पुलिस ने ढाई लाख रुपये लेकर भूमाफिया को छोड़ दिया।
भूमि विवाद और गृह मंत्रालय से जुड़ा मामला
नंद किशोर गुर्जर ने यह भी आरोप लगाया कि एक भूमाफिया ने गृह मंत्रालय के एक अधिकारी की पत्नी का मकान कब्ज़ाने की कोशिश की। इसके लिए उसने नकली दस्तावेज भी तैयार कर लिए थे।
विधायक ने खुद इस महिला की मदद के लिए पत्र लिखा था। उन्हें बताया गया कि आरोपी जेल भेजा जाएगा, लेकिन बाद में यह खबर आई कि पुलिस ने उसे छोड़ दिया। इस पर विधायक ने सवाल उठाया कि –
“जब गृह मंत्रालय से जुड़े व्यक्ति के परिवार को भी न्याय नहीं मिल पा रहा है, तो आम नागरिकों की स्थिति कितनी नाजुक होगी?”
जनता की नाराज़गी
विधायक के आरोपों के बाद आम जनता भी सामने आई और उन्होंने पुलिस पर गंभीर सवाल उठाए।
रमेश कुमार (व्यापारी, लोनी): “पुलिस बिना पैसे लिए छोटे-छोटे मामलों में भी कार्रवाई नहीं करती। अगर विधायक सही कह रहे हैं तो हालात वाकई चिंताजनक हैं।”
सीमा शर्मा (गृहिणी, साहिबाबाद): “थाने जाने पर हमें अक्सर बहाने सुनने को मिलते हैं। अगर बड़े नेता तक की बात अनसुनी हो रही है तो हम आम लोगों को कौन सुनेगा?”
अमन चौहान (छात्र): “युवाओं का भरोसा पुलिस से उठता जा रहा है। लगता है पैसे देकर ही आरोपी छूट जाते हैं।”
इन बयानों से यह साफ होता है कि जनता के मन में पुलिस की विश्वसनीयता तेजी से कम हो रही है।
विशेषज्ञों की राय
कानून और प्रशासनिक मामलों के जानकारों ने कहा कि अगर विधायक के आरोप सही साबित होते हैं तो यह स्थिति बेहद खतरनाक है।
वरिष्ठ अधिवक्ता राजीव मेहता: “भ्रष्टाचार और लापरवाही ने पुलिस की साख को खोखला बना दिया है। इससे अपराधियों का हौसला बढ़ता है और जनता का भरोसा घटता है।”
पूर्व डीजीपी (नाम न बताने की शर्त पर): “अगर विधायक के पास सबूत हैं तो उन्हें उच्च स्तर पर जांच करानी चाहिए। दोषी पुलिसकर्मियों को कठोर सजा मिलनी चाहिए।”
सामाजिक कार्यकर्ता अंजना कुमारी: “भूमाफिया और पुलिस की सांठगांठ लंबे समय से चर्चा का विषय रही है। इसका सबसे ज्यादा नुकसान गरीब और मध्यम वर्गीय परिवारों को होता है।”
विधायक की चेतावनी
विधायक गुर्जर ने साफ कहा कि अगर इस पूरे मामले में ठोस कार्रवाई नहीं हुई तो वे मुख्यमंत्री के आवास पर धरना देंगे। उन्होंने जनता को भरोसा दिलाया कि यह लड़ाई केवल उनकी नहीं बल्कि आम लोगों की सुरक्षा और न्याय की है।
जनता की सुरक्षा पर बड़ा सवाल
यह मामला सिर्फ एक विधायक बनाम पुलिस का विवाद नहीं है, बल्कि यह प्रदेश की कानून व्यवस्था की नींव पर सवाल खड़ा करता है। अगर वास्तव में पुलिस ने रिश्वत लेकर आरोपी को छोड़ा है, तो यह लोकतंत्र और न्याय व्यवस्था दोनों के लिए गहरी चिंता का विषय है।
विधायक के आरोपों ने एक बार फिर पुलिस की कार्यशैली पर संदेह खड़ा कर दिया है। जिस संस्था से लोगों को सुरक्षा और न्याय की उम्मीद होती है, उसी पर भ्रष्टाचार और लापरवाही के आरोप लग रहे हैं।
अब सबकी निगाहें सरकार और प्रशासन पर टिकी हैं कि क्या वे इस मामले की निष्पक्ष जांच कराएंगे और दोषियों को सजा देंगे, या फिर यह मामला भी समय के साथ दब जाएगा।