AIN NEWS 1 गाजियाबाद: धोका घड़ी कर फेक प्रोफाइल फंडिंग वाले एक गैंग के साथ बिल्डर की ओर से भी फर्जी तरीके से बैंक लोन करवाने का एक बड़ा गम्भीर मामला सामने आया है। कविनगर थाने में स्थित आईसीआईसीआई बैंक की ओर से दर्ज कराए गए एक मामले में यूपी एसटीएफ की टीम ने अब 6 ठगों को गिरफ्तार किया है। इन आरोपियों के पास से कुल 58 चेकबुक, 6 फर्जी आधार, 6 पैनकार्ड, 31 डेबिट और क्रेडिट कार्ड, 1 करोड़ से अधिक की कीमत की चार लग्जरी कार समेत अन्य कई सामान बरामद हुआ है।एएसपी एटीएफ गौतमबुद्धनगर राजकुमार मिश्रा ने इस मामले में बताया कि इस में हरि किशन, विष्णु, प्रीति चौबे, ऋषभ, सूर्या करदोंग और संजीव कुमार को भी गिरफ्तार किया गया है। अजय कुमार और उत्तराखंड की एक नामी बिल्डर फर्म रेजिजोम बिल्डवेल प्राइवेट लिमिटेड का नाम भी इस केस में अब सामने आया है, उनके बारे में ओर अधिक डिटेल निकाली जा रही है। इन आरोपियों ने आईसीआईसीआई बैंक से ही कुल 9 करोड़ रुपये से अधिक का लोन फर्जी तरीके से ले लिया है। इस गैंग में हरि किशन और विष्णु दोनो सगे भाई हैं। हरि किशन बीकॉम पास है तो विष्णु एक होटल मैनेजमेंट के कोर्स के बाद एक बैंक के इंश्योरेंस डिपार्टमेंट में ही एग्जिक्यूटिव के रूप में काम करता है। वहीं, अन्य आरोपी भी इसमें ग्रैजुएएशन के बाद कई सारे कॉल सेंटर में जॉब कर चुके हैं।
इन लोगो ने शुरू किया फेक प्रोफाइल फंडिंग का यह खेल
इन लोगो से पूछताछ में सामने आया है कि ऋषभ, संजीव और हरि किशन ने एक ही स्कूल में 12 तक पढ़ाई की और उसके बाद 2018 में ये दोनो साथ में ही नोएडा के एक कॉल सेंटर में जॉब शुरू की। इसके बाद से उनकी मुलाकात सूर्या से हुई और बाद में फिर वह अजय से मिले। अजय ने ही उन्हें इस मामले में फेक प्रोफाइल फंडिंग के बारे में जानकारी दी थी। इसके बाद उन्होंने प्रीति चौबे को ही डायरेक्टर बनाकर एक फर्जी फर्म प्योर टेक सॉल्यूशन की शुरूवात की थी। इस कंपनी में बिना किसी भी कर्मचारी के इन्होंने फर्जी डॉक्युमेंट के आधार पर अपने यहां 50 से अधिक अकाउंट खुलवाए और करीब 8 महीने तक उन्हे सैलरी के रूप में इन अकाउंट में रुपये भेजकर प्रोफाइल भी तैयार किया। इसके बाद इनका लोन का खेल शुरू हुआ।
ये लोग बिल्डर के प्रॉजेक्ट के लिए ही लेते थे लोन
एसटीएफ के अनुसार, इन सभी ठगों ने कई सारे बैंकों को भी चूना लगाया है। इसमें जिस भी उत्तराखंड की कंपनी रेसीजोम बिल्डवेल कंपनी का नाम आया है, उसके लिए गाजियाबाद के प्रॉजेक्ट के नाम पर इन सभी फेक प्रोफाइल का प्रयोग कर लगभग 7 करोड़ रुपये से अधिक लोन लिया गया। ओर यह लोन का अमाउंट बिल्डर के अकाउंट में जाने के बाद उसकी ओर से कुल 10 फीसदी कमीशन दिया गया। इसे अलावा भी इन आरोपियों ने डेढ़ करोड़ रुपये से अधिक का पर्सनल लोन भी बैंक से फर्जी तरीके से लिया है। दूसरी तरफ अवंतिका की प्रॉपर्टी पर भी इन आरोपियों ने बैंक से 74 लाख रुपये का लोन लिया था। यह प्रॉपर्टी 2021 के बाद से कई लोगों को दी भी गई। जिसमें इन्होंने अलग अलग फाइनेंस कंपनी से लोन करवाया गया।
इस पूरे प्रकरण में अपने काम के लिए बिल्डर को मिल जाते हैं रुपये
एएसीपी राजकुमार ने बताया कि पूछताछ में यह भी सामने आया है कि फेक प्रोफाइल फंडिंग में बिल्डर को काफी ज्यादा फायदा हो रहा है। कुल 50 प्रोफाइल ने उनके लिए कई करोड़ के लोन की व्यवस्था की भी। इस दौरान वह किश्तें भी भरता है, लेकिन कम रेट में ही लोन मिल जाने से उसे फायदा होता है। ऐसे में वह इस प्रकार की ओर प्रोफाइल तैयार करने वाली कंपनी को भी कमीशन दे रहा था। इसके साथ ही इस प्रकार की कंपनी में सैलरी डालने के लिए भी बिल्डर फर्म की तरफ से उन्हे रुपये ट्रांसफर किए जा रहे हैं।
जान ले दिल्ली से बन कर आसानी से मिल रहे थे फर्जी आधार और पैनकार्ड
इस पूरे मामले में पता चला है कि प्योर टेक सॉल्यूशन कंपनी में कोई भी कर्मचारी ही नहीं था। 6-7 लोग मिलकर ही फर्जी डॉक्युमेंट के आधार पर बैंक अकाउंट खुलवा रहे थे। इन आरोपियों के अकाउंट के लिए आधार और पैनकार्ड दिल्ली से ही तैयार कर दिए जा रहे थे। हैरानी की बात है कि इसमें आरोपी फर्जी फिंगर प्रिंट और रेटिना स्कैन का भी प्रयोगकर उसे तैयार कर रहे थे। पुलिस अब इन सभी डॉक्युमेंट बनाने वाले की भी पूरी तलाश कर रही है।